नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
अक्सर लोग चांद को लेकर उत्साहित रहते हैं। फिल्मों से लेकर आम जीवन तक चांद का गहरा प्रभाव रहा है। लोग चांद पर प्लॉट तक लेने की बात करते हैं, भले ही यह बात मजाक में ही कही जाती हो। वैज्ञानिक चांद का सतत अध्ययन कर रहे हैं कि क्या चांद पर जीवन को संभव बनाया जा सकता है? वैज्ञानिक चंद्रमा को डैड मानते हैं, लेकिन हाल में इसके नीचे छुपे हुए रहस्यों का खुलासा हुआ है।
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नई लकीरों से मिले जीवित होने के प्रमाण
चांद पर मिले कुछ सबूत बताते हैं कि अरबों साल पहले इस पर एक दबाव पडा था और तब से ठोस लावा से भरी चंद्रमा की सतह डैड हो गई थी। शोधकर्तओं की टीम ने मानचित्र और मॉडलिंग तकनीकों का उपयोग करके चंद्रमा के एक भाग पर 266 नई लकीरों की खोज की है। ये नई लकीरें पहले से मॉजूद लकीरों से काफी नई हैं।
शोधकर्ताओं ने क्या कहा
प्रमुख शोधकर्ता जैकलिन क्लार्क ने कहा, "हम देख रहे हैं कि ये Tectonic landforms पिछले एक अरब वर्षों में हाल ही में एक्टिव हुई हैं और आज भी एक्टिव हो सकती हैं। ये छोटी समुद्री लकीरें पिछले 200 मिलियन वर्षों के भीतर बनी प्रतीत होती हैं, जो कि चंद्रमा के समय को देखते हुए बिल्कुल नई हैं।"
क्लार्क ने बताया, "वास्तव में, किसी सतह पर जितने अधिक क्रेटर होते हैं, वह उतनी ही पुरानी होती है; सतह के पास और अधिक क्रेटर जमा होने के लिए अधिक समय होता है। इन छोटी लकीरों के आस-पास के क्रेटरों की गिनती करने और यह देखने के बाद कि कुछ लकीरें मौजूदा प्रभाव क्रेटरों को काटती हैं, हमारा मानना है कि ये landforms पिछले 160 मिलियन वर्षों में टेक्टोनिक रूप से एक्टिव थीं।"
चंद्रमा के एक भाग बनी लकीरें दूसरे भाग पर बनी के ही समान दिखती हैं। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इनका निर्माण एक ही फोर्स द्वारा हुआ है।
जीवन की संभावना को मिलेगा बल
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले कुछ दशकों में वैज्ञानिक चंद्रमा पर रहने लायक माहौल बना सकते हैं।
चंद्रमा की सतह के नीचे थोड़ी गहराई में खुदाई करने से चंद्र जीवन के लिए अधिक सबूत मिल सकते हैं।
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