नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी (केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की पत्नी) की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए टीएमसी सांसद साकेत गोखले की सीलबंद लिफाफे में दी गई माफी को मानने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि गोखले ने जानबूझकर आदेश को टालने की कोशिश की और अब भी अदालत के फैसले का सही तरीके से पालन नहीं किया है। न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने 9 मई को आदेश जारी करते हुए गोखले को दो हफ्ते के भीतर एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार और अपने 'X' अकाउंट पर सार्वजनिक माफी प्रकाशित करने को कहा है।
क्या है पूरा मामला?
लक्ष्मी पुरी ने 2021 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि साकेत गोखले ने सोशल मीडिया पर उनके और उनके पति (केंद्र सरकार के मंत्री हरदीप पुरी) के खिलाफ झूठे और भ्रामक आरोप लगाए थे। गोखले ने जिनेवा स्थित उनके अपार्टमेंट को लेकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की थी। उच्च न्यायालय ने लक्ष्मी पुरी की मानहानि की याचिका पर 1 जुलाई 2024 को फैसला सुनाते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद (गोखले) को सोशल मीडिया या किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इस मामले से जुड़ी कोई भी बात साझा करने से रोक दिया।
माफी मांगने और 50 लाख का हर्जाने का निर्देश
हाईकोर्ट ने 1 जुलाई 2024 को गोखले के खिलाफ आदेश जारी करते हुए उन्हें सोशल मीडिया या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर पुरी दंपती के खिलाफ कोई भी टिप्पणी करने से रोक दिया था। साथ ही कोर्ट ने गोखले को माफी मांगने और 50 लाख रुपये का हर्जाना देने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने अब दो टूक कहा कि माफी को सीलबंद लिफाफे में नहीं, सार्वजनिक रूप से देना होगा, ताकि पहले फैलाई गई झूठी जानकारी का असर कम हो सके। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी ने जानबूझकर देर की, मामले को टालता रहा और अब तक अदालत के फैसले का पालन नहीं किया।
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