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Manipur Vidhansabha सत्र रद्द करने पर कांग्रेस ने भाजपा पर दागे सवाल, राज्यपाल पर आरोप

कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि राज्यपाल अजय कुमार भल्ला विधानसभा का सत्र नहीं बुलाकर अनुच्छेद 174(1) का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं?। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर है।

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Mukesh Pandit
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Photograph: (x)

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि मणिपुर विधानसभा का प्रस्तावित सत्र  अचानक  रद्द कर दिया गया क्योंकि भारतीय जनता पार्टी अब तक नया मुख्यमंत्री तय नहीं कर सकी है। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि राज्यपाल अजय कुमार भल्ला विधानसभा का सत्र नहीं बुलाकर अनुच्छेद 174(1) का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं?। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर है। फिलहाल, अगली नियुक्ति तक बीरेन सिंह ही कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।

राज्यपाल कर रहे हैं संविधान प्रक्रिया का उल्लंघन

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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "मणिपुर विधानसभा के सत्र की संवैधानिक रूप से अनिवार्य बैठक का आज आखिरी दिन है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 (1) में प्रावधान है कि विधानसभा सत्र की अंतिम बैठक और अगले विधानसभा सत्र की पहली बैठक के बीच छह माह से अधिक का अंतर नहीं हो सकता है।" उन्होंने सवाल किया, "मणिपुर के राज्यपाल अपने संवैधानिक रूप से अनिवार्य विधानसभा सत्र के लिए मणिपुर विधानसभा की बैठक को न बुलाकर अनुच्छेद 174(1) का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं?" रमेश ने दावा किया कि सत्र को अमान्य घोषित कर दिया गया, क्योंकि भाजपा मुख्यमंत्री के उत्तराधिकारी की नियुक्ति नहीं कर सकी जिसके खिलाफ कांग्रेस  अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली थी। 

इस्तीफे से उठे अनेक सवाल

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इससे पहले मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह के इस्तीफे पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा था, "... हम विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले थे और उससे 14 घंटे पहले एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया। सीएम पद के कई संभावित उम्मीदवार हैं, लेकिन भाजपा किसी नाम पर फैसला नहीं कर पा रही है। राज्यपाल ने एक अध्यादेश जारी कर इस्तीफे को अमान्य घोषित कर दिया। यह संविधान का उल्लंघन है। यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि मणिपुर में संवैधानिक तंत्र ध्वस्त हो गया है..."

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भारी दवाब के बाद भी नहीं दिया था इस्तीफा

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उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग दो बरस से मणिपुर हिंसा की आग में झुलस रहा था। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद सियासी बवाल तेज हो गया है, विपक्ष की तमाम राजनीतिक पार्टियां इस मामले पर हमलावर हैं। इस बवाल की वजह ये है कि बीरेन सिंह का ये इस्तीफा राज्य में दो साल से जारी हिंसा के बाद आया है। जिसके बाद सवाल उठता है कि बीरेन सिंह का ये इस्तीफा पहले क्यों नहीं आया, और अगर अब आया है तो इसकी वजह क्या है।

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हिंसा की शुरुआत मई 2023 में हुई

आपको बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच संघर्ष चल रहा है, जिसमें अब तक 250 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। मणिपुर में हिंसा की शुरुआत मई 2023 में हुई जब मैतेई समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई। इस फैसले का कुकी समुदाय ने विरोध किया, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क उठे। सरकार द्वारा शांति बहाल करने के प्रयासों के बावजूद स्थिति लगातार बिगड़ती गई। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर एकतरफा कार्रवाई करने और कुकी समुदाय की चिंताओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया गया है। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि सरकार के ढीले रवैये के कारण हिंसा पर काबू नहीं पाया जा सका।

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