नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
भारत ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रयान-3 की मदद से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ़्ट लैंडिंग की थी। इस उपलब्धि के साथ भारत चंद्रमा पर सॉफ़्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश है। चंद्रमा लैंडिंग साइट को अब ‘शिव शक्ति प्वाइंट’ के नाम से जाना जाता है। इसरो के वैज्ञानिकों की नई स्टडी के अनुसार, लैंडिंग साइट वाले इलाके की उम्र लगभग 3.7 अरब साल आंकी गई है। इसरो के फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL), अहमदाबाद की वैज्ञानिक टीम ने मॉर्फोलॉजिकल और टोपोग्राफिक एनालिसिस कर यह निष्कर्ष निकाला है।
शिवशक्ति पोइंट की उम्र
लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) के वाइड-एंगल कैमरा और टेरेन कैमरा का इस्तेमाल कर क्रेटर और चट्टानों की स्टडी कीर गई। 25 क्रेटर्स (500-1,150 मीटर व्यास के) का एनालिसिस कर लैंडिंग साइट की उम्र 3.7 अरब साल आंकी गई। आसपास के रग्ड टेरेन और हाई-रिलीफ स्मूथ प्लेन्स में 23 और 5 क्रेटर्स की स्टडी से भी इसी उम्र की पुष्टि हुई। इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रमा की सतह माइक्रो-मेटियोराइट बमबारी और तापीय उतार-चढ़ाव के कारण निरंतर परिवर्तित होती रहती है। लाखों वर्षों में यह चट्टानें टूटकर रेगोलिथ में बदल गई हैं।
रोवर ने कई क्रेटर की पहचान की थी
PRL वैज्ञानिकों का कहना है कि इन बड़े क्रेटर्स के प्रभाव से विशाल मात्रा में मलबा चारों ओर फैला होगा, जिससे लैंडिंग साइट का भूगोल आकार ले चुका है। प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर कई चट्टानों की पहचान की, जिनमें से कुछ 1 सेमी से बड़े थे। एक फ्रेश क्रेटर, जो लैंडिंग साइट से 14 किमी दक्षिण में है, के पास सबसे अधिक चट्टानों की मात्रा पाई गई।
इस क्षेत्र में स्पेस वेदरिंग का प्रभाव अपेक्षाकृत कम था, जिससे संकेत मिलता है कि यह क्रेटर अपेक्षाकृत नया हो सकता है। 9.1% (5,764 में से 525) चट्टानें 5 मीटर से अधिक लंबी थीं, और इनमें से 428 चट्टानें इसी फ्रेश क्रेटर के पास मिलीं। लैंडिंग क्षेत्र की सबसे बड़ी दो चट्टानें (17 मीटर से अधिक लंबी) इसी फ्रेश क्रेटर के पास देखी गईं।
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