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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत की कूटनीति और विदेश नीति के क्षेत्र में एक नाम जो चर्चा में है। वह नाम है विक्रम मिस्री का। भारत के विदेश सचिव के रूप में उनकी नियुक्ति और उनके द्वारा शुरू किया गया मीडिया ब्रीफिंग सत्र न केवल कूटनीतिक हलकों में बल्कि आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय रहा है।
विक्रम मिस्री एक उच्च पदस्थ अधिकारी ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, बुद्धिमता और देश के प्रति समर्पण से वैश्विक मंच पर भारत का परचम लहराया। इस स्टोरी में हम आपको ऑपरेशन सिंदूर से लेकर विक्रम मिस्री के जीवन, उनके करियर और कश्मीर से विशेष जुड़ाव पीछे की अनकही कहानी से रूबरू कराएंगे।
विक्रम मिस्री का जन्म 1964 में श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में हुआ था। कश्मीर की खूबसूरत वादियों में पले-बढ़े विक्रम का बचपन प्रकृति और संस्कृति के बीच बीता। उनके पिता एक सिविल सेवक थे, जिनसे उन्हें देश सेवा की प्रेरणा मिली। विक्रम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा श्रीनगर और दिल्ली में पूरी की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक किया और फिर भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल होने की दिशा में कदम बढ़ाया। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि और कश्मीर से गहरा लगाव उनके व्यक्तित्व को एक अनूठा आयाम देता है।
भारतीय विदेश सेवा में प्रवेश
1988 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने के बाद विक्रम मिस्री ने तेजी से अपने कौशल और समर्पण से पहचान बनाई। उनकी पहली नियुक्ति ब्रसेल्स में हुई, जहां उन्होंने यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, पाकिस्तान और चीन जैसे देशों में भारत के हितों को आगे बढ़ाया। खास तौर पर, चीन में भारत के राजदूत के रूप में उनका कार्यकाल बेहद महत्वपूर्ण रहा। इस दौरान उन्होंने भारत-चीन संबंधों को स्थिर करने और दोनों देशों के बीच व्यापारिक व कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने में अहम योगदान दिया।
विदेश सचिव के रूप में नियुक्ति
15 July 2024 में विक्रम मिस्री को भारत का विदेश सचिव नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति उनके लंबे और शानदार करियर का एक स्वाभाविक परिणाम थी। विदेश सचिव के रूप में, उन्होंने न केवल भारत की विदेश नीति को नई दिशा दी, बल्कि कई अभूतपूर्व कदम भी उठाए। इनमें से एक था नियमित मीडिया ब्रीफिंग की शुरुआत। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे विदेश मंत्रालय की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ी और आम जनता को वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति के बारे में बेहतर जानकारी मिलने लगी।
ऑपरेशन सिंदूर में भूमिका
22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने हमला कर 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इन आतंकियों के खात्मे के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया। विक्रम मिस्री ने ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह ऑपरेशन कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ चल रहा है। जिसमें विक्रम मिस्री ने सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया। इस मिशन में उनकी भूमिका ने उन्हें सरकार के उच्च स्तर पर पहचान दिलाई।
विदेश सेवा में उल्लेखनीय योगदान
विक्रम मिस्री ने कई महत्वपूर्ण देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जिनमें चीन, अमेरिका और यूरोपीय देश शामिल हैं। उनकी कूटनीतिक क्षमता और संवाद कौशल ने उन्हें एक उत्कृष्ट राजनयिक बना दिया।
नए विदेश सचिव के रूप में चुनौतियां
अब जब विक्रम मिस्री भारत के विदेश सचिव बन चुके हैं, तो उनके सामने कई चुनौतियां हैं, जिनमें चीन के साथ सीमा विवाद, अमेरिका और यूरोप के साथ संबंधों को मजबूत करना और मध्य पूर्व में भारत की भूमिका को स्थिर करना शामिल है।
विक्रम मिस्री का सफर एक सामान्य अधिकारी से लेकर भारत के विदेश सचिव तक का है। उनकी कूटनीतिक समझ, मीडिया के साथ संवाद और कश्मीर मुद्दे पर उनकी पकड़ उन्हें एक खास पहचान देती है। उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में भारत की विदेश नीति और मजबूत होगी।
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