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मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को दिल्ली की पटियाला हाउस में पेश किया गया। एनआईए ने विशेष अदालत से 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा की 20 दिन की कस्टडी की मांग की है। राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद बृहस्पतिवार को दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरते ही औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। एजेंसी ने बताया कि राणा को एनआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (एनएसजी) के वरिष्ठ अधिकारियों की टीम लॉस एंजिलिस से एक विशेष विमान से दिल्ली लेकर आईं। इसने कहा कि एनआईए की जांच टीम ने हवाई अड्डे पर सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद विमान से उतरते ही पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा को गिरफ्तार कर लिया।
हिरासत में एक तस्वीर भी साझा की
एजेंसी ने प्रत्यर्पण के बाद राणा की एनआईए अधिकारियों की हिरासत में एक तस्वीर भी साझा की। इसने एक बयान में कहा कि एनआईए ने वर्षों के सतत और ठोस प्रयासों के पश्चात तथा अमेरिका से प्रत्यर्पण पर रोक लगवाने के आतंकी सरगना के अंतिम प्रयास विफल होने के बाद उसे भारत लाया जाना सुनिश्चित किया। एनआईए ने कहा कि भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ-साथ अमेरिका में संबंधित प्राधिकारियों के समन्वित प्रयासों से उसने पूरी प्रत्यर्पण प्रक्रिया के दौरान भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया। इसने कहा कि यह दुनिया के किसी भी हिस्से में रह रहे आतंकवाद में शामिल व्यक्तियों को न्याय के कठघरे में लाने के भारत के प्रयासों में एक बड़ा कदम है। मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे।
कई अनसुलझे सवालों केजवाब मिलेंगे
26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण से कई अनसुलझे सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद जगी है। यह हमला, जो 26 नवंबर 2008 को शुरू हुआ और चार दिनों तक चला, भारत के इतिहास में सबसे भीषण आतंकी घटनाओं में से एक था। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें छह अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे, और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा रची गई इस साजिश में तहव्वुर राणा की अहम भूमिका रही थी। अब, अमेरिका से उनके प्रत्यर्पण के बाद, भारत को उम्मीद है कि इस हमले के पीछे की पूरी साजिश और इसके कई अनछुए पहलुओं का खुलासा हो सकेगा।
#WATCH | दिल्ली: 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को पटियाला हाउस कोर्ट में लाया गया। अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पण के बाद वह आज भारत पहुंचा। pic.twitter.com/0YlkLLNn7q
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 10, 2025
डेविड कोलमैन की मदद से दिया अंजाम
तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक हैं, ने इस हमले की योजना में अपने सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी। हेडली, जो मुंबई हमले की रेकी करने के लिए भारत आया था, ने बाद में अमेरिकी जांच एजेंसियों के साथ समझौता कर लिया और सरकारी गवाह बन गया। उसकी गवाही में राणा की संलिप्तता का खुलासा हुआ था। राणा ने न केवल हेडली को वीजा और यात्रा संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराए, बल्कि हमले के लिए जरूरी लॉजिस्टिक सपोर्ट भी मुहैया कराया। राणा का शिकागो में एक इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म होना और उसका इस्तेमाल हेडली को भारत भेजने के लिए एक कवर के रूप में करना, इस साजिश की जटिलता को दर्शाता है। उनके प्रत्यर्पण से यह पता चल सकता है कि इस साजिश में और कौन-कौन शामिल था और इसका वास्तविक दायरा कितना बड़ा था।
#WATCH | दिल्ली: 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को पटियाला हाउस कोर्ट में लाया गया। अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पण के बाद वह आज भारत पहुंचा। pic.twitter.com/HCnTbNzxSz
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 10, 2025
राणा, पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रह चुका था
सबसे बड़ा सवाल जो राणा के प्रत्यर्पण से हल हो सकता है, वह है पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका। हेडली ने अपनी गवाही में आईएसआई के मेजर इकबाल का जिक्र किया था, जो इस हमले का एक प्रमुख संचालक था। राणा, जो पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रह चुका था और मेजर इकबाल का करीबी माना जाता था, इस कड़ी को और मजबूत कर सकता है। भारत लंबे समय से यह दावा करता रहा है कि मुंबई हमला सिर्फ लश्कर-ए-तैयबा का काम नहीं था, बल्कि इसमें पाकिस्तानी राज्य तंत्र की भी संलिप्तता थी। राणा से पूछताछ के दौरान अगर इस बात के ठोस सबूत मिलते हैं, तो यह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के पक्ष को मजबूत करेगा और पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाएगा।
हमले की योजना कितने समय से बनाई जा रही थी
इसके अलावा, राणा के प्रत्यर्पण से यह भी खुलासा हो सकता है कि हमले की योजना कितने समय से बनाई जा रही थी और इसके लिए फंडिंग कहां से आई। मुंबई हमले में इस्तेमाल हुए हथियार, नावें और संचार उपकरणों की व्यवस्था में भारी धनराशि खर्च हुई थी। राणा, जो एक व्यवसायी था और जिसके पास अंतरराष्ट्रीय संपर्क थे, इस फंडिंग नेटवर्क के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। क्या इसमें कोई और देश या संगठन शामिल था? क्या यह सिर्फ एक आतंकी हमला था या इसके पीछे कोई बड़ा भू-राजनीतिक खेल था? ये ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब राणा की पूछताछ से मिल सकते हैं।
आतंकियों के हैंडलर्स की भूमिका
राणा के भारत आने से एक और अहम पहलू पर प्रकाश पड़ सकता है- हमले के दौरान और बाद में आतंकियों के हैंडलर्स की भूमिका। हमले के एकमात्र जीवित आतंकी अजमल कसाब ने खुलासा किया था कि हमलावरों को पाकिस्तान से लगातार निर्देश मिल रहे थे। राणा, जो इस साजिश का हिस्सा था, उन हैंडलर्स के बारे में और जानकारी दे सकता है। क्या ये हैंडलर सिर्फ लश्कर के सदस्य थे या इसमें आईएसआई के अधिकारी भी शामिल थे? राणा की मौजूदगी और उसके बयान इस बात को स्पष्ट कर सकते हैं कि हमले को अंजाम देने के लिए किस तरह का समन्वय और तकनीकी सहायता दी गई थी।
क्या मिलेगा पीड़ितों को इंसाफ
इसके साथ ही, राणा के प्रत्यर्पण से उन लोगों के लिए भी न्याय की उम्मीद जगी है, जिन्होंने इस हमले में अपने प्रियजनों को खोया। मुंबई हमले के पीड़ित और उनके परिवार पिछले 17 सालों से इंसाफ की राह देख रहे हैं। अब तक सिर्फ अजमल कसाब को फांसी दी गई है, लेकिन इस साजिश के बड़े खिलाड़ियों तक पहुंच नहीं हो सकी है। राणा का भारत आना और उस पर मुकदमा चलना न केवल कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा, बल्कि यह भी संदेश देगा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में पीछे नहीं हटेगा।
हेडली और राणा को 2009 में डेनमार्क से किया था गिरफ्तार
राणा के प्रत्यर्पण से यह भी पता चल सकता है कि क्या मुंबई हमला एक अकेली घटना थी या इसके बाद भी भारत में अन्य हमलों की योजना बनाई गई थी। हेडली और राणा को 2009 में डेनमार्क के एक अखबार पर हमले की साजिश रचते हुए पकड़ा गया था। क्या भारत में भी ऐसी कोई और योजना थी, जो नाकाम हो गई? राणा की पूछताछ से यह खुलासा हो सकता है कि लश्कर-ए-तैयबा और उसके सहयोगियों के निशाने पर और कौन से शहर या लक्ष्य थे।
The National Investigation Agency (NIA) on Thursday evening formally arrested Tahawwur Hussain Rana, the key conspirator in the deadly 26/11 Mumbai terror attacks, immediately after his arrival at IGIA, New Delhi, following his successful extradition from the United States.… pic.twitter.com/Tg3GBrjbo5
— ANI (@ANI) April 10, 2025
भारत की कूटनीति की बड़ी जीत
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत है। यह अमेरिका के साथ भारत के मजबूत रिश्तों का भी प्रमाण है, जिसके चलते यह संभव हो सका। राणा से मिलने वाली जानकारी न केवल मुंबई हमले की साजिश को पूरी तरह से उजागर कर सकती है, बल्कि भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए भी महत्वपूर्ण सबक दे सकती है। यह भारत की उस प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को हर हाल में जारी रखेगा। राणा के भारत पहुंचने के बाद शुरू होने वाली पूछताछ और कानूनी प्रक्रिया से उम्मीद है कि 26/11 के जख्मों पर मरहम लगेगा और सच सामने आएगा।