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क्रूड ऑय़ल खरीदने को लेकर अमेरिका का भारत पर दबाव डालना अनुचित, रूस बचाव में उतरा

रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए भारत के खिलाफ अमेरिका की दंडात्मक कार्रवाई से उत्पन्न होने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए रूस के पास एक "विशेष तंत्र" है। ट्रंप के फैसले के बाद भारत और अमेरिका के संबंध तनावपूर्ण हुए हैं। 

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Mukesh Pandit
raman babushkin
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। रूस के प्रभारी राजदूत रोमन बाबुश्किन ने बुधवार को कहा कि रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए भारत के खिलाफ अमेरिका की दंडात्मक कार्रवाई से उत्पन्न होने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए रूस के पास एक "विशेष तंत्र" है। भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को दोगुना करके 50 प्रतिशत करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के बाद भारत और अमेरिका के संबंध तनावपूर्ण हुए हैं। 

रूस भारत का "पसंदीदा साझेदार" 

बाबुश्किन ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नयी दिल्ली के साथ अपने देश के संबंधों में तेजी से सुधार होने की उम्मीद जताई और कहा कि विभिन्न सैन्य साजोसामान व उपकरण की आवश्यकता के लिए रूस भारत का "पसंदीदा साझेदार" रहा है। उन्होंने रूसी तेल की खरीद बंद करने को लेकर भारत पर अमेरिका की ओर से निरंतर दबाव बनाए जाने को “अनुचित” बताया और कहा कि इस तरह का दृष्टिकोण और प्रतिबंध वैश्विक आर्थिक स्थिरता व ऊर्जा सुरक्षा के लिए हानिकारक है। 

भारत के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति 

बाबुश्किन ने कहा, “भारत के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है। हमें भारत के साथ अपनी साझेदारी पर भरोसा है। हम दोनों देशों के बीच ऊर्जा संबंधों में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने विश्वास जताया कि भारत-रूस ऊर्जा सहयोग बढ़ता रहेगा। पिछले हफ़्ते, अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने चेतावनी दी थी कि अगर भारत रूसी कच्चे तेल की ख़रीद जारी रखता है, तो ट्रंप प्रशासन भारत पर शुल्क बढ़ा सकता है। अमेरिका ने रूस के साथ ऊर्जा संबंधों के कारण भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है, लेकिन उसने रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार चीन के ख़िलाफ़ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है। 

ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित में

भारत रूसी कच्चे तेल की अपनी खरीद का बचाव करते हुए यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने मास्को पर प्रतिबंध लगाकर कच्चे तेल की आपूर्ति बंद कर दी थी, जिसके बाद भारत ने कम दामों पर रूसी तेल की खरीद शुरू कर दी थी। इसके परिणामस्वरूप, कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 2024-25 में बढ़कर 35.1 प्रतिशत हो गई जो 2019-2020 में मात्र 1.7 प्रतिशत थी। बाबुश्किन ने कहा, "प्रतिबंध का असर उन्हें लगाने वालों पर ही पड़ रहा है। हमें विश्वास है कि बाहरी दबाव के बावजूद भारत-रूस ऊर्जा सहयोग जारी रहेगा।"

भारत की मांग बढ़ रही है

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 उन्होंने कहा, “रूस भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और भारत की मांग बढ़ रही है। निस्संदेह, यह हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच आपसी सामंजस्य और पूरकता का एक आदर्श उदाहरण है।" बाबुश्किन ने कहा कि दोनों पक्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रूसी बाजार भारतीय निर्यात का स्वागत करेगा। रूसी राजदूत ने कहा कि इस साल के अंत में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की तारीखें अभी तय नहीं हुई हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक उथल-पुथल के बीच एक स्थिर शक्ति के रूप में ब्रिक्स की भूमिका बढ़ेगी। India Russia Friendship | America Russia Ties | Extra Tariff India Russia Oil | India-Russia oil trade | India Russia Oil Deal not present in content

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