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Earth के इस बदलाव से आप भूल जाएंगे घर का रस्‍ता !

वैज्ञानिक धरती की भौगोलिक स्थिति में बदलाव होने का संकेत दे रहे हैं। इससे जीपीएस पर असर पड सकता है। हालांकि शोधकर्ता इस घटना का अध्‍ययन कर रहे हैं।

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Suraj Kumar
GPS SYTEM DOWN
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

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धरती के उत्‍तरी और दक्षिणी भाग में चुम्‍बकीय क्षेत्र पाया जाता है। हमें विज्ञान में यह पढाया जाता है कि जब हम किसी लोह की धातु को स्‍वतंत्र रूप से छोडते हैं तो उसकी दिशा हमेशा उत्‍तर और दक्षिण दिशा की तरफ ही होती है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसको लेकर एक बडी अपडेट जारी की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के उत्‍तरी चुम्‍बकीय क्षेत्र की पोजीशन अब बदल रही है। 

वैज्ञानिकों ने उत्तरी चुंबकीय ध्रुव की स्थिति को ट्रैक करने वाला एक नया मॉडल जारी किया है। इसमें बताया गया है कि ये पहले कनाडा की तरफ था, लेकिन अब ये रूस के साइबेरिया की तरफ बढ रहा है। चुंबकीय उत्तरी ध्रुव की स्थिति पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा निर्धारित होती है, जो निरंतर बदलती रहती है। ऐसा बताया जा रहा है कि पिछले सौ सालों में इसकी पोजीशन 400 किलोमीटर तक बदल चुकी है। 

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रुस के साइबेरिया की तरफ हो रहा है शिफ्ट 

पिछले कुछ  समय में चुंबकीय उत्तरी ध्रुव की गति अभूतपूर्व रही है। हाल के दिनों में चुंबकीय उत्तरी ध्रुव तेजी से रूस की ओर बढ़ा है और ये एक मोड पर आकर इसकी गति धीमी हो गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि वे इसका लगातार अध्‍ययन कर रहे हैं, लेकिन इसका कोई ठोस कारण अभी तक सामने नहीं आया है। 

धरती वासियों को हो सकती है दिक्‍कत 

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इंसान एक जगह से दूसरी जाने के लिए नेवीगेशन का इस्‍तेमाल करते हैं। चुम्‍बकीय क्षेत्र में होने वाले इस बदलाव से धरती पर कुछ दिक्‍कत आ सकती है।  विमान और जहाज ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम का उपयोग करके चुंबकीय उत्तर का पता लगाते हैं। इसको 1990 में बनाया गया था। वैज्ञानिकों ने  ब्रिटिश भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन द्वारा विकसित, यह मॉडल चुंबकीय उत्तर की स्थापित स्थिति को नोट करता है। GPS माप की सटीकता को बनाए रखने के लिए, हर पांच साल में शोधकर्ता WMM में बदलाव करते हैं। 

क्‍या है WMM

इसका पूरा World Magnetic Model, Wi-Fi Multimedia, or Wet Mix Macadam है। इसका उपयोग नेवीगेशन के लिए किया जाता है। धरती के चुम्‍बकीय क्षेत्र में होने वाले बदलाव के चलते हर पांच साल में इसको अपडेट किया जाता है।  

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