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लापरवाही की आग : जिंदगी देने वाले अस्पताल कैसे बन गए हैं "मौत की स्थली"

लापरवाही की आग, जिंदगी देने वाले अस्पताल क्यों और कैसे लापरवाही और कुप्रबंधन की मौत का स्थल बन चुके हैं? यह एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।

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Mukesh Pandit
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FIRE ACCIDENT

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। हैदराबाद के एक अस्पताल में बच्चों समेत 17 लोगों की दर्दनाक मौत ने आग से बचाव के सुरक्षा प्रबंधों पर गहरा सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। जिंदगी देने वाले अस्पताल क्यों और कैसे लापरवाही और कुप्रबंधन की मौत का स्थल बन चुके हैं? यह एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। विशेष रूप से 2023 से 2025 तक के दो साल के अंतराल को देखें, आगजनी की इन घटनाओं ने कई समय से पहले सैकड़ों जिंदगियों को छीन लिया है। लेकिन इन हादसों केलिए कौन जिम्मेदार है, यह प्रश्न अनुत्तरित है। यानी जीवन की कोई कीमत नहीं है।

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अस्पताल को पैसा चाहिए, सुरक्षा देने में लापरवारी

जानकारी के अनुसार, देशभर में वर्ष 2023-2025 के दौरान भारत में अस्पतालों में आग लगने की कम से कम 10-15 प्रमुख घटनाएं हुईं, जिनमें लगभग 80-90 लोगों की जान गईं। इन घटनाओं ने अग्नि सुरक्षा के प्रति लापरवाही और नियमों के उल्लंघन को उजागर किया। शॉर्ट सर्किट, ऑक्सीजन सिलेंडरों का दुरुपयोग, और अपर्याप्त निकास मार्ग जैसे कारणों को नियंत्रित करने के लिए व्यापक उपायों की कमी जांच में पाई गई। अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपकरणों की स्थापना, नियमित ऑडिट, कर्मचारी प्रशिक्षण, और कानूनी अनुपालन से इन घटनाओं को रोका जा सकता है। एक राष्ट्रीय अग्नि सुरक्षा कानून और जागरूकता अभियानों के माध्यम से भारत को अग्नि दुर्घटनाओं से सुरक्षित बनाया जा सकता है।

वर्ष  2023 में आग की घटनाएं

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अहमदनगर, महाराष्ट्र (नवंबर 2023): एक सरकारी अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हुई। यह आग कथित तौर पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी।

मुंबई, महाराष्ट्र (मार्च 2023): एक निजी अस्पताल में आग लगने की घटना में 4 मरीजों की मौत हुई। इस घटना में अपर्याप्त अग्नि सुरक्षा उपायों को जिम्मेदार ठहराया गया। Ceasefire | fire alert | Delhi Fire Incident

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अग्नि दुर्घटनाओं में 7,435 लोग मारे गए, जिनमें अस्पतालों की घटनाएं भी शामिल थीं। 2023 में यह संख्या और बढ़ी, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडरों के बढ़ते उपयोग के कारण।

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वर्ष 2024 की घटनाएं:

दिल्ली, विवेक विहार (मई 2024): एक बेबी केयर सेंटर में आग लगने से 7 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। इस अस्पताल में कोई आपातकालीन निकास द्वार नहीं था, और ऑक्सीजन सिलेंडरों की अधिकता ने आग को भड़काया।

राजकोट, गुजरात (मई 2024): हालांकि यह गेम जोन की घटना थी, लेकिन उसी दिन दिल्ली के एक अस्पताल में आग ने 7 और लोगों की जान ली, जिससे कुल मृत्यु दर में इजाफा हुआ।

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कोलकाता, पश्चिम बंगाल (जनवरी 2024): एक निजी अस्पताल में आग लगने से 3 मरीजों की मौत हुई, और कई लोग घायल हुए।

वर्ष 2025 की आग की घटनाएं

आगरा, उत्तर प्रदेश (मई 2025): पुष्पांजलि अस्पताल में चौथी मंजिल पर आग लगी। सौभाग्यवश, एनआईसीयू और आईसीयू में भर्ती सभी 9 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया, और कोई हताहत नहीं हुआ।

दिल्ली, उत्तम नगर (मई 2025): एक नर्सिंग होम में आग लगी, लेकिन त्वरित कार्रवाई के कारण कोई हताहत नहीं हुआ।

यह संख्या केवल उन घटनाओं पर आधारित है जो मीडिया में प्रमुखता से रिपोर्ट की गईं। छोटी घटनाओं और गैर-रिपोर्टेड मामलों को मिलाकर यह आंकड़ा और अधिक हो सकता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2022 में 7,500 से अधिक अग्नि दुर्घटनाओं में 7,435 मौतें हुईं, और अस्पतालों में होने वाली घटनाएं इसका एक हिस्सा थीं।

आग लगने के प्रमुख कारण

शॉर्ट सर्किट और पुरानी वायरिंग: अधिकांश घटनाओं में शॉर्ट सर्किट को प्राथमिक कारण माना गया। पुरानी और ओवरलोडेड वायरिंग सिस्टम आग का खतरा बढ़ाते हैं।

ऑक्सीजन सिलेंडरों का अनुचित भंडारण: कोविड-19 के बाद अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडरों का उपयोग बढ़ा, लेकिन उनके भंडारण में सुरक्षा मानकों की अनदेखी ने विस्फोटों को बढ़ावा दिया।

अग्नि सुरक्षा उपायों की कमी: कई अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र, आपातकालीन निकास, और स्वचालित स्प्रिंकलर सिस्टम की कमी थी।
लापरवाही और नियमों का उल्लंघन: राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) 2016 के मानकों का पालन न करना, जैसे निकास मार्गों की अनुपस्थिति, एक प्रमुख कारण रहा।

ज्वलनशील सामग्री: अस्पतालों में पॉलीयूरेथेन फोम (PUF) जैसी ज्वलनशील सामग्री का उपयोग आग को तेजी से फैलाता है।

आग से सुरक्षा के उपाय

अस्पतालों में आग से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं, जो राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) के दिशानिर्देशों पर आधारित हैं:

अग्नि सुरक्षा उपकरणों की स्थापना:

प्रत्येक अस्पताल में स्वचालित स्प्रिंकलर सिस्टम, धुआं डिटेक्टर, और अग्निशामक यंत्र अनिवार्य रूप से स्थापित किए जाने चाहिए।
ऑक्सीजन सिलेंडरों को सुरक्षित, हवादार क्षेत्रों में रखा जाए, और उनके आसपास ज्वलनशील सामग्री न हो।

नियमित अग्नि सुरक्षा ऑडिट:

अस्पतालों में वार्षिक अग्नि सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य किया जाए। इसमें वायरिंग, उपकरण, और निकास मार्गों की जांच शामिल होनी चाहिए।
NBC 2016 के अनुसार, 15 मीटर से ऊंची इमारतों में कम से कम दो बंद सीढ़ियां होनी चाहिए।

कर्मचारियों का प्रशिक्षण:

अस्पताल के कर्मचारियों को नियमित अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण और मॉक ड्रिल में भाग लेना चाहिए। इससे आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई संभव होगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) द्वारा आयोजित अग्निशमन सेवा सप्ताह (14-20 अप्रैल) जैसे कार्यक्रमों का लाभ उठाया जा सकता है।

आपातकालीन निकास और डिजाइन

  • प्रत्येक मंजिल पर आपातकालीन निकास द्वार और स्पष्ट रूप से चिह्नित निकास मार्ग होने चाहिए।
  • भवनों में अग्नि-प्रतिरोधी सामग्री का उपयोग किया जाए, और संकरी गलियों से बचाव वाहनों की पहुंच सुनिश्चित हो।
  • मरीजों और आगंतुकों के लिए अग्नि सुरक्षा नियमों की जानकारी प्रदर्शित की जाए।
  • स्थानीय अग्निशमन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जाए।
  • सभी अस्पतालों को NBC 2016 और NDMA के दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना चाहिए।
  • नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
  • एक राष्ट्रीय अग्नि सुरक्षा कानून की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान में कोई सार्वभौमिक कानून नहीं है।
  • अग्नि सुरक्षा उपकरण: स्वचालित स्प्रिंकलर सिस्टम, धुआं डिटेक्टर, और अग्निशामक यंत्र स्थापित करें।ऑक्सीजन सिलेंडरों को सुरक्षित क्षेत्रों में भंडारित करें।नियमित
  • ऑडिट: वार्षिक अग्नि सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य करें।
  • NBC 2016 के अनुसार दो बंद सीढ़ियां सुनिश्चित करें।
  • कर्मचारियों के लिए मॉक ड्रिल और अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण आयोजित करें।
  • आपातकालीन निकास: प्रत्येक मंजिल पर चिह्नित निकास मार्ग और अग्नि-प्रतिरोधी सामग्री का
  • उपयोग करें।बचाव वाहनों की पहुंच सुनिश्चित करें। मरीजों और आगंतुकों के लिए सुरक्षा नियम

 

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