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दिल्ली में यमुना के डूब क्षेत्र में अतिक्रमण से NGT नाराज, कहा- निर्देशों का उल्लंघन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि कई आदेशों के बावजूद यहां यमुना नदी के डूब क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त नहीं किया गया है। अधिकरण ने यह बात अतिक्रमण हटाने के उसके 2019 के आदेश को क्रियान्वित करने की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कही।

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Mukesh Pandit
NGT Direction

Photograph: (file)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि कई आदेशों के बावजूद यहां यमुना नदी के डूब क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त नहीं किया गया है। अधिकरण ने यह बात अतिक्रमण हटाने के उसके 2019 के आदेश को क्रियान्वित करने की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कही।  ग्रीन ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 6 फरवरी के आदेश में कहा, अधिकरण के (2019) आदेश के बाद पांच साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक आदेश का पालन नहीं किया गया है। मामले पर अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी। दिल्ली में महंगी जमीनों के कारण डूब क्षेत्र में अतिक्रमण एक गंभीर समस्या है।

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डीडीए को दिया था अतिक्रमण मुक्त करने का निर्देश

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पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने अप्रैल 2024 में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को सभी संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय करके नदी के डूब क्षेत्र से अतिक्रमण हटाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। अधिकरण ने कहा कि उसी महीने एक अन्य खंडपीठ ने एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें डीडीए उपाध्यक्ष को नदी के किनारों से सभी अतिक्रमण और अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया गया। उसने कहा कि पिछले साल जनवरी में उच्चतम न्यायालय ने अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता के बारे में अधिकरण द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं से सहमति जताई थी और इस बात पर सहमति जताई थी कि जनता और पर्यावरण के व्यापक हित में, डूब क्षेत्र को बनाए रखना होगा। 

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अदालत के आदेश पर भी कारवाई नहीं

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा, 'एनजीटी, दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के इन आदेशों के बावजूद, दिल्ली में यमुना नदी के बाढ़ के मैदान को अतिक्रमण से मुक्त नहीं किया गया है। अधिकरण ने डीडीए के वकील की दलीलों पर गौर किया, जिन्होंने कहा कि अदालतों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल  के निर्देशों का पालन करने के लिए "गंभीर प्रयास" किए जाएंगे। इसने वकील को आदेशों का पालन करने के एजेंसी के प्रयास का खुलासा करने वाला हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया। मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल के लिए निर्धारित की गई है। दिल्ली में डूब क्षेत्र में अनेक कालोनियों बस गई हैं। प्रापर्टी डीलरों और जमीन माफिया की निगाहें डूब क्षेत्र की महंगी जमीन पर लगी हुई हैं। 

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