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प्राइमरी स्कूलों के विलय मामले में फैसला सुरक्षित
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।दिल्ली हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने वर्ष 2017 में 10वर्षीय एक बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में एक व्यक्ति की 12 साल की जेल की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि पीड़िता की गवाही विश्वसनीय है तथा केवल इसी आधार पर दोषसिद्धि भी हो सकती है।
कोर्ट ने कहा, कानून की कुछ स्थापित स्थिति
लाइव लॉ न्यूज के अनुसार, न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने मामले में दोषी करार दिए गए टोनी नाम के व्यक्ति की अपील पांच सितंबर को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया। न्यायाधीश ने कहा, कानून की स्थापित स्थिति यह है कि भले ही पीड़िता घटना की एकमात्र गवाह हो, अगर उसकी गवाही विश्वसनीय और भरोसेमंद पाई जाती है, तो दोषसिद्धि बरकरार रखी जा सकती है। अगर पीड़ित बच्ची की गवाही विश्वसनीय है, तो दोषसिद्धि उसी के आधार पर हो सकती है।
फर्नीचर की दुकान करता था आरोपी
प्राथमिकी के अनुसार, दोषी व्यक्ति बच्ची के स्कूल के पास फर्नीचर की एक दुकान में काम करता था तथा पीड़िता को चाउमीन और कचौड़ी जैसी खाने की चीज़ों का लालच देकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया था। इसके अलावा, व्यक्ति ने धमकी दी थी कि अगर उसने किसी को इस बारे में बताया तो वह उसे ‘नाले में डुबो देगा या लकड़ी की तरह टुकड़े-टुकड़े कर देगा।’ न्यायाधीश ने कहा कि बच्ची का बयान एक समान और विश्वसनीय रहा तथा व्यक्ति जिरह के दौरान उसकी गवाही को झुठला नहीं सका। High Court judgment | delhi highcourt | Delhi high court | Delhi High Court News