असम, वाईबीएन नेटवर्क।
असम के मोरीगांव जिले में देर रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। झटके इतने तेज थे कि गुवाहाटी और आसपास के इलाकों के लोग जाग गए। हालांकि, अभी तक किसी बड़े नुकसान या किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
रिक्टर स्केल पर 5 थी तीव्रता
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, गुरुवार तड़के असम के मोरिगांव जिले में रिक्टर पैमाने पर पांच तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप तड़के 2:25 बजे 16 किलोमीटर की गहराई पर आया। भूकंप के झटके गुवाहाटी, शिलांग और असम के अन्य हिस्सों के साथ-साथ बांग्लादेश, भूटान और चीन में भी महसूस किए गए।
कल ओडिशा में महसूस हुए थे झटके
इससे पहले मंगलवार तड़के बंगाल की खाड़ी में रिक्टर स्केल पर 5.1 तीव्रता का भूकंप आया था। NCS के मुताबिक, भूकंप सुबह 6:10 बजे 91 किलोमीटर की गहराई में आया. भूकंप के झटके ओडिशा में महसूस किए गए थे।
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इन कारणों से आता है Earthquake
भूकंप आने का मुख्य कारण धरती के अंदर मौजूद प्लेटों का आपस में टकराना है। धरती में 7 प्लेटें हैं, जो हमेशा घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेटें अधिक टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेटों के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेटें टूटने लगती हैं और नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं। ऐसी स्थिति में डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
रिक्टर स्केल से की जाती है जांच
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से की जाती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहते हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर इसके केंद्र से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का पता लगता है।
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जानिए किसे कहते हैं भूकंप का केंद्र
भूकंप का केंद्र यानी एपीसेंटर उस स्थान को कहते हैं जिसके बिलकुल नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। उस स्थान पर भूकंप का कंपन अधिक होता है। कंपन की आवृत्ति जैसे-जैसे दूर होती जाती है, इसका प्रभाव घटता जाता है। फिर भी अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है।
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भूकंप आने पर ये बरतें एहतियात
1. अगर भूकंप के तेज झटके महसूस हो रहे हैं तो आप अपने घर में मौजूद मजबूत फर्नीचर, टेबल के नीचे बैठ जाएं और सिर पर हाथों को रख लें। हल्के भूकंप के झटके हों तो घर के फर्श पर बैठ जाएं।
2. अगर आप किसी हाई राइज बिल्डिंग में रहते हैं तो भूकंप के झटके महसूस होने तक घर में ही रहें। जब भूकंप के झटके रुक जाएं तो बिल्डिंग के नीचे उतर आएं।
3. जब आप नीचे चले जाएं तो बिल्डिंग से बाहर कहीं दूर जाकर खड़े हों, ताकि इमारत के गिरने पर आपकी जान को कोई नुकसान ना पहुंचे।
4. अगर आप ऊंची इमारतों में रहते हैं तो हमेशा सीढ़ियों से नीचे जाना ही बेहतर होता है। भूलकर भी लिफ्ट ना लें, ऐसा इसलिए, क्योंकि भूकंप आने पर पावर कट भी हो सकता है, जिससे आप लिफ्ट में फंस सकते हैं।
5. बिल्डिंग के नीचे, बिजली के खंभे, पेड़, तार, फ्लाईओवर, पुल, भारी वाहन के आसपास ना खड़े हों।
6. अगर भूकंप के वक्त ड्राइव कर रहे हैं तो गाड़ी को रोककर उसी में बैठे रहें। गाड़ी को किसी खुली जगह पर खड़ा करें ताकि आपके साथ आपकी गाड़ी को भी कोई नुकसान ना हो।