नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
अंतरिक्ष में ब्लैक होल हमेशा से ही शोध का विषय रहा है। आसमान में यदि कोई तारा ब्लैक होल का चक्कर लगाता है तो दूर से देखने पर ऐसा लगेगा कि वह खाली जगह का चक्कर लगा रहा है। आकाश में होने वाली इस घटना को समझने के लिए ज़मीन पर स्थित दूरबीनें इस बात पर नज़र रखती हैं कि तारे से आने वाला प्रकाश डॉपलर प्रभाव द्वारा किस तरह से अपनी जगह बदलता है। वैज्ञानिकों ने इस जानकारी को एक साथ जोड़कर तारे और खाली जगह के द्रव्यमान का अनुमान लगाया है।
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Gaia बीएच3 है नया ब्लैक होल
वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के करीब छिपे हुए Gaia बीएच3 नाम के बहुत बडे ब्लैक होल की खोज की है, जो अपनी तरह का तीसरा ब्लैक होल है। तीनों की खोज यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के Gaia टेलीस्कोप द्वारा की गई, जो 2013 से हमारी आकाशगंगा में अरबों तारों की गति पर लगातार नज़र रख रहा है।
अभी तक का सबसे नजदीक
खगोलविदों ने इसको Gaia बीएच1 नाम दिया है। यह लगभग 1,560 प्रकाश वर्ष दूर है और यह पृथ्वी से अब तक का सबसे निकटतम ब्लैक होल है। यह दूरी मिल्की वे की चौड़ाई का 1.4% है। आकाशगंगा के केंद्र में स्थित ब्लैक होल 26,670 प्रकाश वर्ष दूर है।
ब्लैक होल क्या है
ब्लैक होल हमेशा से ही धरती वासियों के लिए आकर्षक रहा है। वे अपने आस-पास स्पेसटाइम को इस तरह से मोड़ते हैं कि उनके करीब आने वाली कोई भी चीज़, यहाँ तक कि प्रकाश भी, ब्रह्मांड में वापस नहीं जा सकता। ब्लैक होल को ‘कृष्ण विविर ’ भी कहा जाता है। यह अंतरिक्ष में एक ऐसा क्षेत्र है, जहां गुरुत्वाकर्षण सबसे ज्यादा है। ये गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक है कि इसमें जाने वाली कोई चीज लौटकर वापस नहीं आती है। इस पर फिजिक्स का कोई भी नियम काम नहीं करता है। ब्लैक होल अपने आस-पास के वातावरण पर पड़ने वाले अनोखे प्रभावों के कारण अभी भी दिखाई नहीं देता है। जब पदार्थ ब्लैक होल के चारों ओर घूमता है, तो वह संकुचित होता है, गर्म होता है और एक्स-रे पैदा करता है। आकाशगंगा में लगभग एक हज़ार ब्लैक होल हैं, जो एक्स-रे पैदा करते हैं।
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