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कोलकाता, वाईबीएन डेस्क: पश्चिम बंगाल की ममता सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इस बार आरोप है कि राज्य के सीमावर्ती जिलों में रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल कराने की सुनियोजित साजिश रची जा रही है। पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में फॉर्म-6 आवेदनों में अचानक आई बेतहाशा बढ़ोतरी ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चिंता बढ़ा दी है। बीते सप्ताह औसतन 70,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जबकि सामान्य दिनों में इनकी संख्या 20,000 से 25,000 के बीच होती है।
निवास प्रमाण पत्र तेजी से बांटे जा रहे
सूत्रों के अनुसार बीते एक सप्ताह में फॉर्म-6 आवेदनों की संख्या अचानक 70,000 के पार पहुंच गई, जबकि सामान्यत: यह आंकड़ा 20 से 25 हजार के बीच होता है। यह असामान्य बढ़ोतरी कूचबिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, नदिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जैसे घुसपैठ प्रभावित जिलों में दर्ज की गई है। इतना ही नहीं, राज्य प्रशासन द्वारा डोमिसाइल सर्टिफिकेट (निवास प्रमाण पत्र) भी तेजी से बांटे जा रहे हैं, जिससे संदेह और गहरा हो गया है कि ममता सरकार चुनाव आयोग के SIR (Special Intensive Revision) से पहले ही फर्जी दस्तावेजों के सहारे घुसपैठियों को भारतीय मतदाता बनाने में जुटी है।
मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखा पत्र
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भारत के मुख्यचुनाव आयुक्त को पत्र लिखा गया है, जिसमें मांग की गई है कि 25 जुलाई 2025 या उसके बाद जारी किए गए किसी भी निवास प्रमाण पत्र को SIR के दौरान मान्यता न दी जाए। पत्र में यह चेतावनी भी दी गई है कि अगर ऐसे फर्जी प्रमाणों के आधार पर मतदाता सूची में बदलाव हुआ, तो यह देश की लोकतांत्रिक प्रणाली के साथ खुला धोखा होगा। जिला चुनाव अधिकारियों को भी याद दिलाया गया है कि उनकी निष्ठा देश के प्रति होनी चाहिए, न कि किसी मुख्यमंत्री के वोट बैंक प्रोजेक्ट' के तहत।
ममता सरकार की दोहरी नीति?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ममता सरकार लंबे समय से 'माईनॉरिटी तुष्टीकरण' की राजनीति कर रही है और अब SIR की आहट से घबराकर पहले से ही तैयारी में जुट गई है, ताकि किसी भी घुसपैठिए का नाम कटने न पाए। सवाल उठता है – क्या ममता बनर्जी को लोकतंत्र से ज्यादा अपनी कुर्सी की चिंता है? चुनाव आयोग से इस पूरे मामले में कड़ी निगरानी और तुरंत हस्तक्षेप की मांग की जा रही है ताकि देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को कमजोर करने की कोई भी साजिश सफल न हो सके। Mamata Government