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Himachal Pradesh में मानसून की मार: पुल टूटे, सड़कें ध्वस्त, अब तक 1400 करोड़ का नुकसान

हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन दिनों से भारी बारिश और बाढ़ के कारण करीब 1400 करोड़ रुपये का भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, जिसमें अकेले तीन दिनों में 550 करोड़ का नुकसान शामिल है। कुल्लू और मनाली जैसे इलाकों में पुल और सड़कें बह गई हैं।

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Ranjana Sharma
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शिमला, वाईबीएन डेस्‍क:हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन दिनों से जारी तेज बारिश और बाढ़ के कारण भारी तबाही मची है। प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने इस आपदा से हुए नुकसान का ब्योरा देते हुए बताया कि अब तक हिमाचल प्रदेश में कुल 1400 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है, जिसमें अकेले पिछले तीन दिनों में 550 करोड़ का नुकसान दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि इस प्राकृतिक आपदा के चलते कई पुल और सड़कें बह गई हैं, जिससे कुल्लू और मनाली जैसे प्रमुख पर्यटन और वाणिज्यिक केंद्रों को खासा नुकसान हुआ है।

कई इलाकों से टूटा संपर्क 

मंत्री ने कहा कि यह कोई रहस्य नहीं है कि प्रदेश ने भयानक क्षति झेली है। कई इलाकों में संपर्क कट गया है, कई स्थानों पर बाढ़ और भूस्खलन के कारण लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हमारी प्राथमिकता फिलहाल लोगों की सुरक्षा और राहत कार्यों को सुनिश्चित करना है। उन्होंने आगे बताया कि इस आपदा से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसका आयोजन विधानसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में कल किया गया। इस बैठक में प्रभावित इलाकों की स्थिति का जायजा लिया गया और आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता तथा सड़कों और पुलों की मरम्मत के लिए योजनाएं बनाई गईं।

सभी संबंधित विभागों को सतर्क रहने के निर्देश दिए

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हमने सभी संबंधित विभागों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं ताकि प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से राहत और पुनर्वास कार्य शुरू किया जा सके। प्रशासन और राज्य सरकार मिलकर प्रभावित लोगों को भोजन, जल, दवाइयां और आवश्यक सहायता प्रदान कर रही है। साथ ही भारी नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से भी मदद मांगी गई है। मंत्री ने इस प्राकृतिक आपदा की मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन को बताया। उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन के चलते हमें ऐसे असामान्य और विनाशकारी मौसमी हालात का सामना करना पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के कई हिस्से इन बदलते मौसमीय पैटर्न से प्रभावित हो रहे हैं। ये घटनाएं न केवल मानवीय जीवन को खतरे में डालती हैं, बल्कि हमारे आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए भी बड़े खतरे की घंटी हैं।

आपदा प्रबंधन तंत्र को और मजबूत बनाना होगा

विक्रमादित्य सिंह ने जोर देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपने मौजूदा नीतिगत दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करें और जलवायु संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं। सरकार ने जल संरक्षण, वन संरक्षण, और पर्यावरणीय जागरूकता को अपनी प्राथमिकता में रखा है, लेकिन इसके साथ-साथ हमें प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन तंत्र को और मजबूत बनाना होगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने प्रभावित इलाकों में आपातकालीन टीमों को तैनात किया है और लगातार हालात पर नजर रखी जा रही है। लोगों की सुरक्षा और राहत को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है ताकि जल्द से जल्द प्रदेश में सामान्य जीवन बहाल हो सके।

पर्यटन से जुड़े लोगों को आर्थिक नुकसान की चिंता सता रही

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यह आपदा खासतौर पर पर्यटन उद्योग को भी भारी झटका पहुंचा रही है, क्योंकि मानसून के इस मौसम में कुल्लू, मनाली और आसपास के क्षेत्र पर्यटकों से गुलजार रहते हैं। स्थानीय व्यापारियों और पर्यटन से जुड़े लोगों को आर्थिक नुकसान की चिंता सता रही है। हिमाचल प्रदेश के अन्य विभाग भी आपदा प्रभावित इलाकों में काम कर रहे हैं, और जल्द से जल्द सड़कों की मरम्मत और पुलों की पुनर्निर्माण के लिए सरकार भरसक प्रयास कर रही है। साथ ही, प्रभावित लोगों को पुनर्वास के लिए स्थानों की व्यवस्था की जा रही है ताकि उन्हें सुरक्षित और बेहतर जीवन मिल सके। इस पूरे घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खूभी लगातार हालात की समीक्षा कर रहे हैं और राहत कार्यों की प्रगति पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को सतर्क रहने और सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं ताकि इस आपदा के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके। Himachal Pradesh
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