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Trump Tariff:डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित और लागू किए गए रेसिप्रोकल टैरिफ नीति का भारत पर व्यापक असर पड़ने की संभावना है। नए जवाबी शुल्क 2 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो चुके हैं, इसका मूल आधार यह है कि अमेरिका उन देशों पर उतना ही टैरिफ लगाएगा, जितना वे अमेरिकी उत्पादों पर लगाते हैं। भारत,अमेरिका का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, इससे वह सीधे प्रभावित होगा, क्योंकि भारत अमेरिकी सामानों पर औसतन 17% टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका का औसत टैरिफ 3.3% के आसपास है। ट्रंप प्रशासन ने भारत को "Dirty 15" देशों की सूची में शामिल किया है, जो उनके अनुसार अमेरिकी निर्यातकों के लिए "अनुचित" टैरिफ नीतियां अपनाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर 26% का "डिस्काउंटेड" रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया गया है। इस नीति का असर भारतीय अर्थव्यवस्था, खासकर कुछ प्रमुख सेक्टरों पर, गहरा हो सकता है। आइए, इसके प्रभाव और प्रभावित होने वाले सेक्टरों पर विस्तार से चर्चा करें।
भारत पर समग्र आर्थिक प्रभाव
trump tariffs news | trump tariffs explained> रेसिप्रोकल टैरिफ के लागू होने से भारत का अमेरिका को निर्यात महंगा हो जाएगा, जिससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है। 2023-24 में भारत का कुल निर्यात 778.21 बिलियन डॉलर था, जिसमें से अमेरिका को लगभग 66 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ। यह अमेरिका को भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार बनाता है। टैरिफ बढ़ने से इस निर्यात में कमी आ सकती है, जिसका असर भारत की जीडीपी वृद्धि पर पड़ेगा।
भारत की जीडीपी पर पड़ सकता है असर
कुछ अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि यदि यह नीति लंबे समय तक लागू रही, तो भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 0.3-0.6% की कमी आ सकती है। हालांकि, भारत की मजबूत घरेलू मांग और नीतिगत समर्थन इस प्रभाव को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। फिर भी, निर्यात-निर्भर उद्योगों में रोजगार के अवसरों पर नकारात्मक असर पड़ना तय है। इसके अलावा, भारत को अपने व्यापार संतुलन पर भी ध्यान देना होगा। यदि अमेरिका से आयात पर भारत टैरिफ कम करता है, तो यह घरेलू उद्योगों पर दबाव डाल सकता है। दूसरी ओर, यदि भारत जवाबी टैरिफ बढ़ाता है, तो दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध की स्थिति बन सकती है, जो दीर्घकालिक रूप से दोनों के लिए नुकसानदायक होगी।
प्रभावित होने वाले प्रमुख सेक्टर
trump tariffs india | trump tariffs mexico रेसिप्रोकल टैरिफ का असर भारत के विभिन्न सेक्टरों पर अलग-अलग होगा। कुछ सेक्टरों को गंभीर झटके लग सकते हैं, जबकि कुछ के लिए यह नए अवसर भी पैदा कर सकता है।
फार्मास्युटिकल सेक्टर
भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा जेनेरिक दवा उत्पादक देश है और अमेरिका इसका सबसे बड़ा बाजार है। भारतीय फार्मा कंपनियां अमेरिका को सस्ती जेनेरिक दवाएं आपूर्ति करती हैं, जिससे अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा लागत में सालाना अरबों डॉलर की बचत होती है। 2022 में, भारतीय जेनेरिक दवाओं से अमेरिका को 219 बिलियन डॉलर की बचत हुई थी। लेकिन 26% टैरिफ के कारण इन दवाओं की कीमत बढ़ेगी, जिससे उनकी मांग घट सकती है। भारतीय कंपनियां, जो पहले से ही कम मार्जिन पर काम करती हैं, इस बोझ को सहन करने में असमर्थ हो सकती हैं। इससे कुछ कंपनियों को अमेरिकी बाजार से बाहर होने का खतरा है, जिससे भारत का फार्मा निर्यात प्रभावित होगा।
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और टेक्सटाइल
: mexico trump tariffsआईटी और टेक्सटाइल सेक्टर भी अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। हालांकि टैरिफ का सीधा असर सेवाओं पर नहीं पड़ता, लेकिन अप्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में अमेरिकी कंपनियों की लागत बढ़ने से भारतीय आईटी सेवाओं की मांग कम हो सकती है। टेक्सटाइल के मामले में, भारत से निर्यात होने वाले कपड़े और परिधान महंगे हो जाएंगे, जिससे बांग्लादेश और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को फायदा हो सकता है। छोटे और मध्यम उद्यम (MSME), जो इस सेक्टर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स
ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी ट्रंप की नीति का असर पड़ेगा। अमेरिका ने सभी विदेशी निर्मित ऑटोमोबाइल्स पर 25% टैरिफ लगाया है, और भारत पर अतिरिक्त 26% रेसिप्रोकल टैरिफ भी लागू है। इससे भारतीय ऑटो पार्ट्स और वाहनों का निर्यात महंगा हो जाएगा। हालांकि भारत का ऑटो निर्यात अमेरिका में सीमित है, फिर भी यह सेक्टर पहले से ही वैश्विक मंदी से जूझ रहा है, और यह नया टैरिफ इसके लिए एक और चुनौती बन सकता है।
कृषि और खाद्य उत्पाद
भारत विश्व का आठवां सबसे बड़ा कृषि उत्पाद निर्यातक है, और अमेरिका इसका एक महत्वपूर्ण बाजार है। भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 39% तक टैरिफ लगाता है, जिसके जवाब में अमेरिका अब भारतीय कृषि उत्पादों पर भारी टैरिफ लगा सकता है। इससे बादाम, अखरोट, सेब और अन्य खाद्य उत्पादों का निर्यात प्रभावित होगा। किसानों और छोटे व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
हीरा और आभूषण उद्योग
भारत का हीरा और आभूषण उद्योग भी अमेरिकी बाजार पर निर्भर है। टैरिफ बढ़ने से इन उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे मांग में कमी आ सकती है। यह उद्योग पहले से ही वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता से प्रभावित है, और यह नया झटका इसे और कमजोर कर सकता है।
हालांकि टैरिफ से नुकसान की आशंका है, लेकिन इससे भारत के लिए कुछ अवसर भी पैदा होंगे। मसलन, यदि अमेरिका चीन पर 60% टैरिफ लगाता है, तो भारतीय निर्माता ऑटो पार्ट्स, सौर उपकरण और रसायन जैसे क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल कर सकते हैं। भारत को नए बाजारों (जैसे यूरोपीय संघ, दक्षिण-पूर्व एशिया) की तलाश करनी होगी और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना होगा। सरकार द्वारा टैरिफ प्रभाव को कम करने के लिए सब्सिडी और निर्यात प्रोत्साहन जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं।
बढ़ेंगी आर्थिक चुनौतियां
डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से भारत को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, खासकर फार्मा, आईटी, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, कृषि और हीरा जैसे सेक्टरों में। यह नीति भारत के निर्यात को कम कर सकती है और रोजगार पर असर डाल सकती है। हालांकि, सही रणनीति और वैकल्पिक बाजारों की खोज से भारत इस प्रभाव को कम कर सकता है। यह समय भारत के लिए अपनी व्यापार नीतियों को पुनर्मूल्यांकन करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाने का है।