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वर्तमान समय में कई देशों में मौत की सजा (मृत्युदंड) का प्रावधान मौजूद है, हालांकि इसका उपयोग और तरीके अलग-अलग हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे मानवाधिकार संगठन के अनुसार, वर्ष 2024 तक लगभग 58 देशों में मौत की सजा कानूनन लागू है, हालांकि सभी सक्रिय रूप से इसे लागू नहीं करते। कुछ प्रमुख देश जहां मौत की सजा का प्रावधान है और इसे नियमित रूप से लागू किया जाता है। यही नहीं, चौंकाने वाला तथ्य है कि सभी देशों में सजा-ए-मौत देने का तरीका भी अलग-अलग है। भारत में फांसी पर चढ़ाने का तरीका है तो चीन जैसे कम्युनिस्ट देश में घातक इंजेक्शन से सजा-ए-मौत दी जाती है। आइए जानते हैं किस देश में कैसे दी जाती है मौत की सजा?
मौत की सजा का प्रावधान वाले देश
चीन: दुनिया में सबसे अधिक मृत्युदंड देने वाला देश माना जाता है। हालांकि आंकड़े गोपनीय रखे जाते हैं, लेकिन अनुमान है कि हर साल हजारों लोगों को फांसी दी जाती है।
तरीका : गोली मारना या घातक इंजेक्शन।
ईरान: मृत्युदंड का व्यापक उपयोग, खासकर ड्रग तस्करी, हत्या और "इस्लाम के खिलाफ अपराध" के लिए।
तरीका: फांसी या कभी-कभी पथराव।
सऊदी अरब: शरिया कानून के तहत हत्या, बलात्कार, ड्रग तस्करी और आतंकवाद के लिए मौत की सजा।
तरीका: सिर कलम करना (बर्बरता के साथ सार्वजनिक रूप से)।
संयुक्त राज्य अमेरिका: कुछ राज्यों में मृत्युदंड लागू है (जैसे टेक्सास, अलबामा)।
तरीका: घातक इंजेक्शन, इलेक्ट्रिक चेयर, या नाइट्रोजन गैस (हाल ही में शुरू)।
जापान: "रेयर" मामलों में फांसी दी जाती है, जैसे सामूहिक हत्या।
तरीका: गुप्त रूप से फांसी।
पाकिस्तान: हत्या, आतंकवाद और ईशनिंदा के लिए मृत्युदंड।
तरीका: फांसी।
इराक: आतंकवाद और हत्या के लिए।
तरीका: फांसी।
उत्तर कोरिया: राजनीतिक अपराधों सहित कई मामलों में मृत्युदंड।
तरीका: गोली मारना या सार्वजनिक निष्पादन।
मिस्र: सैन्य और नागरिक अपराधों के लिए।
तरीका: फांसी।
सिंगापुर: ड्रग तस्करी और हत्या के लिए सख्त कानून।
तरीका: फांसी।
पथराव- अफगानिस्तान और सूडान में अभी भी दुर्लभतम अपराध के दोषियों को पथराव के जरिए मार दिया जाता है। इस सजा देने के पीछे दोनों देश कुरान के नियमों का हवाला देते हैं।
फायरिंग- सूडान, यमन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान, थाईलैंड, बहरीन, चिली, इंडोनेशिया, घाना, अर्मीनिया, चीन समेत 78 देशों में गोली मारकर हत्या कर दी जाती है। इन देशों का मानना है कि इससे इंसान को दर्द कम होता है।
इंजेक्शन- चीन और फिलीपींस समेत कई देशों में इंजेक्शन के जरिए मौत की सजा दी जाती है। इंजेक्शन से मारने की प्रक्रिया में सबसे पहला इंजेक्शन शरीर को सुन करता है और फिर दूसरा इंजेक्शन से जहर से भरा होता है।
इलेक्ट्रोक्यूशन- मौत देने का यह तरीका अमेरिका में प्रयोग किया जाता है। इसमें बिजली के ज्यादा पावर का झटका दंडित व्यक्ति को दिया जाता है, जिससे उसकी मौत हो जाती है। यह प्रक्रिया डॉक्टरों की निगरानी में पूरी की जाती है।
जहरीला गैस चैंबर- यह तरीका भी सिर्फ अमेरिका में प्रयोग किया जाता है। इसमें सजायाफ्ता को एक एयर टाइट चैंबर में कुर्सी पर बैठाकर बांध दिया जाता है। साथ ही कुर्सी के नीचे एक सल्फ्यूरिक एसिड की बाल्टी रखी होती है, जिसमें क्रिस्टल सोडियम सायनाइड छोड़ा जाता है। दोनों के रिएक्शन से हाइड्रोजन सायनाइड गैस निकलता है। इसी जहरीली गैस के दंडित व्यक्ति की मौत हो जाती है।
इसके अलावा, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, यमन, कतर, और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे देशों में भी मौत की सजा का प्रावधान है। कुछ देशों में यह केवल युद्धकाल या असाधारण परिस्थितियों में लागू होता है, जैसे दक्षिण कोरिया और ताइवान। दूसरी ओर, 112 देशों ने मृत्युदंड को पूरी तरह समाप्त कर दिया है, खासकर यूरोप और लैटिन अमेरिका में।
फांसी ही मृत्युदंड का सबसे बेहतरीन तरीका?
जर्नल ऑफ न्यूरो सर्जरी की एक रिपोर्ट के अुसार, भारत समेत दुनिया के 58 देशों में मृत्युदंड के लिए फांसी सबसे बेहतरीन तरीका माना गया है। दुनिया के 33 देशों में तो फांसी ही मृत्युदंड देने का एकमात्र जरिया है। आजादी के बाद से भारत में सभी फांसी की सजा फंदे पर लटकाकर दी गई है। यह जानना भी रोचक है भारत में पहली फांसी की सजा महात्मा गांधी की हत्या के बाद नाथू राम गोडसे को दी गई थी। फांसी देते वक्त इंसान का गर्दन टूट जाती है, जिससे उसके शरीर से ब्रेन का संपर्क खत्म हो जाता है। ऐसे में इंसान को मौत के वक्त कम दर्द होता है। हालांकि, अब नए खोज आने के बाद इसको लेकर बहस शुरू हो गई है। आइए जानते हैं दुनिया के देशों में अभी मृत्युदंड कैसे दी जा रही है?
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फांसी देने का कांसेप्ट अंग्रेज विलियम मारवुड ने दिया था। भारत में फांसी की सजा अंग्रेजों ने ही शुरू की थी।
ड्रैकुला और फ्रांस का खूंखार तरीका
15वीं शताब्दी में रोमानिया के वासलिया के राजा बने व्लाद थर्ड, बाद में उसने अपना नाम ड्रैकुला रख लिया. इतिहासकारों के मुताबिक युद्ध में ड्रेकुला पहले तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य के खिलाफ हार गया। इसके बाद उसने दूसरी बार जंग की तैयारी शुरू की। युद्ध में युद्धबंदियों को ड्रैकुला खूंखार तरीके से मृत्युदंड देता था। वो दंडित व्यक्तियों के सिर पर भाले मार देता था और भाले को उसी में छोड़ देता था। कई इतिहासकारों ने दावा गया है कि ड्रैकुला को खून पीने की भी आदत थी।
गिलेटिन की सजा
फ्रांस की क्रांति के समय गिलेटिन से सजा देने को भी खूंखार माना जाता है। लुईस 16वां आंदोलनकारियों को गिलोटिन पर मरवाने का आदेश देता था। इसमें दंडित व्यक्तियों को पहले गिलोटिन पर सुलाया जाता था। इसके बाद उसके गर्दन पर एक नुकीला ब्लेड नुमा हथियार गिरता था, जिससे उसका सिर अलग हो जाता था। मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर जब सत्ता में आए तो उन्होंने भी इसे बरकरार रखा। लुईस 16वां को भी इसी तरीके से मौत दी गई। मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर ने अपने वक्त में करीब 17 हजार लोगों को गिलोटिन पर लिटा कर मरवाने का हुक्म दिया था। बाद में फ्रांस की अदालत ने रोबेस्पियर को फांसी की सजा सुनाई थी।