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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कश्मीर में चिनाब नदी के ऊपर बने ऐतिहासिक रेलवे ब्रिज का उद्घाटन किया। इस दौरान, पीएम मोदी से लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला तक ने मंच से बहुत कुछ कहा, लेकिन सीएम अब्दुल्ला के सुर पिछले कुछ सालों की तुलना में बदले-बदले नजर आए। एक समय तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाने वाले उमर अब्दुल्ला ने पीएम मोदी की शान जो कसीदे पढ़े, उसे सुनने के बाद अब्दुल्ला के INDIगठबंधन के साथियों को शायद ही आज ठीक से नींद आए। असल में, पिछले कुछ सालों में घाटी के बदलते हालात के बाद अब उमर अब्दुल्ला की जुबां भी बदली-बदली नजर आने लगी है, इसके बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र और घाटी की सरकारों के बीच जारी सियासी संग्राम में सीजफायर हो गया है। अब इसके सियासी मायने निकालने जा रहे हैं।
मोदी की शान में क्या बोले सीएम अब्दुल्ला?
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चिनाब नदी पर बने रेलवे ब्रिज के उद्घाटन अवसर पर पीएम मोदी की जमकर प्रशंसा की। वह बोले–चिनाब नदी के ऊपर रेलवे ब्रिज बनाने का सपना तो बहुत लोगों ने देखा था। अंग्रेजों ने भी इसे बनाने का सपना देखा था। उनका सपना था कि झेलम के किनारे उरी में बाकी मुल्कों से कश्मीर को रेल से जोड़ें। हालांकि जो अंग्रेज पूरा नहीं कर पाए, वो आपके हाथों हुआ और जम्मू कश्मीर और कश्मीर की बादी को पूरे देश से जोड़ दिया गया। मुझसे भूल होगी अगर इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी का शुक्रिया नहीं करूं। ये प्रोजेक्ट 1984 में रखी गई। इसे वाजपेयी ने नेशनल इंट्रेस्ट का दर्जा दिया था।
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मोदी को याद दिलाईं पुरानी बातें
जम्मू के कटरा में आयोजित एक समारोह में सीएम अब्दुल्ला बोले –पीएम साहब!, इसे मुकद्दर कहें कि जब भी कभी रेल के बड़े कार्यक्रम हुए, मुझे उनसे जुड़ने का मौका मिला। पहली बार जब अनंतनाग का उद्घाटन हुआ, बनिहाल का रेल टनल खुला तो उस दौरान भी में था। 2014 में भी इसी जगह आपके साथ था । इत्तेफाक है, पीएम साहब उस कार्यक्रम में चार लोग शामिल थे, चारों आज भी इस स्टेज पर बैठे हैं। आप उस दौरान पहली बार पीएम बने थे। आपने माता वैष्णो की कृपा से कटरा रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया था ।
आपने, दिल और दिल्ली से दूरी कम की है
यह पहला मौका नहीं है जब उमर अब्दुल्ला का रुख पीएम मोदी को लेकर बदला-बदला नजर आ रहा है। गत जनवरी में, सोनमर्ग टनल के उद्घाटन अवसर पर भी उमर ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की थी। उन्होंने कहा था आज आप खुद टनल का उद्घाटन करने आए हैं। केंद्र शासित प्रदेश और दिल्ली के बीच दूरी कम करने के लिए आपने यह काम किया है। आपने अपनी बात रखी और चार माह के भीतर चुनाव हुए। आपने जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपनी सरकार चुनने का मौका दिया। इसका श्रेय आपको और आपकी टीम को जाता है। सही में आप दिल की दूरी और दिल्ली से दूरी को कम करने के लिए काम कर रहे हैं ।
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शांति स्थापना के लिए जताया आभार
इतना ही नहीं, पिछले दिनों मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री मोदी के उन प्रयासों की भी सराहना की, जिनके तहत सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे माछिल, गुरेज़, कर्नाह और केरन में शांति स्थापित हुई है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में अब विकास और पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे स्थानीय निवासियों को लाभ हो रहा है।
घाटी में विकास कार्य गिनवाये
इस दौरान अब्दुल्ला न केवल पीएम मोदी की तारीफ करते नजर आए बल्कि उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में मोदी सरकार की ओर से हो रहे विकास कार्यों को भी गिनवा डाला। सीएम ने कहा, ''जम्मू-कश्मीर के कई प्रोजेक्ट्स तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जम्मू का रिंग रोड हो, श्रीनगर का रिंग रोड हो । दिल्ली, अमृतसर, कटरा का एक्सप्रेसवे हो। जम्मू श्रीनगर फोर लेन का काम हो । जम्मू एयरपोर्ट और श्रीनगर के एयरपोर्ट का एक्सपेंशन हो...ये सब हो रहा है । वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर देखते हुए बोले-विकसित भारत का नारा जो आपने दिया है, उसे मुक्कमल करेंगे।
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इंडी गठबंधन को भंग करने की कर चुके हैं मांग
बहरहाल , पिछले कुछ समय में उमर अब्दुल्ला न जाने कितने की मौकों पर पीएम मोदी की तारीफ करने में अब देरी नहीं करते । इतना ही नहीं कभी मोदी सरकार के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाले उमर अब्दुल्ला , नई सरकार बनने के बाद से बदल गए हैं । पिछले दिनों तो वह मोदी सरकार के खिलाफ खड़े होने वाले इंडी गठबंधन को लेकर भी तीखे बयान देते नजर आए । इतना ही नहीं उन्होंने तो इस INDI गठबंधन को भंग करने तक की मांग कर डाली है । उन्होंने कहा दुर्भाग्यवश, INDI गठबंधन की कोई बैठक नहीं हो रही है। न तो नेतृत्व को लेकर स्पष्टता है, न ही एजेंडा को लेकर।
मोदी से मांगा–जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा
बहरहाल , पिछले कुछ महीने से उमर अब्दुल्ला और केंद्र सरकार के बीच नजर आ रहे इस सीजफायर के अब सियासी मायने निकाले जा रहे हैं । अब इसे उमर की बदले वक्त के साथ चलने की राजनीति कहें या फिर उनके बयानों को उनकी किसी रणनीति का हिस्सा है। कुछ तो है जो वह बदले-बदले नजर आ रहे हैं। इसकी एक नजर उन्होंने तब भी पेश की, जब शुक्रवार को चिनाब ब्रिज के उद्घाटन समारोह में उन्होंने पीएम मोदी से एक मांग कर डाली। उन्होंने मंच से ही जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश के बजाए फिर से राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर डाली। वह बोले-मैं मान कर चल रहा हूं कि इसे दुरुस्त होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। आपके हाथ ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलेगा।
नेशनल कॉफ्रेंस के घोषणापत्र को भाजपा ने कहा था राष्ट्रविरोधी
बता दें कि जम्मू कश्मीर के चुनावों के दौरान नेशनल कॉफ्रेंस ने जो अपना 12 सूत्रीय घोषणापत्र जारी किया था, उसमें आर्टिकल 370 की फिर से बहाली करवाने, जम्मू कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलवाने जैसे कई मुद्दे रखे थे, जिसे भाजपा ने राष्ट्रविरोधी करार दिया था । इसके साथ ही केंद्र द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा छीनने का आरोप लगाते हुए एक अभियान चलाने जैसी बातें कहीं थी।
क्या हैं उमर अब्दुल्ला के रुख के मायने?
अगर घाटी की सत्तारुढ़ नेशनल कॉफ्रेंस की अब तक की राजनीति पर नजर डालें तो ऐसा कहा जाता रहा है कि घाटी में NC की सरकार आने पर उन्होंने हमेशा दिल्ली से अपनी दूरी को कम किया है । हालांकि वह जनता के मुद्दों पर अपने लोगों के साथ खड़ी नजर आई है। यही कारण है कि पार्टी हमेशा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा (विशेषकर अनुच्छेद 370) देने के पक्ष में रही है। साथ ही यह राज्य की क्षेत्रीय पहचान और सांप्रदायिक सौहार्द को भी प्राथमिकता देने की बातें करती आई है । बात घाटी के अलगाववादी नेताओं की करें तो उनसे इतर इनकी राजनीति संवाद और लोकतांत्रिक माध्यमों से कश्मीर मुद्दे के समाधान की पक्षधर रही है। शेख अब्दुल्ला से लेकर फारूक और उमर अब्दुल्ला तक, पार्टी का नेतृत्व पारिवारिक रहा है, लेकिन पार्टी में कभी विरोधी स्वर नजर नहीं आए।
ऐसे में अब राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उमर अब्दुल्ला ने यह मान लिया है कि केंद्र की मोदी सरकार सही में विकास के कार्यों में लगी हुई है । मौजूदा विपक्ष अपने मुद्दों को लेकर शायद अगले कुछ सालों तक मोदी सरकार और उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति के समक्ष कुछ बड़ा फेरबदल करने की स्थिति में नजर नहीं आ रही है । ऐसे में अपने लोगों और अपनी सियासी साख को बचाने के लिए उन्होंने INDI गठबंधन का साथ छोड़, मोदी के साथ अपनी आगे की राजनीतिक पारियों को सजाने का ख्वाब देखना शुरू कर दिया है। जानकार इस बात की कम ही आशंका जता रहे हैं कि उमर अब्दुल्ला के हालिया बोल , उनकी किसी छद्म रणनीति का हिस्सा होंगे। बहरहाल, घाटी में पिछले कुछ सालों में बदले हालात को लेकर भले ही विपक्ष कुछ भी कहे, लेकिन देश देख रहा है कि अब कश्मीर बदल रहा है।
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