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कोर्ट की डीएम को चेतावनी Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क:सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के समग्र विकास के लिए गठित अंतरिम समिति को जरूरी भूमि खरीद के लिए बातचीत की अनुमति दे दी है। अदालत ने कहा कि यह समिति मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र के विकास की योजना तैयार करेगी और इसके लिए निजी भूमि की खरीद पर विचार कर सकती है।
समिति समग्र विकास की योजना बनाएगी
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह समिति उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाए गए बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश की वैधता को लेकर हाईकोर्ट में लंबित याचिका के अंतिम फैसले के अधीन काम करेगी। यह अध्यादेश मंदिर के प्रशासनिक नियंत्रण को राज्य सरकार के अंतर्गत रखने का प्रावधान करता है। पीठ ने कहा कि समिति समग्र विकास की योजना बनाएगी और यदि आवश्यक हुआ, तो निजी भूमि की खरीद के लिए बातचीत कर सकती है। यदि बातचीत सफल नहीं होती, तो राज्य सरकार कानून के अनुसार भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
समिति में होंगे 12 सदस्य
अंतरिम समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार करेंगे। समिति में 12 सदस्य होंगे, जिनमें सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुकेश मिश्रा, मथुरा के वर्तमान जिला जज, सिविल जज, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक प्रतिनिधि, अध्यक्ष द्वारा नामित एक प्रमुख वास्तुकार और दोनों गोस्वामी पक्षों से दो-दो सदस्य शामिल होंगे।
गोस्वामी केवल सेवा और प्रसाद तक होंगे सीमित
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि समिति में शामिल चार गोस्वामी प्रतिनिधियों को छोड़कर किसी अन्य गोस्वामी या सेवायत को मंदिर के प्रबंधन में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं होगी। वे केवल पूजा, सेवा और प्रसाद चढ़ाने तक सीमित रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि समिति का कार्यालय मथुरा में होगा और जिला प्रशासन, पुलिस एवं राज्य सरकार के धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रधान सचिव समिति के अध्यक्ष द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें।