नई दिल्ली, आईएएनएस। सेमीकंडक्टर डिजाइन में कुल वर्कफोर्स का करीब 20 प्रतिशत भारत में है और देश की चिप मांग वर्तमान में 45-50 बिलियन डॉलर है, जो 2030 तक 100-110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह जानकारी केंद्र सरकार ने दी है।
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सेमीकंडक्टर रेडी वर्कफोर्स तैयार
एमईआईटीवाई के सचिव एस. कृष्णन ने इस लक्ष्य का प्राप्त करने के लिए, इनोवेशन और टैलेंट डेवलपमेंट को बढ़ावा देते हुए नैनो सेंटर की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो 85 हजार प्रोफेशनल का सेमीकंडक्टर रेडी वर्कफोर्स तैयार कर रहे हैं।
आईआईएससी बेंगलुरु के नेशनल साइंस सेमिनार कॉम्प्लेक्स में पहले ‘नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स रोड शो’ में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कार्यक्रम मंत्रालय और सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने का प्रतीक है, जिसमें सरकार भारत के तकनीकी और औद्योगिक भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभार रही है।
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दुनिया के सबसे व्यापक सब्सिडी
कृष्णन ने उपस्थित लोगों से कहा, "मंत्रालय का मुख्य ध्यान भारत सेमीकंडक्टर मिशन को आगे बढ़ाने के लिए सभी अलग-अलग प्रयासों को एक साथ लाना है, जो दुनिया के सबसे व्यापक सब्सिडी और अनुदान कार्यक्रमों में से एक है। प्रमुख सेमीकंडक्टर सुविधाओं में लगभग 70-75 प्रतिशत निवेश करदाताओं के पैसे से आता है, इसलिए प्रत्येक भारतीय इस मिशन में एक हितधारक है।"
रोड शो में 100 से अधिक बौद्धिक संपदा (आईपी), 50 से अधिक ग्राउंड ब्रेकिंग तकनीक और 35 से अधिक होनहार स्टार्टअप के इनोवेशन को प्रदर्शित किया गया। रोड शो ने 700 से अधिक उद्योग जगत के नेताओं, नीति निर्माताओं और शिक्षाविदों के लिए भारत के नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम को मजबूत करने की रणनीतियों के तहत सहयोग के क्षेत्रों का पता लगाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया।
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दुनिया से जुड़ी समस्याओं को हल
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी अभिषेक सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि टेक्नोलॉजी हमारे सभी जीवन में क्रांति ला रही है। उन्होंने कहा, "भारत एआई मिशन के तहत, आईएनयूपी कार्यक्रम और अन्य पहलों के माध्यम से, स्टार्टअप, उद्यमी और शोधकर्ता वास्तविक दुनिया से जुड़ी समस्याओं को हल कर रहे हैं, जिससे भारत अत्याधुनिक तकनीक के मामले में सबसे आगे आ रहा है।"
उन्होंने आगे कहा, "आईआईएससी, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली और अन्य संस्थानों के प्रयासों के साथ, हम एक ऐसा इकोसिस्टम बना रहे हैं जो सुनिश्चित करता है कि भारत इस क्रांति में सबसे आगे रहे।"
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