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नई दिल्ली, आईएएनएस। राहुल गांधी की ओर से चुनाव आयोग पर लगाए गए 'वोट चोरी' के गंभीर आरोपों पर आयोग ने सख्ती दिखाई है। चुनाव आयोग ने इस पूरे मामले की जांच करने के लिए राहुल गांधी से हलफनामा देने की मांग की है। सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने कहा कि यदि राहुल गांधी को अपने विश्लेषण पर भरोसा है और वे चुनाव आयोग के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सच मानते हैं, तो उन्हें बिना किसी हिचकिचाहट के घोषणा-पत्र (डिक्लरेशन) पर हस्ताक्षर करने चाहिए। लगता है चुनाव आयोग इस मामले को लेकर आमने-सामने आ गया है। आयोग ने कहा कि यदि राहुल गांधी इस घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर नहीं करते, तो इसका सीधा अर्थ होगा कि उन्हें अपने ही विश्लेषण और उसके आधार पर लगाए गए आरोपों पर विश्वास नहीं है। ऐसे में, चुनाव आयोग के खिलाफ लगाए गए 'बेतुके आरोपों' के लिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
राहुल गांधी के पास अब केवल दो विकल्प
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने आगे कहा है कि राहुल गांधी के पास अब केवल दो विकल्प हैं, या तो घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करके अपने आरोपों को साबित करें, या फिर बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए राष्ट्र से सार्वजनिक रूप से मांफी मांगे करें। बता दें कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि आयोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर चुनावों में हेराफेरी कर रहा है और लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है।
संविधान की नींव 'एक व्यक्ति, एक वोट' के सिद्धांत पर टिकी
राहुल गांधी ने कहा कि हमारे संविधान की नींव 'एक व्यक्ति, एक वोट' के सिद्धांत पर टिकी है। इसलिए जब चुनाव होते हैं तो सबसे जरूरी सवाल यह है कि क्या सही लोगों को वोट डालने की अनुमति मिल रही है? क्या वोटर लिस्ट में फर्जी नाम जोड़े जा रहे हैं? क्या वोटर लिस्ट सटीक है? उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से लोगों में संदेह बढ़ता जा रहा है। उन्होंने पांच मुख्य बिंदु गिनाए और कहा कि भाजपा को कभी भी एंटी-इनकंबेंसी (विरोधी लहर) का सामना नहीं करना पड़ता। भाजपा को अप्रत्याशित और बड़ी जीत मिल जाती है। ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल बार-बार गलत साबित हो जाते हैं। मीडिया द्वारा तैयार किया गया माहौल और चुनाव कार्यक्रम को सोच-समझकर 'कोरियोग्राफ' करना भी इन पांच बिंदुओं में शामिल हैं।
राहुल के आरोप गंभीर, चुनाव आयोग दे जवाब
शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए 'वोट चोरी' के आरोपों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के आरोप गंभीर हैं और इसका चुनाव आयोग को जवाब देना होगा।संजय राउत ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, "राहुल गांधी ने 'वोट की चोरी' और 'लोकतंत्र की हत्या' के बारे में जो जानकारी दी, उसके सारे सबूत चुनाव आयोग की वेबसाइट पर ही उपलब्ध हैं। राहुल गांधी ने अपने प्रेजेंटेशन के जरिए चुनाव आयोग को चुनौती दी और बताया यह जानकारी आयोग की वेबसाइट से ही निकाली है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें (चुनाव आयोग) एफिडेविट चाहिए। मैं तो इतना ही कहूंगा कि उन्हें एफिडेविट भाजपा से लेना चाहिए।"
चुनाव आयोग भाजपा का पार्टनर बना
सांसद संजय राउत ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "वर्तमान चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक विस्तारित अंग बन गया है। यह 'शेषन' का चुनाव आयोग नहीं है, जिसने लोकतंत्र को मजबूत किया। मौजूदा आयोग निष्पक्षता और स्वतंत्रता के मामले में 'शेषन' के समय के चुनाव आयोग से कोसों दूर है।"शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के 'इंडिया गठबंधन' की बैठक के दौरान पीछे बैठने पर उठे सवालों पर संजय राउत ने स्पष्टीकरण दिया। राउत ने कहा, "जब आप पहली लाइन में बैठेंगे तो आंखों का संपर्क स्क्रीन से सीधे होता है, तो उन्हें (उद्धव ठाकरे) थोड़ा असहज महसूस हुआ और इसलिए वह पीछे चले गए। उस समय एक प्रेजेंटेशन चल रहा था। भाजपा के लोगों को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।" rahul gandhi | Rahul Gandhi 2025 | Election Commission on Rahul Gandhi | Election | 2026 Lok Sabha elections | EC notice to Rahul Gandhi