नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
जल स्त्रातों का होना जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। बिना इसके जीवन एक कल्पना मात्र है। धरती के बढते तापमान ने इन जल स्त्रातों को खतरे में डाल दिया है। नदियाँ और जलधाराएँ पृथ्वी के चारों ओर लाखों मील लम्बे नेटवर्क को जोडती हैं, जो व्यापार को बढ़ावा देती हैं, पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित करती हैं, तथा मीठे पानी के भण्डार को बनाए रखती हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने नदियों का डेटा का पता लगाने के एक नया एप बनाया है।
खोज के लिए संसाधनों की है कमी
जलविज्ञानी नदियों और धाराओं के अध्ययन में अपना पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं। उनका कहना है कि वे बहुत सीमित संसाधनों के साथ इन पर शोध करते हैं। पूरी दुनिया में मात्र 3000 ही ऐसे नदी गेज स्टेशन हैं, जो इनसे सम्बंधित डेटा को सुरक्षित रखते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतने कम संसाधनों में पूरी दुनिया के बारे में पता लगाना काफी मुश्किल है।
एक्सपर्ट की राय
मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, एमहर्स्ट में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग के आर्मस्ट्रांग प्रोफेशनल डेवलपमेंट प्रोफेसर कॉलिन ग्लीसन ने कहा, "नदी का अध्ययन करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप खुद भी नदी का दौरा करें। नदी का अध्ययन करने का दूसरा सबसे अच्छा तरीका नदी गेज का उपयोग करना है।"
कॉन्फ्लुएंस से काम होगा आसान
प्रमुख शोधकर्ता ग्लीसन और 30 से अधिक शोधकर्ताओं की टीम ने 'कॉन्फ्लुएंस', नाम का एक सोफ्टवेयर बनाया है जो, जो नासा के सरफेस वाटर एंड ओशन टोपोग्राफी (SWOT) मिशन और हार्मोनाइज्ड लैंडसैट सेंटिनल-2 आर्काइव (HLS) से डेटा का उपयोग करता है , ताकि पृथ्वी पर 50 मीटर से अधिक चौड़ी हर नदी में नदी के बहाव और उनके वाटर लेवल का अनुमान लगाया सके। नासा का फिजिकल ओशनोग्राफी डिस्ट्रिब्यूटेड एक्टिव आर्काइव सेंटर (PO.DAAC) इस सॉफ्टवेयर को होस्ट करता है। इससे दुनिया भर के विज्ञानी इसका मुफ्त में इसका उपयोग कर सकते हैं।
कॉन्फ्लुएंस पहली बार जलविज्ञानी वैश्विक स्तर पर नदी के आकार और जल गुणवत्ता पर मॉडल बना सकते हैं। HLS डेटा का उपयोग करके जलस्त्रोतों का अनुमान लगाने के लिए मौजूदा वर्कफ्लो की तुलना में, कॉन्फ्लुएंस 30 गुना तेज है।
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