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Explainer: प्रधानमंत्री मोदी ने की लालकिले से RSS की तारीफ, जानें क्या हैं इसके मायने?

मोदी के मामले में ये बात कुछ अलग है। वो भारत के पीएम तो 2014 में बन गए थे। लेकिन संघ के दफ्तर तक पहुंचने में उनको 11 साल से ज्यादा का वक्त लग गया। वो 30 मार्च 2025 को संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ नागपुर में गुफ्तगू करते दिखे। विस्तार से पढ़ें

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Shailendra Gautam
MODI & RSS

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। वाकया मार्च 2025 का है। अचानक एक खबर सामने आती है जो सबको चौका देती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागपुर में थे। वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दफ्तर में पहुंचे थे। हालांकि ये पहली बार नहीं था जब कोई पीएम संघ के पास गया और सजदा करके आया। मोदी से पहले अटल बिहारी वाजपेयी संघ के हेडक्वार्टर होकर आए थे। लेकिन दोनों के जाने के पीछे एक अलग सी कहानी है। वाजपेयी ने प्रधानमंत्री बनते ही संघ के दफ्तर का दौरा किया था।

फुल फ्लैज वो 1999 में पीएम बने थे। वैसे वो पीएम तीन बार रहे। पहले 13 दिन के लिए 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक। फिर 8 महीने के लिए 19 मार्च 1998 से 13 अक्टूबर 1999 और फिर वापस 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे। पीएम की तीसरी पारी की सालगिरह पूरी होने से पहले ही वो संघ के दफ्तर में दिखे। वो पल वाकई अनूठा था। क्योंकि वाजपेयी को कभी भी संघ का फेवरेट नहीं माना गया। लाल कृष्ण आडवाणी हमेशा से संघ के खासमखास रहे। वाजपेयी संघ के दफ्तर गए तो माना गया कि उन्होंने RSS को सर्वोच्च सत्ता मान लिया है। 

पीएम बनने के बाद 11 साल बाद गए संघ मुख्यालय

मोदी के मामले में ये बात कुछ अलग है। वो भारत के पीएम तो 2014 में बन गए थे। लेकिन संघ के दफ्तर तक पहुंचने में उनको 11 साल से ज्यादा का वक्त लग गया। वो 30 मार्च 2025 को संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ नागपुर में गुफ्तगू करते दिखे। वैसे मोदी संघ का ही प्रोडक्ट हैं। लेकिन संघ से उनके रिश्ते कभी सहज नहीं रहे। ये बात दो चीजों से समझी जा सकती है। 2014 में मोदी पीएम बने तो संघ का जिक्र तक नहीं किया। मोहन भागवत को ये बात नागवार गुजरी।

मोदी की पीएमशिप में बीजेपी तुरंत बाद हुए महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों को तो जीत गई लेकिन दिल्ली में गच्चा खा गई। उसके बाद बिहार चुनाव आए तो भागवत के मुंह से एक बात निकली और मोदी की तमाम कोशिश के बावजूद बीजेपी लालू-नीतीश के गठजोड़ से हार गई। भागवत ने तब कहा था कि आरक्षण पर बहस जरूरी है। लालू ने इसे लपक लिया और बोले- आरक्षण को छेड़कर तो देखो। भागवत के एक बयान ने मोदी को अर्श से फर्श पर लाकर पटक दिया। 

नड्डा ने कहा था, भाजपा सर्वशक्तिमान

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2024 का चुनाव आया तो बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने द इंडियन एक्सप्रेस को एक इंटरव्यू दिया। इसमें वो बोले थे कि हम (बीजेपी) आज सर्व शक्तिमान हैं। हमें किसी की (संघ) जरूरत नहीं है। नड्डा में इतनी हिम्मत नहीं जो वो संघ के लिए ऐसी बात बोल सकें। माना गया कि मोदी-शाह की जोड़ी ने उनको ऐसा कहने के लिए इशारा किया था। तबी वो बोले। हालांकि ये बात और थी कि 2024 में बीजेपी औंधे मुंह गिर पड़ी। नारे तो लग रहे थे अबकि बार 400 पार पर बीजेपी 230 का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी। सरकार चलाने के लिए मोदी को नीतीश और चंद्रबाबू नायडू की रहमो करम पर जूझना पड़ रहा है। 

मोदी ने की संघ की जमकर तारीफ 

खैर अब उस बात पर आते हैं जो आज सामने आई। लाल किले की प्राचीर से मोदी ने संघ की जमकर तारीफ की। ऐसा क्या हुआ जो अभी तक नहीं हुआ। दरअसल संघ और मोदी के रिश्ते सहज नहीं हैं। बावजूद इसके कि मोदी नागपुर का दौरा कर आए पर संघ उन पर यकीन नहीं कर रहा। उन पर नकेल डालने की तैयारी भागवत कर रहे हैं। हाल ही में वो बोले थे कि 75 पार के बाद सभी को शाल ओड़ लेनी चाहिए। यानि कामकाज को छोड़कर घर बैठना चाहिए। मोदी सितंबर में 75 के हो रहे हैं। भागवत ने ये बात उनको ही निशाना बनाकर बोली थी। 

संघ से टकराव का समय नहीं

मोदी जानते हैं कि ये मुश्किल की घड़ी है। सरकार ताकतवर नहीं है। इस समय संघ से टकराव ठीक नहीं होगा। यकीनन तभी उन्होंने ये बात कही है। बात की टाइमिंग अपने आप में अहम है। बीजेपी अध्यक्ष विहीन है और भागवत जो दे रहे हैं कि अध्यक्ष बनाओ। अध्यक्ष तो बनाओ पर हमारे खासमखास को। अध्यक्ष अपना होगा तो मोदी की ताकत और ज्यादा कम हो जाएगी। भागवत ने इसी वजह से 75 का जिक्र किया। उनको पता है कि मोदी प्रवीन तोगड़िया जैसे दिग्गज को ठिकाने लगा चुके हैं।

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 वो तोगड़िया जिससे आडवाणी भी घबरा जाया करते थे। बीजेपी के हर बड़े नाम को लो घर बिठा चुके हैं। आडवाणी को भारत रत्न तो दिया पर ये सभी जानते हैं कि जो उनके साथ हुआ वो नहीं होना था। जिस शख्स की वजह से बीजेपी पापुलर हुई। उसे ही घर बिठा दिया गया। वो सोमनाथ से यात्रा न निकालते तो देश वीपी सिंह के कमंडल में बह जाता। वो आडवाणी ही थे जो बीजेपी को लाइमलाइम में लाए।

संघ जानता है कि मोदी को काबू करना होगा। मोदी भी संघ के फंदे को कमजोर करने के लिए जुगत भिड़ा रहे थे। उनको पता है कि अब संघ ही बचा है जो उनको चुनौती दे सकता है। लेकिन अचानक से यू टर्न लेना बहुतों को खटक रहा है। लेकिन मोदी-शाह ये बात जानते हैं कि मौजूदा हालात में संघ से पंगा ठीक नहीं होगा। वाजपेयी कितने भी ताकतवर थे पर संघ के एक नेता गोविंदाचार्य ने उनको मुखौटा बताकर बौना कर दिया। आडवाणी भी ताकत की मिसाल थे पर वो जिन्ना की मजार पर क्या गए संघ ने उनको चलता कर दिया। मोदी को पता है कि अभी तकरार का समय नहीं है। शायद तभी वो संघ की तारीफ कर गए। Modi Red Fort speech | 11 years of pm modi | modi | modi speech 

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