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जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने से पहले जमीनी हालात का मूल्यांकन जरूरी: Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की मांग पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी निर्णय से पहले जमीनी हालात का मूल्यांकन जरूरी है। अदालत ने पहलगाम की घटनाओं का हवाला देते हुए स्थिति की संवेदनशीलता को रेखांकित किया।

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Ranjana Sharma
SUPREME COURT OF INDIA
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्‍क: जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। इस दौरान शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई भी निर्णय लेते समय जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आपको जमीन पर वास्तविक हालात को भी समझना होगा। पहलगाम में जो घटनाएं हुई हैं, उन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकता।

आठ सप्ताह के लिए टली सुनवाई 

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ से मामले की सुनवाई को आठ सप्ताह के लिए टालने का अनुरोध किया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। मेहता ने अदालत को बताया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की दिशा में प्रयास जारी हैं, लेकिन क्षेत्र में कुछ  अजीब परिस्थितियां" हैं जिनका विश्लेषण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि निर्णय प्रक्रिया में कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। मुझे नहीं लगता कि अभी इस मुद्दे पर कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। यह उचित समय नहीं है इस विषय को आगे बढ़ाने का। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान समय में "पानी को गंदा" करने का कोई लाभ नहीं है और सुझाव दिया कि सरकार इस पर संविधान पीठ की सुनवाई के बाद अपना रुख स्पष्ट करेगी। एक वकील ने कोर्ट को याद दिलाया कि केंद्र सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दे चुकी है।

राज्य में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को नुकसान पहुंच रहा

गौरतलब है कि दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखते हुए आदेश दिया था कि जम्मू-कश्मीर में सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराए जाएं और जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। इससे पहले, शिक्षाविद जहूर अहमद भट और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक ने याचिका दायर कर मांग की थी कि केंद्र को दो महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा लौटाने का निर्देश दिया जाए। याचिका में कहा गया था कि देरी से राज्य में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को नुकसान पहुंच रहा है और यह भारत के संघीय ढांचे के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। साथ ही यह भी बताया गया कि हाल ही में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हुए हैं, जिससे स्पष्ट है कि क्षेत्र में हालात सामान्य हैं।
supreme court jammu and kashmir Jammu Kashmir Statehood
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