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महिला का रोना मात्र दहेज उत्पीड़न का आधार नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट का अहम फैसला

अभियोजन पक्ष के अनुसार महिला का उसके पति और ससुराल वालों ने उत्पीड़न किया और दहेज की मांग की। महिला का विवाह दिसंबर 2010 में हुआ था। महिला के परिवार ने दावा किया कि उन्होंने शादी पर लगभग चार लाख रुपये खर्च किए थे।  

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Mukesh Pandit
Delhi News : नशे के कारोबार पर कसेगा शिकंजा? दिल्ली हाईकोर्ट ने दिए सख्त निर्देश | यंग भारत न्यूज

Delhi News : नशे के कारोबार पर कसेगा शिकंजा? दिल्ली हाईकोर्ट ने दिए सख्त निर्देश | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि केवल इस तथ्य से कि एक महिला रो रही थी, दहेज उत्पीड़न का मामला नहीं बन सकता। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति और उसके परिवार को क्रूरता एवं दहेज उत्पीड़न के आरोपों से मुक्त करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए की। 

पति और ससुराल वालों ने उत्पीड़न किया

अभियोजन पक्ष के अनुसार महिला का उसके पति और ससुराल वालों ने उत्पीड़न किया और दहेज की मांग की। महिला का विवाह दिसंबर 2010 में हुआ था। महिला के परिवार ने दावा किया कि उन्होंने शादी पर लगभग चार लाख रुपये खर्च किए थे लेकिन पति और ससुराल वालों ने मोटरसाइकिल, नकदी और सोने के कंगन की मांग की। महिला की दो बेटियां थीं, उसकी 31 मार्च 2014 को मौत हो गई थी। 

दहेज उत्पीड़न का कोई मामला नहीं बनता

हाई कोर्ट ने कहा, मृतका की बहन का धारा 161 के तहत बयान दर्ज किया गया जिसमें उसने यह भी कहा कि होली के अवसर पर उसने अपनी बहन को फोन किया था और उस दौरान उसकी बहन रो रही थी। हालांकि केवल इसलिए कि महिला रो रही थी, दहेज उत्पीड़न का कोई मामला नहीं बनता।’ निचली अदालत ने यह कहते हुए अभियुक्तों को बरी कर दिया था कि मौत निमोनिया के कारण हुई थी। उच्च न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण निमोनिया बताया गया है, न कि क्रूरता। : Delhi high court | dowry harassment case | High Court 

High Court Delhi high court dowry harassment case
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