Advertisment

दुर्घटनाग्रस्त MQ-9B Drone की जगह भारत को अमेरिका से मिला दूसरा ड्रोन मिला

भारतीय नौसेना द्वारा पट्टे पर लिए गए दो एमक्यू-9बी ड्रोन में से एक पिछले साल सितंबर के मध्य में तकनीकी खराबी के बाद बंगाल की खाड़ी में समुद्र में आपात स्थिति में उतारे जाने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। 

author-image
Mukesh Pandit
Dron replace

Photograph: (x)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

Advertisment

एमक्यू-9बी समुद्री निगरानी ड्रोन के बंगाल की खाड़ी में दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ माह बाद भारतीय नौसेना को अमेरिका स्थित निर्माता कंपनी जनरल एटॉमिक्स से इसकी जगह ऊंचाई पर उड़ान भरने वाला दूसरा निगरानी ड्रोन मिल गया है। नौसेना के आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है। भारतीय नौसेना द्वारा पट्टे पर लिए गए दो एमक्यू-9बी ड्रोन में से एक पिछले साल सितंबर के मध्य में तकनीकी खराबी के बाद समुद्र में आपात स्थिति में उतारे जाने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। 

पट्टे पर लिए थे भारत ने ड्रोन

Advertisment

सूत्रों केअनुसार,  जनरल एटॉमिक्स ने अनुबंध की शर्तों के तहत समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हुए ड्रोन की जगह दूसरा एमक्यू-9बी भेजा है। एमक्यू-9बी ड्रोन लगातार 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में उड़ान भरने में सक्षम हैं। ये एक बार में चार हेलफायर मिसाइल और लगभग 450 किलोग्राम वजन के बम ले जा सकते हैं। भारतीय नौसेना ने 2020 में दो एमक्यू-9बी ड्रोन एक साल की अवधि के लिए पट्टे पर लिया था। हालांकि, बाद में पट्टे की अवधि बढ़ा दी गई थी। पिछले साल अक्टूबर में भारत ने चीन के साथ विवादित सीमाओं पर सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने के लिए लगभग चार अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ एक बड़े करार पर दस्तखत किए थे। 

Supreme Court: महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा करने संबंधी याचिका पर सोमवार को सुनवाई

प्रीडेटर ड्रोन की आपूर्ति जनवरी 2029 में शुरू

Advertisment

सूत्रों ने बताया कि प्रीडेटर ड्रोन की आपूर्ति जनवरी 2029 में शुरू होगी। उन्होंने बताया कि नौसेना को जहां 15 सी गार्डियन ड्रोन मिलेंगे, वहीं वायुसेना और थलसेना को आठ-आठ स्काई गार्डियन ड्रोन हासिल होंगे। सूत्रों के अनुसार, अरबों डॉलर की दो खरीद परियोजनाओं को चालू वित्त वर्ष के अंत तक अंतिम रूप दिया जाएगा, जिनके तहत फ्रांस से राफेल जेट के 26 नौसैनिक संस्करण और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियां खरीदी जाएंगी। उन्होंने बताया कि दोनों सौदे अंतिम चरण में हैं और इन पर 31 मार्च तक मुहर लग जाएगी। जुलाई 2023 में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस से 26 राफेल-एम जेट की खरीद को मंजूरी दी थी, मुख्य रूप से स्वदेशी रूप से निर्मित विमान वाहक आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिए। मंत्रालय ने फ्रांस से तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद को भी स्वीकृति दी थी। 

यह भी पढें: Mahakumbh: योगी के विधायक ने अपनी ही सरकार पर साधा निशाना, बोले महाकुंभ में हुई मौतें हादसा नहीं हत्या

स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत शामिल किए जाने पर जोर

Advertisment

सूत्रों ने बताया कि नौसेना मूल रूप से रूस में निर्मित आईएनएस विक्रमादित्य की जगह एक अन्य स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत शामिल किए जाने पर जोर दे रही है। भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (आईएसी आई) को सितंबर 2023 में नौसेना में शामिल किया गया था। लगभग 23,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित आईएनएस विक्रांत में एक परिष्कृत वायु रक्षा नेटवर्क और जहाज-रोधी मिसाइल प्रणाली है। इस पर 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर की तैनाती की जा सकती है। मौजूदा समय में भारत के पास दो विमानवाहक पोत-आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत हैं। नौसेना आईएनएस विक्रमादित्य की जगह एक और स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत की मांग कर रही है, जिसकी सेवा अवधि 10 साल तक होने की उम्मीद है।

Advertisment
Advertisment