नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
परमाणु कचरा बहुत ही खतरनाक होता है। ये लम्बे समय से वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा रहा था, लेकिन शोधकर्ताओं ने इसका तोड़ निकाल लिया है। हाल ही में अमेरिका के आहायो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को परमाणु कचरे से बैटरी बनाने में बड़ी सफलता हाथ लगी है। उन्होंने ऐसी तकनीक का अविष्कार किया है, जिसके माध्यम से इस कचरे को ऊर्जा में बदला जा सकता है। इससे बनने वाली बैटरी को सालों तक चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होगी। नेक्स्ट जनरेशन की इस बैटरी में परमाणु विकरण से माइक्रोचिप को भरपूर ऊर्जा मिल सकेगी। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इस बैटरी का साइज एक उंगली के बराबर है।
कहां पर कर सकेंगे इस्तेमाल, ऐसा पैदा होगी ऊर्जा
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बैटरी का इस्तेमाल बड़े- बड़े मिशनों में किया जा सकेगा। इस नई खोज से एनर्जी की कमी को दूर किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने बताया कि इससे बनी बैटरी को अंतरिक्ष और समुद्र के अध्ययन के लिए प्रयोग किया जा सकेगा। प्रमुख शोधकर्ता और मैकेनिकल एयरोस्पेस इंजीनियर रेमंड काओ के अनुसार परमाणु ईधन से निकलनी वाली गामा किरणों को रोशनी में बदला जा सकता है और सोलर सेल के माध्यम से इसको बिजली में बदला जा सकता है। परमाणु कचरा बहुत ही खतरनाक होता है, हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बैटरी से किसी को भी कोई नुकसान होगा। बैटरी पूरी तरह से सेफ है।
मात्र 4 क्यूबिक सेंटीमीटर है बैटरी का साइज
इस बैटरी का साइज एक उंगली के बराबर है। ऑडियो यूनिवर्सिटी का दावा है कि अमेरिका में करीब 20 फीसदी बिजली का उत्पादन परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से होता है। राहत की बात ये है कि इससे ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि उत्सर्जन रोकने की दिशा में ये तकनीक बड़ा बदलाव ला सकती है। इस बैटरी की सबसे बड़ी विशेषता है कि ये बिना चार्जिंग और रखरखाव के ऊर्जा देती रहेगी। प्रयोग के तौर पर बनी बैटरी एक अंगुली से भी छोटी है बड़ी बैटरी बनाने के बाद बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी।