नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
गर्मी का मौसम आने वाला है, ऐसे में अभी से पानी कि चिंता सताने लगी है। अक्सर मई-जून के महीने में लोग पानी की समस्या से जूझते हैं। जलावायु परिवतर्न के कारण धरती के नीचे पाये जाने वाले पानी में भी कमी आती है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसको लेकर अध्ययन किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन के पानी पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया।
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जर्मनी में किया गया शोध
शोधकर्ताओं ने 2014 से 2021 तक किए गए इस अध्ययन में जर्मनी में तीन अलग-अलग aquifer प्रणालियो की जांच की, जिसमें हैनिच क्रिटिकल ज़ोन एक्सप्लोरेटरी (CZE), साले-एलस्टर-सैंडस्टीनप्लाटे ऑब्ज़र्वेटरी (SESO), और फ़ोर्सचुंगस्टेशन लिंडे का सहयोग लिया गया। शोधकर्ताओं ने 254 कुओं और 268 मिट्टी के रिसाव के नमूनों का उपयोग किया। इससे उन्हें भूजल की गुणवत्ता में परिवर्तन की जांच करने और मिट्टी और भूजल के पर मौसम संबंधी कारकों के प्रभावों की जांच करने की अनुमति दी।
DI-HR-MS तकनीक का किया इस्तेमाल
पानी की गुणवत्ता में होने वाले बदलावों की निगरानी और बेहतर तरीके से समझने के लिए एक नई तकनीक, डायरेक्ट-इन्फ्यूजन अल्ट्रा हाई-रिज़ॉल्यूशन मास स्पेक्ट्रोमेट्री (DI-HR-MS) का इस्तेमाल किया गया। DI-HR-MS नमूनों का पृथक्करण किए बिना सीधे विश्लेषण करता है, जिससे भूजल के नमूने में मौजूद पार्टीकल्स के बारे में अत्यधिक सटीक और विस्तृत जानकारी मिलती है। इस तकनीक ने घुले हुए कार्बनिक पदार्थ (DOM) का विस्तृत अध्ययन करने में सक्षम बनाया। इससे भूजल की गुणवत्ता और वहाँ रहने वाले सूक्ष्मजीव समुदायों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिलती है।
भूजल कई तरह से प्रभावित होता है
तापमान का प्रभाव- बढते तापमान का भूजल पर गहरा प्रभाव पडता है। इससे धरती के 100 मीटर तक की गहराई तक इसका प्रभाव पडता है।
बारिश का प्रभाव- अनियमित बारिश भी भूजल को प्रभावित करती है। इससे बाढ आने का खतरा रहता है।
महासागरों के स्तर में वृद्धि- ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ने से खारे पानी और मीठे पानी के बीच हाइड्रोलिक ग्रेडिएंट बढ़ सकता है। तटीय क्षेत्र में ये रिसकर अंदर चला जाता है। इससे भूजल पर विपरीत असर पडता है।
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