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World Blood Donor Day: 14 जून को ही क्यों मनाया जाता है विश्व रक्तदाता दिवस? जानिए इसका इतिहास और महत्व

World Blood Donor Day प्रत्येक वर्ष 14 जून को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तत्वावधान में मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत 2004 में हुई थी, और इसका उद्देश्य सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों की आवश्यकता के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

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Mukesh Pandit
World Blood Donor Day
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विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) प्रत्येक वर्ष 14 जून को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के तत्वावधान में मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत 2004 में हुई थी, और इसका उद्देश्य सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों की आवश्यकता के प्रति जागरूकता बढ़ाना, स्वैच्छिक रक्तदाताओं का आभार व्यक्त करना, और लोगों को नियमित रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करना है। यह दिन नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती पर मनाया जाता है, जिन्होंने 1901 में ABO रक्त समूह प्रणाली की खोज की थी। उनकी इस खोज ने रक्त आधान को सुरक्षित और प्रभावी बनाया, जिससे लाखों लोगों की जान बचाई जा सकी। विश्व रक्तदाता दिवस 2025 में भी इस महत्वपूर्ण कार्य को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न जागरूकता अभियानों और रक्तदान शिविरों के साथ मनाया जाएगा।

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विश्व रक्तदाता दिवस का महत्व

रक्तदान को 'महादान' कहा जाता है, क्योंकि यह मानव जीवन को बचाने का सबसे बड़ा उपहार है। रक्त का कोई कृत्रिम विकल्प नहीं है, और यह केवल मानव से मानव को ही प्राप्त हो सकता है। विश्व रक्तदाता दिवस का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है।

रक्तदान को होती है जीवन की रक्षा 

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रक्तदान सड़क दुर्घटनाओं, सर्जरी, प्रसव, कैंसर, एनीमिया, और थैलेसीमिया जैसे रोगों से पीड़ित मरीजों की जान बचाता है। भारत में प्रतिदिन हजारों मरीजों को रक्त की आवश्यकता होती है। यह दिवस लोगों को रक्तदान की प्रक्रिया, इसके लाभों, और सुरक्षित रक्त की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करता है। WHO का लक्ष्य है कि सभी देशों में रक्त की आपूर्ति स्वैच्छिक और अवैतनिक रक्तदाताओं से हो, क्योंकि यह सबसे सुरक्षित होता है। यह दिवस इस दिशा में प्रयासों को बल देता है।

भारत में रक्तदाताओं की स्थिति

भारत में रक्तदान की स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि मांग और आपूर्ति में भारी अंतर है। WHO के अनुसार, किसी देश की जनसंख्या का कम से कम 1% हिस्सा रक्तदान करना चाहिए ताकि रक्त की आवश्यकता पूरी हो सके। भारत में यह आंकड़ा 1% से कम है। रक्तदान न केवल दूसरों के लिए बल्कि दाता के लिए भी लाभकारी है। यह हृदय रोगों के जोखिम को कम करता है, रक्त कोशिकाओं का नवीकरण करता है, और मानसिक संतुष्टि प्रदान करता है।

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रक्त की लगातार बढ़ती मांग

भारत में प्रतिवर्ष लगभग 1.5 करोड़ यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 1 करोड़ यूनिट ही उपलब्ध हो पाता है। इससे प्रतिदिन लगभग 12,000 मरीजों की जान खतरे में पड़ती है। भारत में रजिस्टर्ड रक्तदाताओं की सटीक संख्या के बारे में कोई केंद्रीकृत आधिकारिक डेटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। हालांकि, राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (NBTC) और विभिन्न रक्त बैंक रक्तदाताओं का डेटाबेस बनाए रखते हैं। अनुमान के अनुसार, लाखों लोग रक्तदान के लिए रजिस्टर्ड हैं, लेकिन नियमित दान करने वालों की संख्या बहुत कम है।

रक्तदान शिविर

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भारत में रक्तदान शिविरों का आयोजन स्कूलों, कॉलेजों, और सामुदायिक संगठनों द्वारा किया जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और पहुंच की कमी है। रक्तदान की कमी का कारण मिथक, डर, और जागरूकता की कमी है। इसके अलावा, रक्त बैंकों में भंडारण और वितरण की अपर्याप्त सुविधाएं भी एक बड़ी बाधा हैं।

रक्तदान से जुड़े मिथक और तथ्य

रक्तदान को लेकर कई मिथक समाज में प्रचलित हैं, जो लोगों को इससे दूर रखते हैं। इन मिथकों को दूर करना आवश्यक है:

मिथक: रक्तदान से कमजोरी आती है
तथ्य: रक्तदान के बाद शरीर 24-48 घंटों में प्लाज्मा और 3-4 सप्ताह में लाल रक्त कोशिकाओं की पूर्ति कर लेता है। स्वस्थ व्यक्ति को कोई कमजोरी नहीं होती।

मिथक: रक्तदान दर्दनाक होता है
तथ्य: रक्तदान एक सुरक्षित और लगभग दर्दरहित प्रक्रिया है। केवल सुई चुभने का हल्का दर्द होता है, जो कुछ सेकंड तक रहता है।

मिथक: साल में केवल एक बार रक्तदान कर सकते हैं
तथ्य: एक स्वस्थ व्यक्ति हर 56 दिन (लगभग 2 महीने) में रक्तदान कर सकता है। पुरुष साल में 4 बार और महिलाएं 3 बार रक्तदान कर सकती हैं।

मिथक: रक्तदान से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है
तथ्य: रक्तदान से प्रतिरक्षा प्रणाली पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं पड़ता। श्वेत रक्त कोशिकाओं की अस्थायी कमी जल्दी ठीक हो जाती है।

मिथक: कुछ लोग रक्तदान नहीं कर सकते
तथ्य: 18-65 वर्ष की आयु, 45 किलो से अधिक वजन, और स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकते हैं। हालांकि, कुछ चिकित्सीय स्थितियां (जैसे हाल का टैटू, गर्भावस्था, या संक्रामक रोग) अस्थायी रूप से अयोग्य बना सकती हैं।

मिथक: रक्तदान से बीमारियां फैल सकती हैं
तथ्य: रक्तदान में उपयोग होने वाली सुइयां और उपकरण पूरी तरह से निष्फल और एकल-उपयोगी होते हैं, इसलिए कोई संक्रमण का खतरा नहीं होता।

विश्व रक्तदाता दिवस 2025 के लिए सुझाव

जागरूकता अभियानस्कूलों, कॉलेजों, और सोशल मीडिया के माध्यम से रक्तदान के लाभों और मिथकों को दूर करने के लिए अभियान चलाए जाएं।ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल रक्तदान वैन की व्यवस्था की जाए।
डिजिटल रजिस्ट्रेशन: रक्तदाताओं के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल पोर्टल बनाया जाए, जहां लोग आसानी से रजिस्टर कर सकें और रक्त की मांग होने पर सूचित किए जाएं। क्तदाताओं को प्रमाण पत्र, छूट, या अन्य प्रोत्साहन देकर सम्मानित किया जाए।आइए, विश्व रक्तदाता दिवस 2025 को एक नए उत्साह के साथ मनाएं और जीवन रक्षा के इस महान कार्य में योगदान दें।
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