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RSS Chief Mohan Bhagwat addressing the event.(file)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। यह पहला अवसर है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी समारोह में बुधवार को लगभग 24 दूतावासों और उच्चायोगों के 50 से अधिक राजनयिकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दूसरे दिन उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में अमेरिकी दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी गैरी एप्पलगार्थ, एरोन कोप, चीनी दूतावास के झोउ गुओहुई, रूसी दूतावास से मिखाइल जायत्सेव, श्रीलंका के उच्चायुक्त प्रदीप मोहसिनी और मलेशिया के उच्चायुक्त दातो मुजफ्फर आदि शामिल थे।
ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन भी शामिल हुए
उज्बेकिस्तान के काउंसलर उलुगबेक रिजेव, कजाकिस्तान के काउंसलर दिमासग सिज्दिकोव, इजराइल के राजदूत रूवेन अजार और ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। तीन दिवसीय कार्यक्रम, जिसका विषय ‘आरएसएस की 100 वर्ष की यात्रा: नए क्षितिज’ है, मंगलवार को यहां विज्ञान भवन में शुरू हुआ। व्याख्यान शृंखला के पहले दिन, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भारत के भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण और उसे आकार देने में स्वयंसेवियों की भूमिका पर प्रकाश डाला।
देशभर में एक लाख से अधिक हिंदू सम्मेलन होंगे
कार्यक्रम के तीसरे दिन, वे प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर देंगे। विदेशी प्रतिनिधियों के लिए भाषण का अंग्रेजी, फ्रेंच और स्पेनिश में सीधा अनुवाद किया गया। व्यापक जनसंपर्क अभियान के तहत, आरएसएस ने अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देशभर में एक लाख से अधिक ‘हिंदू सम्मेलनों’ समेत कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसकी शुरुआत इस वर्ष दो अक्टूबर को विजयादशमी के दिन नागपुर में संगठन के मुख्यालय में भागवत के संबोधन से होगी। इसकी योजना अपने शताब्दी वर्ष के दौरान देशव्यापी घर-घर जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित करने की भी है।
राजनयिकों के साथ संघ प्रमुख की बैठक
सूत्रों ने बताया कि भागवत ने दो दर्जन से अधिक देशों के 50 से अधिक राजनयिकों के साथ एक अलग बैठक भी की। भागवत की यह बैठक ऐसे समय हुई है, जब रूसी तेल की खरीद को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाया गया 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ (शुल्क) लागू हो गया है। मोहन भागवत ने कहा है कहा, जो कुछ भी आपके देश में बनता है, उसे बाहर से आयात करने की कोई जरूरत नहीं है। जो कुछ भी जीवन के लिए जरूरी है और आपके देश में नहीं बनता, उसे हम बाहर से आयात करेंगे।’’ भागवत ने कहा, ‘‘देश की नीति स्वेच्छा से बनाई जानी चाहिए, किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए। यही स्वदेशी है।’’ RSS centenary celebration | RSS | RSS 100 years | RSS and Jan Sangh | rss chief | rss news