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देवघर, वाईबीएन डेस्क: सुलतानगंज से देवघर तक की 105 किलोमीटर लंबी कांवड़ यात्रा इन दिनों श्रद्धा, भक्ति और अनुशासन की मिसाल बनी हुई है। श्रावण मास में गंगाजल से भरे कांवर को कंधे पर रखकर लाखों श्रद्धालु नंगे पांव बाबा बैद्यनाथ की नगरी की ओर बढ़ रहे हैं। यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था का महाकुंभ है, जहां हर कदम पर "बोल बम" की गूंज सुनाई देती है और शिवभक्ति का समर्पण झलकता है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद जीके संकल्प परिवार सहित इस पावन यात्रा का हिस्सा बनें।
अनोखे ढंग से सजाई है ये कांवड़
कुछ श्रद्धालु ऐसे कांवड़ लेकर आए हैं जो न केवल असामान्य हैं, बल्कि देखने वालों को आश्चर्य में डाल देते हैं। एक कांवड़ का वजन करीब 150 किलोग्राम है, जिसे भक्त नंगे पांव ढोते हुए बाबा के दरबार तक ला रहे हैं। वहीं, कई कांविड़यों ने अपनी कांवड़ में बजरंगबली (हनुमान जी) की विशाल मूर्तियां भी लगाई हैं। ये कांवड़ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बन गई हैं और लोग उनके साथ सेल्फी लेते नजर आ रहे हैं।
कोलकाता बम टोली बनी आकर्षण का केंद्र
देवघर के कांवरिया पथ पर इस बार कोलकाता से आए 'कोलकाता बम' नामक टोली ने विशेष ध्यान आकर्षित किया। इस 40 सदस्यों की टीम ने एक अनूठी कांवड़ तैयार की है, जिसमें शिवलिंग के साथ बजरंगबली की मूर्ति भी विराजमान है। टोली के सदस्य अनुराग कुमार ने बताया कि वे हर वर्ष बाबा बैद्यनाथ के दर्शन के लिए अलग-अलग रूप में कांवर लेकर आते हैं, और इस बार उन्होंने कांवर में शिव के साथ हनुमान जी को जोड़कर एक विशेष भक्ति भाव प्रकट किया है।
150 किलो की कांवड़, 8 फीट लंबी
इसी तरह, कोलकाता से ही आए 25 कांवरियों के एक अन्य समूह ने भी अपनी विशेष कांवड़ से श्रद्धालुओं का ध्यान खींचा। यह कांवड़ लगभग 8 फीट लंबी और 150 किलो वजनी है। इसमें भगवान शिव, देवी पार्वती की मूर्तियों के साथ महाकालेश्वर का शिवलिंग भी सम्मिलित किया गया है। इस कांवड़ की सुंदरता और भव्यता के चलते अन्य कांवरिए और दर्शनार्थी इसके साथ फोटो खिंचवाते नजर आए। इस टोली के सदस्य विकास कुमार ने बताया कि वे हर वर्ष बाबा धाम में एक विशेष कांवड़ लेकर आते हैं ताकि शिवभक्ति की भावना को नए रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
श्रद्धा का उत्सव, भक्ति का पर्व
देवघर में कांवड़ यात्रा न केवल भक्ति का पर्व है, बल्कि यह उन अनगिनत रूपों की प्रस्तुति भी है जिनमें श्रद्धालु अपनी आस्था को प्रकट करते हैं। भारी-भरकम कांवड़ हो या सजावटी मूर्तियाँ, हर एक प्रयास शिवभक्ति की अद्भुत शक्ति को दर्शाता है। सावन का महीना यूं ही नहीं खास है—यह आस्था के रंगों से सराबोर एक जीता-जागता महाकुंभ है।