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Uttarakhand: अबकी बार Uttarkashi जाएं तो मथोली गांव में करें होम स्टे, होटल में ठहरना भूल जाएंगे

गर्मी शुरू हो गई है। ऐसे में सभी को इंतजार है कि बच्चों की छुट्टी हो और दो- चार दिन पहाड़ में जाकर चैन की सांस लें। अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है।

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Dhiraj Dhillon
मथोली गांव उत्तरकाशी उत्तराखंड
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गर्मी शुरू हो गई है। ऐसे में सभी को इंतजार की बच्चों की छुट्टी हो और दो- चार दनि पहाड़ में जाकर चैन की सांस लें। अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का मथोली गांव आपके लिए अच्छा “वेन्यू” हो सकता है। आप सोचेंगे कि गांव में जाकर कहां रहेंगे , क्या खाएंगे ? लेकिन आपको इन सब बातों की चिंता करने की जरूरत नहीं है। दरअसल मथोली गांव में आपको होम स्टे की ऐसी लाजवाब सुविधाएं मिलेंगी, जो आपने सोची भी नहीं होंगी। रेट भी ऐसे कि आप वाह कर उठेंगे। ग्रामीण पर्यटन और महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण बनकर उभरे इस गांव की महिलाएं 'होम स्टे' के जरिये न केवल पर्यटकों का स्वागत कर रही हैं, बल्कि उन्हें गांव का भ्रमण (विलेज टूर) भी करवा रही हैं।

कैसे कोरोना ने गांव वालों को दिखाई राह

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उत्तरकाशी जिले के चिन्याली सौड़ ब्लॉक में स्थित यह गांव 'ब्वारी गांव' (पुत्रवधुओं का गांव) के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है। इस बदलाव का श्रेय गांव के युवक प्रदीप पंवार को जाता है, जो कोरोना महामारी के समय नौकरी चली जाने के बाद अपने गांव लौटे थे। पर्यटन क्षेत्र का अनुभव रखने वाले प्रदीप पंवार ने गांव के पास अपनी एक पुरानी छानी (गौशाला) को 'होम स्टे' में बदलकर पर्यटकों के लिए खोल दिया। इसके साथ ही उन्होंने गांव की महिलाओं को होम स्टे से जुड़े आतिथ्य, भोजन, ट्रैकिंग और गांव भ्रमण की ट्रेनिंग भी दी।
मथोली गांव उत्तरकाशी उत्तराखंड
Photograph: (Google)

महिलाएं बना रहीं हैं छानियों को ‘होम स्टे’

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प्रदीप पंवार ने मथोली गांव को 'ब्वारी गांव' के नाम से ब्रांड किया और घस्यारी प्रतियोगिता जैसे आयोजन कर पर्यटकों को ग्रामीण जीवन का अनोखा अनुभव दिया, जो उन्हें काफी पसंद आया। गांव की महिला अनीता पंवार बताती हैं कि अब अन्य महिलाएं भी अपनी छानियों को ‘होम स्टे’ में बदलने के लिए आगे आ रही हैं।

5331 होम स्टे दर्ज हैं पर्यटन विभाग में

प्रदीप ने 8 मार्च, 2022 को अपने “होम स्टे” की शुरुआत की थी। अब तक लगभग एक हजार पर्यटक “होम स्टे” सेवाएं ले चुके हैं। प्रदीप की इस पहल से 20 महिलाओं को भी रोजगार मिला है। उन्होंने अपने होम स्टे को पर्यटन विभाग में पंजीकृत करवा लिया है, जिससे अब ऑनलाइन बुकिंग भी संभव है। विभाग के अनुसार, फिलहाल राज्य में 5331 होम स्टे पंजीकृत हैं, जिनमें से अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।
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मथोली गांव उत्तरकाशी उत्तराखंड
Photograph: (Google)

सरकार देती है 25 से 33 प्रतिशत तक सब्सिडी

पंडित दीन दयाल उपाध्याय ‘होम स्टे’ योजना के तहत राज्य सरकार मैदानी क्षेत्रों में 25 प्रतिश और पहाड़ी क्षेत्रों में 33 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान करती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मथोली गांव न केवल पर्यटन बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी उदाहरण है। जो भी परिवार होम स्टे शुरू करना चाहता है, सरकार उस परिवार को हरसंभव मदद और योजना का लाभ देगी। मथोली गांव बाकी लोगों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।

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