Advertisment

Smiling Budha : 51 साल पहले भारत बना था परमाणु संपन्न देश, Rahul ने किया इंदिरा  को याद

राजस्थान के पोकरण से 18 मई को ठीक 51 साल पहले दुनिया को भारत के परमाणु संपन्न होने का आभास हुआ था। 18 मई 1974 को ऑपरेशन 'स्माइलिंग बुद्धा' ने भारत को परमाणु ताकत वाले देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया था। 

author-image
Mukesh Pandit
nuclear test 1974
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली राजस्थान के पोकरण से 18 मई को ठीक 51 साल पहले दुनिया को भारत के परमाणु संपन्न होने का आभास हुआ था। 18 मई 1974 को ऑपरेशन 'स्माइलिंग बुद्धा' ने भारत को परमाणु ताकत वाले देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया था। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक तस्वीर साझा कर उस उपलब्धि को नमन किया है।
ndira in pakharan

Advertisment

बुद्ध मुस्करा रहे हैं' (Budha Is Smiling)

इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में देश ने यह उपलब्धि हासिल की थी। इस परीक्षण के लिए कोड वर्ड तय किए गए थे। वैज्ञानिकों ने इसे स्माइलिंग बुद्धा, भारतीय सेना ने हैप्पी कृष्णा और ऑफिशियल तौर पर इसे पोखरण-1 कोडनेम दिया गया।

वैज्ञानिकों ने पहले परीक्षण के लिए जो कोड वर्ड तय किया था वो था ‘बुद्धा इज स्‍माइलिंग’। कहा जाता है कि साल 1974 में जब यह परमाणु परीक्षण सफल हुआ तो इसकी सूचना डा रमन्ना ने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को दी थी। उन्होंने फोन कर इंदिरा को कहा था कि बुद्ध मुस्कुरा रहे हैं। इस सीक्रेट मिशन के लिए 75 वैज्ञानिक और इंजीनियरों की टीम ने 1967 से लेकर 1974 तक कड़ी मेहनत की थी। इस सफल टेस्ट के बाद इंदिरा गांधी ने भी उस जगह का दौरा किया था।
 Rahul Gandhi

फेसबुक पोस्ट में इंदिरा को याद किया

Advertisment

राहुल ने सोशल प्लेटफॉर्म फेसबुक पोस्ट में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री को याद किया और उन अथक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने लिखा- "श्रीमती इंदिरा गांधी के दूरदर्शी और निर्णायक नेतृत्व में, भारत ने 51 साल पहले राजस्थान के पोकरण में अपना पहला परमाणु परीक्षण, 'ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा' किया था।"
operationsmiling buddha

सभी वैज्ञानिकों का आभार जताया

उन्होंने उन हीरोज को याद किया जिनकी काबिलियत के बूते भारत दुनिया के छह परमाणु संपन्न राष्ट्रों में शामिल हो गया। उन्होंने आगे लिखा- "मैं उन प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं जिनके समर्पण ने इसे संभव बनाया। उनकी विरासत आज भी जीवित है, जो पीढ़ियों को तकनीकी उन्नति करने और भारत की सामरिक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती है।"

Advertisment

परीक्षण में एक दशक से ज्यादा वक्त लगा

बता दें, इस परमाणु परीक्षण को सफल बनाने में एक दशक से भी ज्यादा का समय लगा था। देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों की अथक मेहनत के बल पर दुनिया हमारी अहमियत समझ पाई थी। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में शामिल अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूके, चीन ही परमाणु ताकत से संपन्न थे।

पूरी तरह गोपनीयता बरती गई

Advertisment

भारत ने इस परमाणु परीक्षण में पूरी गोपनीयता बरती। जैसे ही दुनिया को पता चला, शोर मच गया। अमेरिका ने भारत के परमाणु कार्यक्रम पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे। वर्षों बाद भारत ने पोकरण-2 के जरिए फिर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। इसे ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया, जो मई 1998 में भारत के पांच परमाणु हथियार परीक्षणों की एक श्रृंखला थी। ये बम राजस्थान में भारतीय सेना के पोकरण परीक्षण रेंज में ब्लास्ट किए गए थे।

 

Advertisment
Advertisment