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World Book Day: पुस्तकें मानव के लिए अमूल्य खजाना, हर दिन पढ़ें दो से तीन घंटे किताबें

भारत का साहित्यिक इतिहास हमें गर्व करने का अवसर देता है, और हमें इसे संरक्षित और प्रचारित करने की आवश्यकता है। किताबें न केवल ज्ञान का स्रोत हैं, बल्कि जीवन को समृद्ध और अर्थपूर्ण बनाने का एक सशक्त माध्यम भी हैं।

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Mukesh Pandit
WORLD BOOK DAY
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किताबें दूसरी दुनिया की खिड़की की तरह होती हैं। हर नए पन्ने के साथ, वे हमें नए लोगों, नई संस्कृतियों और नए विचारों से परिचित कराती हैं और विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के बीच एक पुल का काम करती हैं। विश्व पुस्तक दिवस हमें किताबों की शक्ति और उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, और व्यक्तिगत महत्व को याद दिलाता है। यह दिन हमें पढ़ने की आदत को पुनर्जनन करने और साहित्य के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।

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 हालांकि डिजिटल युग में किताबों के प्रति रुझान में कमी आई है, लेकिन साहित्यिक आयोजनों और डिजिटल पुस्तकों की बढ़ती लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि किताबें अभी भी प्रासंगिक हैं। भारत का साहित्यिक इतिहास हमें गर्व करने का अवसर देता है, और हमें इसे संरक्षित और प्रचारित करने की आवश्यकता है। किताबें न केवल ज्ञान का स्रोत हैं, बल्कि जीवन को समृद्ध और अर्थपूर्ण बनाने का एक सशक्त माध्यम भी हैं।

क्यों मनाया जाता है पुस्तक दिवस

विश्व पुस्तक दिवस, जिसे विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 23 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य साहित्य, पढ़ने की आदत, प्रकाशन, और कॉपीराइट संरक्षण को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 1995 में इस दिन को आधिकारिक रूप से विश्व पुस्तक दिवस के रूप में घोषित किया था। इस तारीख का चयन साहित्यिक क्षेत्र में प्रतीकात्मक महत्व के कारण किया गया, क्योंकि 23 अप्रैल को कई महान साहित्यकारों का जन्म या निधन हुआ, जिनमें विलियम शेक्सपियर, मिगुएल डे सर्वेंटेस, और इंका गार्सिलासो डे ला वेगा शामिल हैं।

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विश्व पुस्तक दिवस का महत्व

पढ़ने की आदत को बढ़ावा देना : यह दिन लोगों, खासकर युवाओं और बच्चों, को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करता है। किताबें ज्ञान का स्रोत हैं और व्यक्तिगत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह दिन विशेष रूप से वंचित समुदायों के बच्चों को पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

साहित्य और लेखकों को सम्मान: यह दिन साहित्यकारों, लेखकों, प्रकाशकों, और पुस्तकालयों के योगदान को मान्यता देता है। यह हमें उन रचनाकारों को याद करने का अवसर देता है जिन्होंने अपनी कृतियों से समाज को नई दिशा दी।

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कॉपीराइट संरक्षण : यह दिन कॉपीराइट कानूनों के महत्व को रेखांकित करता है, जो लेखकों और प्रकाशकों के रचनात्मक कार्यों की रक्षा करते हैं। यह रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने और प्रकाशन उद्योग की स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करता है।

शिक्षा और जागरूकता: यह दिन शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देता है। किताबें समकालीन मुद्दों को समझने, असमानताओं से लड़ने, और गलत सूचनाओं का मुकाबला करने में मदद करती हैं।

क्या किताबों के प्रति रुझान कम हो रहा है?

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तकनीक और प्रौद्योगिकी के युग में डिजिटल तकनीक, स्मार्टफोन, सोशल मीडिया, और इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के कारण किताबों के प्रति रुझान में कमी आई  है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के 24 राज्यों के 26 जिलों में केवल 10% घरों में किताबें या पत्रिकाएं उपलब्ध हैं, जबकि 94% के पास मोबाइल फोन और 74% के पास टेलीविजन हैं। यह आंकड़ा किताबों के प्रति घटती रुचि को दर्शाता है।

युवाओं में पढ़ने की आदत को बढ़ावा देना जरूरी

हालांकि, यह कहना पूरी तरह सही नहीं होगा कि किताबों का आकर्षण खत्म हो गया है। पुस्तकालयों, साहित्यिक समारोहों, और ऑनलाइन बुक क्लबों की लोकप्रियता दर्शाती है कि किताबों के प्रति उत्साह अब भी मौजूद है। डिजिटल किताबें (ई-बुक्स) और ऑडियोबुक्स ने भी पढ़ने को अधिक सुलभ बनाया है। कुछ लोगों का मानना है कि किताबें पढ़ने की संतुष्टि डिजिटल माध्यमों से प्राप्त जानकारी से कहीं अधिक गहरी होती है। युवाओं में पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों और पुस्तकालयों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। विश्व पुस्तक दिवस जैसे आयोजन भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पुस्तकें मानव के लिए अमूल्य खजाना हैं 

ज्ञान का प्रसार: किताबें ज्ञान को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित करती हैं। ये हमें इतिहास, विज्ञान, संस्कृति, और दर्शन से परिचित कराती हैं।

सहानुभूति और समझ: किताबें हमें विभिन्न पात्रों और उनकी कहानियों के माध्यम से सहानुभूति विकसित करने में मदद करती हैं। यह हमें दूसरों के दृष्टिकोण को समझने और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है।

प्रेरणा और साहस: किताबें प्रेरणादायक कहानियों और पात्रों के माध्यम से हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने का साहस देती हैं। ये हमें आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच की ओर ले जाती हैं।

सामाजिक परिवर्तन: किताबें सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाती हैं और समाज में बदलाव लाने का माध्यम बनती हैं। उदाहरण के लिए, महात्मा गांधी और विनोबा भावे की किताबें आज भी नैतिकता और सामाजिक सुधार के लिए प्रेरित करती हैं।

मनोरंजन और रचनात्मकता: किताबें न केवल ज्ञान देती हैं, बल्कि मनोरंजन और रचनात्मकता को भी बढ़ावा देती हैं। उपन्यास, कविताएँ, और कहानियाँ हमें नई दुनिया में ले जाती हैं।

जीवन में पुस्तकें क्या बदलाव ला सकती हैं?

पुस्तकें व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर कई बदलाव ला सकती हैं:किताबें पढ़ने से शब्दावली, संचार कौशल, और आत्मविश्वास में सुधार होता है। ये हमें बेहतर इंसान बनने में मदद करती हैं। पढ़ना तनाव को कम करने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक प्रभावी तरीका है।

यह ध्यान केंद्रित करने और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है। किताबें हमें सामाजिक मुद्दों, जैसे लैंगिक समानता, पर्यावरण संरक्षण, और मानवाधिकार, के प्रति जागरूक बनाती हैं। शैक्षिक किताबें और प्रेरणादायक जीवनी हमें करियर में सफलता प्राप्त करने और नई कौशल सीखने के लिए प्रेरित करती हैं किताबें हमें नई सोच और दृष्टिकोण प्रदान करती हैं, जो हमारे जीवन को अधिक समृद्ध और अर्थपूर्ण बनाता है।

भारत की 10 बेहतरीन किताबें

"गोदान" - प्रेमचंद: यह उपन्यास ग्रामीण भारत की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को दर्शाता है। यह भारतीय साहित्य का एक मील का पत्थर ह
"रामचरितमानस" - तुलसीदास: यह भक्ति काव्य रामायण का हिंदी रूपांतरण है, जो आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को प्रस्तुत करता है
"गीता" - वेद व्यास: भगवद्गीता जीवन, धर्म, और कर्म के दर्शन को समझाने वाला एक शाश्वत ग्रंथ है।
"महाभारत" - वेद व्यास: यह महाकाव्य न केवल एक कहानी है, बल्कि भारतीय संस्कृति और दर्शन का एक विशाल भंडार है।
"मिडनाइट्स चिल्ड्रन" - सलमान रुश्दी: यह उपन्यास भारत के स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद के इतिहास को जादुई यथार्थवाद के माध्यम से प्रस्तुत करता है।
"द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स" - अरुंधति रॉय: यह उपन्यास सामाजिक असमानता और पारिवारिक रिश्तों की जटिलताओं को खूबसूरती से दर्शाता है
"ए सूटेबल बॉय" - विक्रम सेठ: यह उपन्यास स्वतंत्र भारत की सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि में एक प्रेम कहानी को प्रस्तुत करता है
"द व्हाइट टाइगर" - अरविंद अडिग: यह उपन्यास आधुनिक भारत में सामाजिक असमानता और वर्ग संघर्ष को तीखे व्यंग्य के साथ चित्रित करता है।
"चेतन भगत की किताबें" (जैसे "फाइव पॉइंट समवन"): ये किताबें युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं और आधुनिक भारतीय समाज की चुनौतियों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती हैं
"द डिस्कवरी ऑफ इंडिया" - जवाहरलाल नेहरू: यह किताब भारत के इतिहास, संस्कृति, और दर्शन को गहराई से प्रस्तुत करती है।

पुस्तकों के प्रति वैश्विक रुझान

पुस्तकों के प्रति वैश्विक रुचि में मिश्रित रुझान देखने को मिलते हैं। कुछ स्रोतों के अनुसार, डिजिटल प्रारूपों जैसे ई-बुक्स और ऑडियोबुक्स की लोकप्रियता बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, वैश्विक ई-बुक बाजार के 2026 तक 18.13 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे बुकटॉक ने विशेष रूप से युवा पीढ़ी में पढ़ने को बढ़ावा दिया है, जहां क्लासिक साहित्य जैसे वुथरिंग हाइट्स और अन्ना करेनिना फिर से लोकप्रिय हो रहे हैं।
 हालांकि, कुछ क्षेत्रों में पढ़ने की दर में कमी देखी गई है। अमेरिका में, एक गैलप सर्वेक्षण के अनुसार, 2021 में औसतन 12.6 पुस्तकें प्रति व्यक्ति पढ़ी गईं, जो 2016 की तुलना में तीन कम है । इसके अलावा, कुछ स्रोतों ने वैश्विक साक्षरता दरों में कमी की ओर इशारा किया है । भारत में, पढ़ने का समय प्रति सप्ताह लगभग 7 घंटे है, जो इसे दुनिया में दूसरा सबसे अधिक पढ़ने वाला देश बनाता है (World Population Review)।

 

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