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UP Budget 2025-26:  पिछला बजट नहीं हुआ खर्च, विपक्षी विधायकों ने सरकार को घेरा

बजट सत्र से पहले विपक्षी पार्टियों के विधायकों ने सरकार के पिछले साल के बजट का पूरा हिस्सा खर्च नहीं कर पाने पर निशाना साधा। 7.18 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था।

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Dhiraj Dhillon
आराधना, अतुल प्रधान

आराधना, अतुल प्रधान Photograph: (IANS)

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लखनऊ, आईएएनएस। 
उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। गुरुवार को बजट सत्र का तीसरा दिन है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना विधानसभा में बजट पेश कर रहे हैं। बजट सत्र से पहले विपक्षी पार्टियों के विधायकों ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए सरकार के पिछले साल के बजट का पूरा हिस्सा खर्च नहीं कर पाने पर निशाना साधा। 
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कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा बोलीं

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कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा ने कहा, "यूपी सरकार ने पिछली बार भी बहुत बड़ा बजट 7.18 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था पर सरकार विभागों को इसका 53 से 54 प्रतिशत ही बजट आवंटित कर पाई है। ऐसे में केवल आंकड़े बड़े कर देने से यूपी की जनता का भला नहीं होने वाला है। जनता की भलाई की सरकार की नियत, नियति और इच्छाशक्ति नहीं है।" 
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अतुल प्रधान बोले- गन्ना किसानों की उम्मीद तोड़ी

समाजवादी पार्टी से विधायक अतुल प्रधान भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "प्रदेश सरकार ने कुछ दिन पहले गन्ना किसानों की उम्मीद तोड़ दी। अगर सरकार का चाल, चरित्र और जुबान देखेंगे, तो इनके किसी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता। हमेशा झूठ बोलना और उसका प्रचार करना और दूसरों के लिए अपशब्द बोलना, उनकी आदत है।" 

पिछले बजट का हिसाब मांगा

सरधना के सपा विधायक अतुल प्रधान ने आगे कहा, "वो 40 लाख करोड़ के निवेश की जो बात करते थे, अगर आज सत्र के दौरान वो ये भी बता दें कि 40 लाख करोड़ रुपए में से कितना पैसा उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए आया है, तो अच्छा रहेगा। ये सरकार तीसरा बजट पेश करने जा रही है। भाजपा के नेता ये बता दें कि वो पिछले बजट का कितना पैसा खर्च कर पाए हैं? 

40 से 45 प्रतिशत बजट खर्च नहीं हुआ

अतुल प्रधान ने कहा कि आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए, तो उन्होंने 40 से 45 प्रतिशत बजट का हिस्सा अभी खर्च नहीं किया है। कोई भी बड़ा विभाग चाहे, वो शिक्षा, चिकित्सा या पीडब्ल्यूडी विभाग हो, वो इन विभागों में पैसा खर्च नहीं कर पाए। ऐसे में इस बार भी लोगों को सरकार के बजट से कोई उम्मीद नहीं है। ये हर साल एक लाख करोड़ रुपए बढ़ा देते हैं, लेकिन जमीन पर उसका कोई असर नहीं दिखता है।" 
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