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"पहलगाम हमले ने दुनिया में आक्रोश, ब्रिटिश सांसदों ने भारत के समर्थन में किया आह्वान"

पहलगाम आतंकी हमले में 28 की मौत हुई, जिसमें पर्यटक भी थे; इसकी जिम्मेदारी TRF ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी है।

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Ajit Kumar Pandey
BRITISH PARLIAMENT
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल भारत को झकझोर दिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसकी तीखी निंदा हुई। इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, और 17 अन्य घायल हुए।

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ब्रिटिश संसद में इस घटना को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गई, जहां सिख सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी और उनके सहयोगी बॉब ब्लैकमैन ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को इस हमले का जिम्मेदार ठहराया और ब्रिटिश सरकार से आग्रह किया कि वह आतंकियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए भारत का समर्थन करे। 

पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि

पहलगाम, जम्मू-कश्मीर का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल, हमेशा से अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन 22 अप्रैल 2025 को यह शांत घाटी खून से लथपथ हो गई। बाइसारन घाटी में चार से छह आतंकियों ने अचानक हमला बोल दिया।

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पुलिस रिपोर्ट्स के अनुसार, सैन्य वर्दी में आए इन हमलावरों ने दोपहर 2:45 से 3:00 बजे के बीच अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, लेकिन कई की हालत गंभीर बनी रही।

आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), जो लश्कर-ए-तैयबा का एक स्थानीय सहयोगी माना जाता है, ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला सुनियोजित था।

आतंकियों ने पहले क्षेत्र की रेकी की और पर्यटकों की अधिकतम संख्या वाले समय को चुना। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में सबसे घातक आतंकी घटनाओं में से एक माना जा रहा है, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे।

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भारत की त्वरित प्रतिक्रिया

पहलगाम हमले ने भारत में आक्रोश की लहर दौड़ा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "भारत हर आतंकी को ढूंढकर सजा देगा। इस हमले के पीछे जो भी हैं, उन्हें ऐसी सजा मिलेगी कि उनकी सात पुश्तें याद रखेंगी।" यह बयान उन्होंने बिहार के मधुबनी में एक सभा को संबोधित करते हुए अंग्रेजी में दिया, जो उनकी ओर से एक असामान्य लेकिन वैश्विक संदेश था।

भारत सरकार ने तुरंत कई कड़े कदम उठाए। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में फैसला लिया गया कि पंजाब के अटारी में भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाए।

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इसके अलावा, भारत ने इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करने का ऐलान किया, जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद नहीं कर देता। विदेश सचिव ने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 करने की घोषणा की, जो 1 मई 2025 तक लागू हो जाएगी।

सुरक्षा बलों ने कश्मीर घाटी में आतंकियों को neutral करने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने बाइसारन क्षेत्र में संयुक्त तलाशी अभियान चलाया, जहां हमला हुआ था। पंजाब पुलिस को भी हाई अलर्ट पर रखा गया, खासकर अमृतसर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में, जहां नाकेबंदी और गश्त बढ़ा दी गई।

ब्रिटिश संसद में चर्चा

पहलगाम हमले की गूंज ब्रिटिश संसद तक पहुंची, जहां सिख सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने इस मुद्दे को उठाया। ढेसी, जो ब्रिटेन में सिख समुदाय के एक प्रमुख नेता हैं, ने संसद में इस हमले को "दुखद और अमानवीय" करार दिया।

उन्होंने कहा, "पहलगाम में हुए इस कायराना हमले ने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन मानवता के दुश्मन हैं। मैं ब्रिटिश सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह इस मामले में भारत के साथ मजबूती से खड़ी हो और आतंकियों को न्याय के कटघरे में लाने में सहयोग करे।"

ढेसी के साथ-साथ सांसद बॉब ब्लैकमैन ने भी इस हमले की निंदा की। उन्होंने संसद में कहा, "यह हमला सिर्फ भारत पर नहीं, बल्कि वैश्विक शांति पर हमला है। हमें आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा।"

दोनों सांसदों ने लश्कर-ए-तैयबा और इसके सहयोगी संगठन टीआरएफ को इस हमले का जिम्मेदार ठहराया। उनकी इस पहल को भारत में व्यापक सराहना मिली, क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के पक्ष को मजबूती से रखने का एक उदाहरण था।

पंजाब में भी गहरा रहा पहलगाम हमले का असर

पहलगाम हमले का असर पंजाब में भी गहरा रहा, खासकर अमृतसर, होशियारपुर और कपूरथला जैसे क्षेत्रों में। होशियारपुर और कपूरथला में 24 अप्रैल को पूर्ण बंद का आह्वान किया गया।

दुकानें, स्कूल और अन्य संस्थान बंद रहे, जबकि प्रदर्शनकारियों ने बाजारों में मार्च निकाला और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ नारे लगाए। अमृतसर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के समर्थकों ने आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन किया।

अटारी सीमा पर बीएसएफ ने अपनी रिट्रीट सेरेमनी को सीमित कर दिया, जो आमतौर पर हजारों लोगों को आकर्षित करती थी। स्थानीय व्यापारियों ने इस बंद को समर्थन दिया, भले ही इससे उनके व्यवसाय को नुकसान हुआ। एक व्यापारी ने कहा, "हमें नुकसान होगा, लेकिन हम प्रधानमंत्री मोदी के फैसले के साथ हैं। आतंकवाद के खिलाफ यह कड़ा रुख जरूरी है।"

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

पहलगाम हमले की निंदा वैश्विक स्तर पर भी हुई। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, जो उस समय भारत में थे, ने इस हमले की कड़ी निंदा की। कई अन्य विश्व नेताओं ने भी भारत के प्रति अपनी संवेदना और समर्थन व्यक्त किया। भारत ने इस समर्थन के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आभार जताया।

पाकिस्तान ने इस हमले के बाद भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों, जिसमें शिमला समझौता भी शामिल है, को निलंबित करने की घोषणा की। उसने भारतीय नागरिकों के लिए SAARC वीजा छूट योजना को भी रद्द कर दिया, सिख तीर्थयात्रियों को छोड़कर। हालांकि, भारत ने इन कदमों को पाकिस्तान का दिखावा करार दिया और कहा कि आतंकवाद के खिलाफ उसका रुख अडिग रहेगा।

आतंकवाद के खिलाफ भारत का संकल्प

पहलगाम हमला भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है, लेकिन यह देश के आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प को और मजबूत करता है। ब्रिटिश संसद में इस मुद्दे को उठाए जाने से यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद न केवल भारत की, बल्कि वैश्विक शांति की समस्या है। भारत ने इस हमले के बाद जो कदम उठाए, वे उसके कड़े रुख को दर्शाते हैं।

सिख सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी और बॉब ब्लैकमैन की पहल ने न केवल भारत के प्रति अंतरराष्ट्रीय समर्थन को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में विश्व समुदाय एकजुट हो सकता है।

पहलगाम हमले ने एक बार फिर याद दिलाया कि आतंकवाद का कोई धर्म या सीमा नहीं होती, और इसे हराने के लिए वैश्विक सहयोग अनिवार्य है।

पहलगाम आतंकी हमला एक ऐसी त्रासदी है, जिसने भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया को झकझोर दिया। ब्रिटिश संसद में इसकी निंदा और लश्कर-ए-तैयबा को जिम्मेदार ठहराए जाने से भारत के पक्ष को वैश्विक मंच पर बल मिला।

भारत सरकार के कड़े कदम और जनता का आक्रोश दिखाता है कि देश आतंकवाद के खिलाफ किसी भी कीमत पर लड़ेगा। यह घटना हमें याद दिलाती है कि शांति और सुरक्षा के लिए हमें एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ना होगा, चाहे वह कश्मीर की वादियों में हो या दुनिया के किसी अन्य कोने में। Britain | India | parliament |

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