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Ankita Bhandari Case: सजा तो मिल गई, पर क्या वाकई इंसाफ हुआ?

उत्तराखंड के अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोर्ट का फैसला आ चुका है, दोषियों को सजा मिली। लेकिन क्या बेटियों की सुरक्षा की गारंटी अब है? जानिए इस केस से जुड़ी हर परत और सरकार की अगली चुनौती।

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Ajit Kumar Pandey
ANKITA BHANDARI HATYAKAND CASE
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तराखंड की शांत वादियों में बसी थी एक बेटी—अंकिता भंडारी। पर 2022 में वो शांत घाटी, चीखों की गूंज से दहल उठी। अब जब कोर्ट ने दोषियों को सजा सुना दी है, सवाल सिर्फ एक—क्या ये काफी है? क्या ये न्याय बेटियों को सुरक्षा का भरोसा देगा? या फिर सिर्फ एक और तारीख दर्ज होगी फाइलों में?

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उत्तराखंड की अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार फैसला आ गया। कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई है, जिससे परिवार को थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन सवालों का सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता। क्या सरकार ने पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए? क्या आरोपी के राजनीतिक संबंधों की गुत्थी सुलझी? और सबसे अहम—क्या अब बेटियों की सुरक्षा की कोई गारंटी है?

पूरा मामला: एक बेटी, एक रिसॉर्ट और सत्ता की परछाई

19 वर्षीय अंकिता भंडारी, एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम कर रही थी। उसी रिसॉर्ट में बीजेपी नेता का बेटा पुलकित आर्य मालिक था। अंकिता ने वहां हो रहे अनैतिक कार्यों का विरोध किया। बताया जाता है कि उस पर 'VIP गेस्ट्स' को "खुश" करने का दबाव था। विरोध करने पर उसे जान से मार दिया गया और लाश को चुपचाप नहर में फेंक दिया गया।

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अब जब फैसला आया, क्या सब खत्म हो गया?

कोर्ट ने पुलकित आर्य और अन्य दोषियों को दोषी माना और सजा सुनाई, लेकिन जनता की आंखों में अब भी कई सवाल तैर रहे हैं...

  • क्या रिसॉर्ट को हमेशा के लिए सील किया गया?
  • क्या आरोपी की संपत्ति जब्त हुई?
  • क्या पीड़िता के परिवार को पर्याप्त मुआवज़ा मिला?
  • बीजेपी ने आरोपी नेता के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई की?
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आरोपियों का राजनीतिक बैकग्राउंड क्यों है सवालों में?

पुलकित आर्य, बीजेपी नेता विनोद आर्य का बेटा है, जो पहले राज्य मंत्री रह चुके हैं। यही बात इस मामले को आम हत्या से अलग बनाती है। जनता का सवाल है—जब सत्ता से जुड़े लोग अपराध में हों, तो कानून कितना स्वतंत्र होता है?

क्या अंकिता के माता-पिता को मिला संतोषजनक न्याय?

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अंकिता के पिता ने मीडिया को बताया कि "हमें आंशिक राहत तो मिली है, लेकिन हमारी बेटी तो अब वापस नहीं आएगी।" उनका दर्द केवल सजा नहीं, समाज और सिस्टम के प्रति भी है जो एक मासूम की जान नहीं बचा सका।

सरकार के पास अब क्या मौका है?

  • राज्य सरकार पर अब दबाव है कि वह इस केस को एक उदाहरण बनाए
  • महिला सुरक्षा पर कड़े नियम लागू करे
  • राजनीतिक ताकतवर लोगों की जवाबदेही तय करे
  • ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए त्वरित कदम उठाए

जनता क्या चाहती है?

इस केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। सोशल मीडिया पर #JusticeForAnkita हैशटैग ट्रेंड कर चुका है। आम लोग चाहते हैं कि

  • बेटियों को हर हाल में सुरक्षा मिले
  • ऐसे अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिले
  • राजनीतिक पहुंच अपराध से बचने का हथियार न बने

क्यों जरूरी है कि "अगली अंकिता" न हो?

हर अंकिता की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं होती—वो समाज की सुरक्षा प्रणाली की पोल खोलती है। जब तक न्याय व्यवस्था और कानून समान रूप से सब पर लागू नहीं होंगे, बेटियों का भरोसा बहाल नहीं हो सकता।

अंकिता को न्याय मिल गया—ये कह देना आसान है। पर असल सवाल यही है कि क्या इससे कोई और बेटी बच पाएगी? जब तक सरकार, समाज और सियासत एकजुट होकर महिला सुरक्षा को सर्वोपरि नहीं मानते, तब तक हम खुद को माफ नहीं कर सकते।

क्या आप मानते हैं कि ये सिर्फ एक केस नहीं, एक चेतावनी है? कमेंट करें और अपनी राय साझा करें। 

Ankita Bhandari Murder Case | Uttrakhand |

Uttrakhand अंकिता भंडारी हत्याकांड Ankita Bhandari Murder Case
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