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चीन-तुर्की के मिसाइल-ड्रोन कितने कामयाब, भारत में क्यों फेल ?

पाकिस्तान को चीन-तुर्की से मिले मिसाइल और ड्रोन को भारतीय सेना के हथियारों ने फेल कर दिया। चीन-तुर्की के हथियार भारत पाक संघर्ष में फुस्स साबित हो गए। भारत के रक्षा उपकरण इतने अत्याधुनिक थे कि चीन-तुर्की के बेस्ट मिसाइल और ड्रोन दोनों टारगेट नहीं भेद पाए।

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Ajit Kumar Pandey
China-Türkiye Missile Dron Fail
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । सीरिया लीबिया के साथ नागोर्नो-काराबाख और रूस यूक्रेन के युद्ध में तहलका मचाने वाले ड्रोन को तुर्की से पाकिस्तान से लिया ताकि भारत को अच्छा सबक सिखाए। लेकिन, मामला उलट गया और भारत की अभेद्य सुरक्षा प्रणाली के सामने चीन तुर्की और पाकिस्तान के सारे उपाय न केवल धराशायी हुए बल्कि फुसफुसाए पटाखे की तरह हो गए। 

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आपको बता दें कि भारत को धूल चटाने के लिए चीन, तुर्की और पाकिस्तान ने मिलकर बड़ी तैयारी की। बस! उन्हें एक मौके की तलाश थी। चीन और तुर्की का टट्टू बना पाकिस्तान एक बड़ी प्लानिंग करने के बाद भारत के कश्मीर में स्थित पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों को भेजकर 26 निर्दोष नागरिकों की निर्मम तरीके हत्या करवाई ताकि भारत में उठापटक मचे। हुआ भी कुछ यूं भी।

यह स्टोरी तुर्की द्वारा दिए गए ड्रोन के ड्रोन का युद्ध में उपयोग, सफलता और भारत के संदर्भ में उनकी असफलता पर एक रिपोर्ट है। साथ ही, यह भी जानने की कोशिश करता है कि इन ड्रोनों का भविष्य क्या हो सकता है। 

ऐसे हुई भारत को चोट पहुंचाने की साजिश 

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पहलगाम हमले के बाद भारत में कोहराम मच गया। नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे। इस चोट से आहत भारत सरकार ने भी हमले की जांच शुरू की और एनआईए की जांच में सारे सुबूत इकट्ठा की। इसके बाद पाकिस्तान को न केवल सबक सिखाना है बल्कि आतंक के अड्डों को मिट्टी में मिलाने का संकल्प ले लिया।

तैयारियों के बाद इंडियन आर्मी ने आपरेशन सिंदूर लांच कर दिया और फिर पीओके व पाकिस्तान में चल रहे आतंकी कैंपो को न केवल तबाह किया बल्कि वाकई में उन्हें मिट्टी में ही मिला दिया। इस आपरेशन से पाकिस्तान बुरी तरह से बौखला गया। 

हालांकि पाकिस्तान को इतने बड़े आपरेशन की उम्मी तो बिल्कुल भी नहीं थी। आपरेशन सिंदूर की सफलता से घबराए और पूरी दुनिया के सामने आतंकियों के पोषक के रूप में बेनकाब हो चुका पाकिस्तान अपनी इज्जत बचाने के लिए तड़फने लगा।

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और अंतत: पाकिस्तान आर्मी ने बॉर्डर एरिया में जबरदस्त फायरिंग, तुर्की और चीन से मिले ड्रोन और मिसाइल से हमले शुरू कर दिए। इन हमलों का इंडियन आर्मी जब मुंहतोड़ जवाब उसी की भाषा में दिया जाने लगा तो पाकिस्तान आर्मी ने भारतीय नागरिकों को टारगेट कर हमला तेज कर दिया। इसके जवाब में भारत की तीनों सेनाएं एक साथ आ गईं और इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान को ऐसी चोट दिया जिसे वह आजीवन याद रखेगा। 

इंडियन आर्मी ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सर्विस जो चीन से मिले थे नष्ट कर दिए। चीन और तुर्की से भीख में मिले मिसाइल और ड्रोन का ​चीथड़ा उड़ा दिया। एक भी मिसाइल और ड्रोन टारगेट तक नहीं पहुंचे हवा में मार गिराए गए।

पिछले कुछ वर्षों में, तुर्की और पाकिस्तान के बीच रक्षा सहयोग ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। इस सहयोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है तुर्की द्वारा पाकिस्तान को प्रदान किए गए अत्याधुनिक ड्रोन। 

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तुर्की ने पाकिस्तान को कौन सा ड्रोन दिया?

तुर्की ने पाकिस्तान को बायकर बाय्रक्तार टीबी2 (Bayraktar TB2) ड्रोन प्रदान किए हैं। यह ड्रोन तुर्की की कंपनी बायकर डिफेंस द्वारा निर्मित है और इसे आधुनिक युद्ध के लिए एक गेम-चेंजर माना जाता है। बाय्रक्तार टीबी2 एक मध्यम ऊंचाई, लंबी उड़ान अवधि (MALE) वाला ड्रोन है, जो निगरानी और हमले दोनों के लिए उपयोगी है।

कितनी संख्या में ड्रोन दिए गए?

सूत्रों के अनुसार, तुर्की ने पाकिस्तान को 12 से 18 बाय्रक्तार टीबी2 ड्रोन की आपूर्ति की है। यह सौदा 2022 में शुरू हुआ और 2024 तक पूरी तरह लागू हो चुका है। सटीक संख्या को लेकर कुछ गोपनीयता बरती गई है, लेकिन अनुमान है कि यह संख्या भविष्य में और बढ़ सकती है।

प्रति ड्रोन की कीमत

बाय्रक्तार टीबी2 ड्रोन की अनुमानित कीमत 2 से 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति यूनिट है। इस कीमत में ड्रोन, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन और कुछ हथियार शामिल हैं। हथियारों और अतिरिक्त उपकरणों के आधार पर लागत में वृद्धि हो सकती है। इस तरह, 12 ड्रोनों का कुल सौदा लगभग 24 से 36 मिलियन डॉलर का हो सकता है।

ड्रोन की शक्ति और विशेषताएं

बाय्रक्तार टीबी2 ड्रोन अपनी श्रेणी में शक्तिशाली माना जाता है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं...

उड़ान अवधि: 27 घंटे तक लगातार उड़ान।

ऊंचाई: 25,000 फीट तक।

हथियार: MAM-L और MAM-C जैसे लेजर-गाइडेड स्मार्ट मुनिशन।

निगरानी: उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे और थर्मल इमेजिंग सिस्टम।

वजन: 650 किलोग्राम (अधिकतम टेकऑफ वजन)। यह ड्रोन सटीक हमले करने और रियल-टाइम खुफिया जानकारी प्रदान करने में सक्षम है, जो इसे आधुनिक युद्ध में प्रभावी बनाता है।

युद्ध में उपयोग और सफलता

बाय्रक्तार टीबी2 ड्रोन का उपयोग कई युद्धों में किया गया है, जिनमें शामिल हैं...

सीरिया (2019-2020): तुर्की ने सीरिया में बाय्रक्तार टीबी2 का उपयोग करके विद्रोही समूहों और सरकारी बलों के खिलाफ सटीक हमले किए। इसने टैंक और बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लीबिया (2019-2020): लीबिया में तुर्की समर्थित बलों ने इस ड्रोन का उपयोग करके विरोधी सेनाओं को भारी नुकसान पहुंचाया।

नागोर्नो-काराबाख युद्ध (2020): अजरबैजान ने इस ड्रोन का उपयोग करके आर्मेनिया की सैन्य संपत्तियों को नष्ट किया, जिसे युद्ध में निर्णायक माना गया।

यूक्रेन-रूस युद्ध (2022 से अब तक): यूक्रेन ने रूसी सेना के खिलाफ बाय्रक्तार टीबी2 का उपयोग करके टैंक, तोपखाने और आपूर्ति लाइनों को निशाना बनाया।

इन युद्धों में ड्रोन की सफलता का कारण इसकी सटीकता, कम लागत, और रियल-टाइम निगरानी क्षमता है। इसने पारंपरिक सैन्य उपकरणों की तुलना में कम खर्च में अधिक प्रभाव डाला।

भारत ने तुर्की के ड्रोन को दिखाई औकात

भारत के संदर्भ में बाय्रक्तार टीबी2 ड्रोन की चर्चा तब शुरू हुई जब पाकिस्तान ने इसे हासिल किया। हालांकि, भारत में यह ड्रोन "फुस्स" होने की बात कई कारणों से सामने आई...

भारत की उन्नत वायु रक्षा प्रणाली: भारत के पास राफेल, सुखोई-30, और S-400 जैसी उन्नत प्रणालियां हैं, जो ड्रोनों को आसानी से निष्क्रिय कर सकती हैं।

इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता: भारत की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियां ड्रोन के संचार को जाम कर सकती हैं।

भौगोलिक चुनौतियां: भारत-पाक सीमा पर ऊंचे पहाड़ और जटिल इलाके ड्रोन की प्रभावशीलता को कम करते हैं।

स्वदेशी ड्रोन विकास: भारत स्वयं ड्रोन तकनीक में तेजी से प्रगति कर रहा है, जैसे कि DRDO का रुस्तम-2 और अन्य स्वदेशी ड्रोन। इस कारण विदेशी ड्रोनों पर निर्भरता कम है।

रणनीतिक असंतुलन: पाकिस्तान द्वारा बाय्रक्तार टीबी2 का उपयोग भारत की सैन्य रणनीति के लिए गंभीर खतरा नहीं माना जाता, क्योंकि भारत की सेना इसे आसानी से निष्प्रभावी कर सकती है।

भविष्य की संभावनाएं

अब तुर्की और चीन के सैन्य बाजार से रक्षा उपकरण कौन खरीदेगा। यह सवाल उठने लगा है। फुस्स हुए मिसाइल और ड्रोन को कोई देश नहीं खरीदना चाहेगा। आखिर अपने देश की सुरक्षा के लिए चीन तुर्की के सैन्य बाजार से कौन सा देश खरीदारी करेगा। इस सवाल का जवाब अब इन देशों के पास भी नहीं है। 

बाय्रक्तार टीबी2 ड्रोन ने भारत पाकिस्तान संघर्ष में अपनी उपयोगिता साबित करने में नाकामयाब हुई हैं, लेकिन भारत जैसे देशों की उन्नत रक्षा प्रणालियों के सामने इनकी सीमाएं भी उजागर हुई हैं। तुर्की और पाकिस्तान का यह रक्षा सहयोग भविष्य में और गहरा हो सकता है, लेकिन भारत की सैन्य तैयारियां इसे प्रभावी ढंग से संतुलित करने में सक्षम हैं।

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