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नई दिल्ली, वाईवीएन नेटवर्क।जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNU) चुनाव को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। नामांकन वापस लेने की समय सीमा को कई बार बढ़ाए जाने के कारण पिछले दो दिनों में निर्वाचन समिति (ईसी) कार्यालय में हिंसा और तोड़फोड़ की लगातार घटनाओं के मद्देनजर चुनाव स्थगित किए गए हैं। यह विश्वविद्यालय प्रगतिशील विचारधारा और छात्र राजनीति के लिए जाना जाता है।
परिसर में शत्रुतापूर्ण माहौल का दिया हवाला
निर्वाचन समिति ने सुरक्षा में गंभीर कमी तथा परिसर में शत्रुतापूर्ण माहौल का हवाला देते हुए चुनाव प्रक्रिया रोकने के निर्णय की घोषणा की। निर्वाचन समिति ने एक बयान में कहा, ‘निर्वाचन समिति कार्यालय और इसके सदस्यों के खिलाफ हिंसा और तोड़फोड़ की हालिया घटनाओं के कारण चुनाव प्रक्रिया गंभीर रूप से बाधित हुई है। जब तक प्रशासन और छात्र संगठनों द्वारा ईसी के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर ली जाती तब तक अंतिम उम्मीदवार सूची जारी करने सहित पूरी प्रक्रिया को रोक दिया गया है।
क्या है जेएनयू की पृष्ठभूमि
जेएनयू भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से एक है, जो अपनी प्रगतिशील विचारधारा और छात्र राजनीति के लिए जाना जाता है। जेएनयू छात्र संघ (JNUSU)चुनाव विश्वविद्यालय की लोकतांत्रिक संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो 1970 के दशक से शुरू हुआ। यह चुनाव न केवल परिसर की नीतियों को प्रभावित करता है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बनता है। जेएनयू को वामपंथी विचारधारा का गढ़ माना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की बढ़ती उपस्थिति ने चुनावी माहौल को और तनावपूर्ण बनाया है।
जेएनयू में चुनाव का इतिहास
जेएनयू छात्र संघ चुनाव की शुरुआत 1971 में हुई थी। यह चुनाव अपनी अनूठी विशेषताओं, जैसे प्रेसिडेंशियल डिबेट के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें उम्मीदवार रातभर विभिन्न मुद्दों पर बहस करते हैं। यह परंपरा जेएनयू को अन्य विश्वविद्यालयों से अलग करती है। शुरुआती वर्षों में वामपंथी संगठन, जैसे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF), हावी रहे। 1990 के दशक से लेफ्ट यूनिटी (SFI, AISF और अन्य वाम संगठनों का गठबंधन) ने लगातार चुनावों में जीत हासिल की। हालांकि, 2010 के दशक में एबीवीपी ने मजबूत चुनौती पेश की, जिससे चुनावी प्रतिस्पर्धा और तीखी हो गई। 2024 में लेफ्ट यूनिटी ने फिर चारों प्रमुख पदों पर कब्जा जमाया, जिससे वामपंथी प्रभुत्व बरकरार रहा।
हिंसा की प्रमुख घटनाएं
वर्ष 2018 के JNUSU चुनाव के बाद, मतगणना के दौरान और परिणाम घोषित होने के बाद झेलम हॉस्टल के बाहर हिंसा भड़क उठी। लेफ्ट और एबीवीपी समर्थकों के बीच मारपीट की घटनाएँ हुईं। नवनिर्वाचित अध्यक्ष एन. साई बालाजी के साथ भी मारपीट की खबरें आईं, जिसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज की।
2020: नकाबपोशों का हमला
5 जनवरी 2020 को जेएनयू परिसर में नकाबपोश उपद्रवियों ने लाठी-डंडों और हथौड़ों से छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया। इस हिंसक घटना में छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष सहित 28 लोग घायल हुए। वामपंथी संगठनों ने एबीवीपी पर हमले का आरोप लगाया, जबकि एबीवीपी ने इसे वामपंथी साजिश करार दिया। यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रही।
2025: चुनाव प्रक्रिया में हिंसा
2025 के JNUSU चुनाव, जो 25 अप्रैल को होने थे, हिंसा और तोड़फोड़ के कारण अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए। नामांकन वापसी के दौरान चुनाव समिति के कार्यालय में प्रदर्शनकारी छात्रों ने बैरिकेड तोड़े और शीशे फोड़ दिए। समिति ने असुरक्षा का हवाला देते हुए प्रक्रिया रोक दी।