नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
यमुना नदी के प्रदूषण और विषाक्त पानी को लेकर छिड़ी राजनीतिक बहस के बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीएसआईडीसी से यमुना में छोड़े जाने वाले अशोधित जल संबंधी प्रतिबंधों के बारे में जानकारी मांगी है और यह भी बताने को कहा है कि क्या सभी उद्योग इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा की पीठ ने दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम (डीएसआईडीसी) को एक हलफनामा दाखिल कर उसके द्वारा स्थापित और निगरानी में रखे गए किसी भी सामान्य अपशिष्ट शोधन संयंत्र (सीईटीपी) का ब्योरा देने का निर्देश दिया तथा यह भी बताने को कहा कि क्या और इकाइयों की आवश्यकता है।
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'फ्लो मीटर' लगाने में देरी की गई
अदालत राष्ट्रीय राजधानी में जलभराव से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी और उसने घरेलू और आवासीय क्षेत्रों के लिए 37 सीवेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) की स्थिति पर गौर किया तथा कहा कि ऐसे 11 संयंत्रों में 'फ्लो मीटर' लगाने में देरी से 'असंतोषजनक स्थिति' उजागर होती है। अदालत ने डीजेबी के संबंधित अधिकारी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से मना कर दिया, क्योंकि उन्होंने आश्वासन दिया था कि एक महीने के भीतर 'फ्लो मीटर' लगा दिए जाएंगे।
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...वरना अवमानना की कारवाई का सामना करना पड़ेगा
अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि कार्रवाई नहीं की गई तो वह अपने निर्देशों का उचित अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अवमानना समेत सख्त कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी। 'फ्लो मीटर' एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग तरल पदार्थ के आयतन या द्रव्यमान को मापने के लिए किया जाता है। अदालत ने 28 जनवरी को पारित आदेश में कहा, 'एसटीपी के मुद्दे की निगरानी की जा रही है और अप्रैल 2024 से इस न्यायालय द्वारा इसका निपटारा किया जा रहा है।
किसी भी स्थिति में 12 नवंबर, 2024 के बाद से 'फ्लो मीटर' लगाने के लिए डीजेबी द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है।' इसमें कहा गया है, 'जब भूपेश कुमार से पूछा गया कि निविदाएं टुकड़ों में क्यों आमंत्रित की जा रही हैं, तो उन्होंने कहा कि 22 एसटीपी के लिए, 'फ्लो मीटर' निर्माण परियोजना के तहत लगभग चार से पांच साल पहले ही स्थापित किए गए थे।' आदेश में कहा गया है, 'इससे अदालत को यह स्पष्ट रूप से आभास होता है कि डीजेबी ने इस अदालत के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया है और आज तक केवल अनुमान तैयार किए जा रहे हैं, यही जवाब भूपेश कुमार ने अदालत को दिया है। यह स्थिति पूरी तरह से अस्वीकार्य है। मामले की अगली सुनवाई फरवरी में होगी।
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यमुना की सफाई पर राजनीतिक दलों के दावे
आम आदमी पार्टी : दिल्ली में पिछले दस साल से सत्ता में बनी हुई आम आदमी पार्टी ने इस बार जनता से 15 बड़े वादे किए हैं और इन्हें केजरीवाल की गारंटी नाम दिया है। इनमें छठवें नंबर पर यमुना को साफ करने की गारंटी दी गई है। साफ हवा और कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने से जुड़ी कोई गारंटी नहीं दी गई है। वहीं, विपक्ष का कहना है कि केजरीवाल ने 2015 में कहा था कि पांच साल के भीतर यमुना नदी को साफ कर दिया जाएगा, लेकिन नौ साल बाद भी यमुना की हालत नहीं सुधरी है।
कांग्रेस: पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 26 पन्नों का घोषणापत्र जारी किया है। इसमें 21वें पन्ने पर वायु, जल और भूमि प्रदूषण से जुड़े वादे किए गए हैं। इनमें यमुना नदी को साफ करने और उसके तटों पर से अतिक्रमण हटाने का वादा किया गया है। कचरे से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए हरित पुलिस स्टेशन बनाने की बात कही है। इसके अलावा, कूड़ा-कचरा जलाने वालों पर जुर्माना लगाने का वादा भी किया है।
भाजपा: ने दिल्ली चुनावों के लिए 64 पन्नों का घोषणापत्र जारी किया है। इसमें यमुना नदी को साफ करने, कचरे के पहाड़ों को खत्म करने और 2030 तक औसत एक्यूआई को आधा करने का वादा किया है। यह भी बताया है कि इन वादों को कैसे पूरा किया जाएगा। जैसे, नालों के पानी को यमुना में छोड़ने से पहले ट्रीट करने की बात कही है। सूखे और गीले कचरे को इकट्ठा करने और उसके प्रबंधन के लिए व्यवस्था करने का वादा किया है।