रांची, वाईबीएन नेटवर्क।
जिस गैंगस्टर अमन साहू का नाम सुनते ही व्यापारी, नेता और ठेकेदार थर-थर कांपते थे, उसका खौफनाक अंत हो गया। झारखंड के पलामू में पुलिस मुठभेड़ में वह मारा गया। पिछले एक दशक से वह आतंक का दूसरा नाम बन चुका था। मात्र 17-18 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाला यह युवक झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़, बिहार और अन्य राज्यों में भी अपनी आपराधिक गतिविधियों का संचालन कर रहा था। 150 से अधिक आपराधिक मामलों में उसका नाम शामिल था।
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से थे गहरे संबंध
30 वर्षीय अमन दिखने में दुबला-पतला था, लेकिन उसका नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप जाती थी। सूत्रों के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई गैंग से उसके गहरे संबंध थे, और वह जेल से ही अपना गैंग ऑपरेट कर रहा था।
पढ़ाई से गैंगस्टर बनने तक की कहानी
अमन मूल रूप से रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र के मतवे गांव का रहने वाला था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, 1995 में जन्मे अमन ने 2010 में 78% अंकों के साथ मैट्रिक पास किया था। इसके बाद उसने पंजाब के मोहाली से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा किया। लेकिन 2012 में झारखंड जनमुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो कुलेश्वर सिंह के संपर्क में आने के बाद उसकी जिंदगी अपराध की दुनिया में जा समाई। शुरुआती दिनों में अमन ने रामगढ़ जिले के पतरातू में मोबाइल रिपेयरिंग का काम किया, लेकिन जल्द ही वह लूट, रंगदारी और हत्या जैसी घटनाओं में शामिल हो गया। 2013 में उसने अपना गैंग बनाकर अपराध का साम्राज्य खड़ा कर लिया।
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जेल में रहते हुए बढ़ाया नेटवर्क
2015 में पहली बार जेल जाने के बाद उसकी मुलाकात कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा से हुई। जेल में ही उसने आधुनिक हथियारों की सप्लाई और नए अपराधियों की भर्ती शुरू कर दी। 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नेता की हत्या के सिलसिले में उसे पकड़ा गया था, लेकिन सितंबर 2019 की रात वह रहस्यमय तरीके से बड़कागांव थाने से फरार हो गया। 2020 में रांची पुलिस की स्पेशल टीम ने उसे फिर गिरफ्तार कर लिया, लेकिन जेल में रहते हुए भी वह अपराध की दुनिया पर राज करता रहा। पिछले तीन-चार सालों में हत्या, लूट, गोलीबारी, रंगदारी और धमकी भरे कॉल जैसी घटनाओं में उसका नाम लगातार सामने आता रहा।
छत्तीसगढ़ तक फैला था आतंक का जाल
छत्तीसगढ़ में कारोबारियों के शोरूम पर गोलीबारी और लूट की घटनाओं में भी अमन गैंग का हाथ बताया गया था। इसी के चलते 14 अक्टूबर 2024 को छत्तीसगढ़ पुलिस उसे प्रोडक्शन वारंट पर रायपुर लेकर गई थी, जहां से वह रायपुर जेल में बंद था।
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सोशल मीडिया पर भी था 'डॉन'
अमन और उसके गुर्गे सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते थे। गैंग के खास गुर्गे मयंक सिंह ने हाल ही में रांची के कोल ट्रांसपोर्टर बिपिन मिश्रा पर फायरिंग की जिम्मेदारी लेते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। अमन के नाम से फेसबुक पर कई अकाउंट चलते थे, जिनमें हथियारों के साथ उसकी तस्वीरें पोस्ट की जाती थीं।
पुलिस का साफ संदेश
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि अमन साहू जैसे अपराधी जेल से ही आपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे थे। यह मुठभेड़ अपराधियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि अब कानून के शिकंजे से बच पाना नामुमकिन होगा।