लखीमपुर खीरी, वाईबीएन नेटवर्क।
यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में अचानक मौसम ने करवट ली और आसमान से ऐसी आफत बरसी कि किसानों की मेहनत पलभर में मिट्टी में मिल गई। बुधवार की रात शुरू हुई मूसलाधार बारिश और तेज हवाओं के साथ हुई ओलावृष्टि ने उन खेतों को तबाह कर दिया, जहां किसान अपनी उम्मीदें बो रहे थे। गेहूं की तैयार खड़ी फसलें आंधी और पानी की मार से धराशायी हो गईं।
कुदरत की मार से टूटा किसान
गांव बिस्वा के किसान वीरेंद्र कुमार तिवारी की आंखों में आंसू थे जब उन्होंने कहा, "इस बार सोचा था कि गेहूं के बढ़े रेट से थोड़ा मुनाफा हो जाएगा, घर की मरम्मत करवा लेंगे… लेकिन ऊपरवाले को कुछ और ही मंजूर था। पाँच एकड़ की सारी फसल बर्बाद हो गई है।" तेज हवा और ओले गिरने के कारण फसलें न केवल गिरीं, बल्कि उनमें सड़न भी शुरू हो गई है, जिससे उत्पादन लगभग असंभव हो गया है।
कर्ज में डूबे किसान
एक और किसान, मिश्रीलाल, जिनकी चार बीघा जमीन थी, बताते हैं, "फसल अच्छी थी, इस बार उम्मीद थी कर्ज उतर जाएगा। लेकिन ओलावृष्टि और बारिश ने सब कुछ छीन लिया। खेतों में पानी भर गया है और फसलें सड़ने लगी हैं। अब न पैसा मिलेगा, न अनाज।"
सरकारी राहत नदारद
किसानों का कहना है कि सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिनिधि या अधिकारी देखने तक नहीं आया कि नुकसान कितना हुआ है। वीरेंद्र कहते हैं, "बीमा तो करवाया था, लेकिन क्लेम मिलेगा या नहीं, ये भगवान ही जाने।" कई किसानों का यह भी कहना है कि खेत में लगी उनकी सालभर की पूंजी और मेहनत दोनों इस बारिश में बह गई।
बर्बादी की मार, परिवार की चिंता
फसल की बर्बादी से न केवल आर्थिक संकट गहराया है, बल्कि कई परिवारों के लिए खाने-पीने का संकट भी मंडरा रहा है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर घर के रोज़मर्रा खर्च तक सब पर असर पड़ने वाला है।
अब क्या करें?
किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत सर्वे कराया जाए और जिन किसानों को नुकसान हुआ है, उन्हें मुआवजा दिया जाए। साथ ही बीमा क्लेम की प्रक्रिया को तेज किया जाए ताकि वे अगली फसल की तैयारी कर सकें।