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World Refugee Day: दुनिया में शरणार्थियों का संकट तेजी से गंभीर हो रहा। गरीबी, भूखमरी, प्राकृतिक आपदाएं, उत्पीड़न और युद्ध की विभिषिका ने इस संकट को और गहरा कर दिया है। अपने घरों और देश को छोड़कर अनजान जगहों को अपना 'घर' बनाने वाले लोगों को हमेशा शक-सुबाह की नजरों से देखा जाता है और सरकार उनके प्रति अमानवीय रवैया अपनाती रहीं हैं। ऐसे में बार-बार यह सवाल उठते रहे हैं कि शरणार्थियों की इस वैश्विक समस्या का ठोस और स्थायी समधान कैसे निकलेगा। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) की 'ग्लोबल ट्रेंड्स' रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 तक विश्वभर में जबरन विस्थापितों की संख्या 123 मिलियन तक पहुंच गई है, जो पिछले वर्ष के 120 मिलियन के आंकड़े से अधिक है। आइए डालते हैं एक नजर इस संकट और इसके समाधान की ओर।
कब से मनाया जाता है यह दिवस
यह दिवस पहली बार 20 जून 2001 को शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित 1951 कन्वेंशन की 50 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विश्व स्तर पर मनाया गया। इसका उद्देश्य शरणार्थियों के अधिकारों, जरूरतों और सपनों पर जोर देना है। इसका मकसद राजनीतिक इच्छाशक्ति और संसाधनों को जुटाना भी है, ताकि शरणार्थी न सिर्फ जीवित रह सकें बल्कि फल-फूल सकें। दिसंबर 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया। इसके पहले इसे मूल रूप से अफ्रीका शरणार्थी दिवस के रूप में जाना जाता था।
मानवता पर स्वार्थ भारी
वैश्विक अनिश्चितता के दौर में जब लोग अपने स्वार्थ को मानवता से ज्यादा महत्व देते हैं तो जबरन विस्थापित लोगों की संख्या बढ़ती है, जो आज के समय में रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दुनियाभर में जबरन विस्थापित 123 मिलियन से अधिक लोग हैं। इन लोगों को अपना समर्थन व्यक्त करते हुए डब्ल्यूएचओ कहता है कि स्वास्थ्य एक मौलिक मानव अधिकार है, जो सम्मान, सुरक्षा और समावेश के लिए जरूरी है। इसलिए वो विस्थापित लोगों के साथ एकजुटता में खड़ा है।इस साल विश्व शरणार्थी दिवस पर इसकी थीम "शरणार्थियों के साथ एकजुटता" रखी गई है, जिसमें एकजुटता का मतलब है शरणार्थियों को सिर्फ शब्दों से नहीं बल्कि कामों से भी सम्मान देना।
यह दिन उन लाखों लोगों को समर्पित है जो युद्ध, हिंसा, उत्पीड़न या प्राकृतिक आपदाओं के कारण अपने घरों और देशों को छोड़कर शरणार्थी बनने को मजबूर हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2000 में स्थापित इस दिवस का उद्देश्य शरणार्थियों के साहस, शक्ति और लचीलापन को सम्मानित करना, उनकी दुर्दशा के प्रति जागरूकता बढ़ाना और वैश्विक समुदाय को उनके अधिकारों और कल्याण के लिए एकजुट करना है।
विश्व शरणार्थी दिवस 2025 का महत्व
विश्व शरणार्थी दिवस शरणार्थियों के साथ एकजुटता का प्रतीक है। यह उनके मानवाधिकारों, विशेषकर सुरक्षा पाने और सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार की रक्षा पर बल देता है। यह दिन वैश्विक समुदाय को याद दिलाता है कि शरणार्थी केवल आंकड़े नहीं, बल्कि लोग हैं, जिनके पास सपने, आकांक्षाएं और अपने जीवन को बेहतर बनाने की इच्छा है। 2025 में यह दिवस शरणार्थियों की समस्याओं का स्थायी समाधान खोजने और उनके लिए सुरक्षित स्थान सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह समुदायों, सरकारों और संगठनों को शरणार्थियों के पुनर्वास, शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए प्रेरित करता है।
शरणार्थी संकट के कारण
युद्ध और सशस्त्र संघर्ष: सीरिया, सूडान, यूक्रेन और म्यांमार जैसे देशों में चल रहे गृहयुद्ध और अंतरराष्ट्रीय संघर्ष लाखों लोगों को विस्थापित कर रहे हैं। हिंसा और अस्थिरता के कारण लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तलाश में निकल पड़ते हैं।
उत्पीड़न और मानवाधिकार उल्लंघन: धार्मिक, जातीय या राजनीतिक उत्पीड़न के कारण लोग अपने देशों से भागने को मजबूर होते हैं। उदाहरण के लिए, रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में उत्पीड़न के शिकार हैं।
जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं: सूखा, बाढ़ और अन्य जलवायु-संबंधी आपदाएं विशेष रूप से अफ्रीका और दक्षिण एशिया में विस्थापन का कारण बन रही हैं। ये लोग अपने आजीविका के साधनों को खो देते हैं और जीवित रहने के लिए पलायन करते हैं।
आर्थिक अस्थिरता और गरीबी: कुछ मामलों में, आर्थिक संकट और गरीबी लोगों को बेहतर अवसरों की तलाश में अपने देश छोड़ने के लिए प्रेरित करती है, हालांकि ये तकनीकी रूप से शरणार्थी नहीं कहलाते।
अंतरराष्ट्रीय सहायता में कमी: UNHCR ने चेतावनी दी है कि मानवीय सहायता के लिए धन में कटौती, विशेष रूप से अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा, संकट को और गहरा रही है। यह कमी शरणार्थियों के लिए आवश्यक सेवाओं को प्रभावित करती है।
शरणार्थी संकट के समाधान
शांति स्थापना और संघर्ष समाधान: युद्ध और हिंसा को समाप्त करना शरणार्थी संकट का मूल समाधान है। कूटनीतिक प्रयासों और शांति समझौतों के माध्यम से संघर्षों को हल करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, सीरिया में राजनीतिक स्थिरता के कारण 2024 में लगभग 2 मिलियन लोगों की घर वापसी संभव हुई।
मानवीय सहायता में वृद्धि: अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शरणार्थियों के लिए खाद्य, आश्रय, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए धन बढ़ाना चाहिए। UNHCR को वित्तीय समर्थन प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
पुनर्वास और एकीकरण: शरणार्थियों को मेजबान देशों में रोजगार, शिक्षा और सामाजिक सेवाओं के अवसर प्रदान करके उनके एकीकरण को बढ़ावा देना चाहिए। इससे वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं और स्थानीय समुदायों में योगदान दे सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन से निपटना: जलवायु-संबंधी विस्थापन को कम करने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना और प्रभावित क्षेत्रों में लचीली बुनियादी ढांचे का निर्माण करना आवश्यक है।
जागरूकता और सहानुभूति: विश्व शरणार्थी दिवस जैसे आयोजन लोगों में शरणार्थियों के प्रति सहानुभूति और समझ बढ़ाने में मदद करते हैं। समुदायों को शरणार्थियों के योगदान को स्वीकार करना चाहिए और उनके प्रति भेदभाव को कम करना चाहिए।
कानूनी ढांचे को मजबूत करना : 1951 शरणार्थी सम्मेलन जैसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों को लागू करना और शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा करना जरूरी है। देशों को शरणार्थियों को सुरक्षा प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
विश्व शरणार्थी दिवस 2025 न केवल शरणार्थियों के साहस और दृढ़ता का उत्सव है, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए एक आह्वान भी है कि वह इस मानवीय संकट का समाधान खोजने के लिए एकजुट हो। शरणार्थी संकट की वृद्धि युद्ध, उत्पीड़न, जलवायु परिवर्तन और सहायता में कमी जैसे कारकों का परिणाम है। इसका समाधान शांति स्थापना, मानवीय सहायता, पुनर्वास और जागरूकता जैसे बहुआयामी दृष्टिकोणों में निहित है। प्रत्येक व्यक्ति और देश की जिम्मेदारी है कि वे शरणार्थियों के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक भविष्य सुनिश्चित करने में योगदान दें। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि एकजुटता और करुणा के साथ, हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहां हर व्यक्ति को सम्मान और सुरक्षा मिले। World Refugee Day, International Refugee Day
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