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इस बैक्टीरिया से पुणे में पहली मौत हुई है
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इस बैक्टीरिया से पुणे में पहली मौत हुई है
महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेने बैरे सिंड्रोम से पहली मौत की खबर सामने आई है। महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि इस बैक्टीरिया के पीडि़तों की संख्या लगातार बढ़ रही है और ये 101 तक पहुंच गई है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे पहली मौत सोलापुर में हुई है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। इस रोग से पीडि़त 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। पीडि़तों में 19 लोग 9 साल से कम उम्र के हैं और 23 लोग की उम्र 50 से 80 के बीच है।
ऐसा बताया जा रहा है कि जीबीएस का पहला मामला पुणे में आया था। अस्पताल में भर्ती मरीजों के जांच नमूनों से पता चला है कि यह बीमारी कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया के कारण हुई है। सी जेजुनी दुनिया भर में जीबीएस के लगभग एक तिहाई मामलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
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पुणे के अधिकारी उन क्षेत्रों के पानी के स्त्रोतों की जांच कर रहे हैं, जहां से इसके मामले अधिक आ रहे हैं। पुणे के खड़कवासला बांध के पास के एक कुए में ई. कोली बैक्टीरिया मिला है। हालांकि इसके बारे में कुछ भी कहना अभी मुश्किल है कि लोग इसका इस्तेमाल कर रहे थे या नहीं। आला अफसारों का कहना है कि पानी का उपयोग करने से पहले इसको अच्छी तरह से उबाल लें और खाना खाने से पहले उसे गर्म कर लें। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी घरों की निगरानी कर रहे ताकि इसके मरीजों पता लगाया जा सके।
डॉक्टर्स का कहना है इससे 80 फीसदी पीडित मरीज छह महीने में ठीक से चलने फिरने के काबिल हो जाते हैं, लेकिन पूरी तरह से रिकवर होने में लगभग एक साल का समय लग सकता है। इसका इलाज काफी महंगा है। इसके लिए इम्युनोग्लोबुलिन (आईवीआईजी) इंजेक्शन की आवश्कता होती है। इसकी कीमत 20,000 रुपये है। मरीज को ठीक होने में कई इंजेक्शन लग सकते हैं।
गिलियन बैरे सिंड्रोम – इससे पीडि़त व्यक्ति का शरीर सुन्न पड जाता है। मांसपेशियां ठीक से काम नहीं करती है। इससे लकवा भी हो सकता है। यह 30 से 50 साल के व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करता है।
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