नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
delhi highcourt Judge cash scandal सरकारी आवास से जली हुई नकदी की बरामदगी के मामले में जांच का सामना कर रहे दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने आंतरिक जांच समिति के समक्ष पेश होने से पहले वकीलों की एक टीम से मुलाकात की। इससे पहले दिल्ली की विशेष टीम उनके आवास पर पहुंची और जिस स्टोर में रुपये जले होने की बात कही गई, उसे सील कर दिया गया। इस मामले में नए-नए खुलासे होने से यह सुर्खियों में छाया हुआ है।
वकीलों से ली सलाह
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल, मेनका गुरुस्वामी, अरुंधति काटजू और वकील तारा नरूला से कानूनी सलाह मांगी, जो उनके आवास पर आए थे। कहा जा रहा है कि कैश कांड के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति के भी इसी सप्ताह न्यायमूर्ति वर्मा से मिलने की संभावना है। इस समिति में देश की तीन हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल हैं।
समिति कर चुकी है आवास का निरीक्षण
इससे पहले समिति ने जस्टिस वर्मा के 30, तुगलक क्रीसेंट स्थित आवास का दौरा किया और उनके खिलाफ आरोपों की जांच शुरू की। समिति में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं।
तीनों न्यायाधीश करीब 30-35 मिनट तक न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास के अंदर रहे और निरीक्षण किया। इस महत्वपूर्ण जांच के निष्कर्ष न्यायमूर्ति वर्मा के भाग्य का फैसला करेंगे, जिन पर आरोप है कि 14 मार्च की रात करीब 11.35 बजे आग लगने की घटना के बाद उनके लुटियंस स्थित आवास में ‘नोटों से भरी चार से पांच अधजली बोरियां। हालांकि यह अब तक रहस्य बना हुई है, जले हुए नोटों को किसने वहां से हटाया और किसके आदेश पर ऐसा हुआ।