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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क |
अमेरिका ने आज ही के दिन सन 1954 में हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया था | यह मानव इतिहास में उस समय तक का सबसे बड़ा विस्फोट था। इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह बम अमेरिका द्वारा दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा को नष्ट करने वाले परमाणु बम से एक हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली था।
कहां किया गया परीक्षण
अमेरिका द्वारा कैसल ब्रावो, ऑपरेशन कैसल के हिस्से के रूप में मार्शल द्वीप के बिकिनी एटोल में अमेरिका द्वारा किए गए उच्च-उपज वाले थर्मोन्यूक्लियर हथियार डिज़ाइन परीक्षणों की शृंखला में पहला था। 1 मार्च 1954 को विस्फोटित, यह उपकरण अमेरिका द्वारा अब तक विस्फोटित सबसे शक्तिशाली परमाणु उपकरण बना हुआ है | कैसल ब्रावो की उपज 15 मेगाटन टीएनटी थी, जो कि अनुमानित 6 मेगाटन से 2.5 गुना अधिक थी, जो लिथियम-7 से जुड़ी अप्रत्याशित अतिरिक्त प्रतिक्रियाओं के कारण थी, जिसके कारण आसपास के क्षेत्र में रेडियोधर्मी संदूषण हुआ।
हिरोशिमा और नागासाकी की बॉम्बिनगस
अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में 6 और 9 अगस्त 1945 को किए गए नूक्लीअर हमलों का असर आज भी जापान में देखा जा सकता है | इन दोनों बॉम्बिनगस से जापान में भारी तबाही मच गई थी, हजारों लोगों की जान गई थी | ये दोनों बम उस समय के काफी छोटे न्यूक्लियर बम थे, जिसने इतनी भारी तबाही मचा दी थी |
13000 नूक्लीअर हथियार
आज दुनिया के 9 देश न्यूक्लियर हथियार समृद्ध देश हैं | अमेरिका, रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान, फ़्रांस, यूके, इस्राइल और नॉर्थ कोरिया | इन 9 देशों के पास 13000 न्यूक्लियर हथियार हैं, जिसमे से अमेरिका और रूस के पास अकेले कुल 90% हथियार हैं| हिरोशिमा और नागासाकी के बाद दुनिया में आज तक कभी न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल नहीं हुआ है| अगर आज इन न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल होता है तो होने वाली तबाही का मंज़र आप अनुमान भी नहीं लगा सकते हैं |