नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत में क्रिप्टोकरेंसी, खासकर बिटकॉइन ट्रेडिंग, को लेकर बहस तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़े बताते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल हवाला लेनदेन के लिए बढ़ रहा है। क्या यह भारत के वित्तीय सिस्टम के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है? आइए, विस्तार से समझते हैं।
भारत में बिटकॉइन का बढ़ता कारोबार
भारत में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। 2023 तक 1.5 करोड़ से ज्यादा भारतीय क्रिप्टो में निवेश कर चुके हैं, और हर महीने 10 लाख नए यूजर्स जुड़ रहे हैं। लेकिन, RBI और सरकार को चिंता है कि बिटकॉइन और अन्य डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल गैरकानूनी लेनदेन के लिए हो रहा है।
हवाला बिजनेस में बिटकॉइन का रोल
हवाला एक अनऑफिशियल मनी ट्रांसफर सिस्टम है, जिसमें पैसा बिना बैंक या सरकारी निगरानी के ट्रांसफर किया जाता है। एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी के जरिए हर साल हजारों करोड़ रुपये का हवाला लेनदेन हो रहा है।
- 2022 में ED ने 200 करोड़ रुपये से ज्यादा के क्रिप्टो-लिंक्ड हवाला केस दर्ज किए।
- दुबई, सिंगापुर और यूरोपीय देशों से भारत में क्रिप्टो के जरिए पैसा ट्रांसफर किया जा रहा है।
- डार्क वेब और हैकर्स भी बिटकॉइन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट और RBI की चेतावनी
RBI ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की कोशिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में इसे हटा दिया। हालांकि, 2023 में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने फिर चेतावनी दी कि "क्रिप्टोकरेंसी देश की वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा है।"
क्या कहते हैं आंकड़े?
- भारत में हर दिन 500-1000 करोड़ रुपये की क्रिप्टो ट्रेडिंग होती है।
- 30% ट्रांजैक्शन्स शेल कंपनियों और फर्जी अकाउंट्स के जरिए होते हैं।
- ED ने 2023 में 12 बड़े क्रिप्टो-हवाला नेटवर्क्स को बंद किया।
क्या है सरकार का स्टैंड?
भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर 30% टैक्स लगा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई क्लियर रेगुलेशन नहीं बना है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि "ग्लोबल क्रिप्टो पॉलिसी बनने तक सख्त निगरानी जरूरी है।"
क्या हो सकता है भविष्य में?
- क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह बैन या स्ट्रिक्ट कंट्रोल।
- ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को लेगल फ्रेमवर्क में शामिल करना।
- हवाला रोकने के लिए नए साइबर लॉज़।
बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी फ्यूचर ऑफ फाइनेंस हो सकते हैं, लेकिन भारत में इनका गलत इस्तेमाल हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा दे रहा है। सरकार और RBI को जल्द से जल्द सख्त नियम बनाने होंगे, वरना यह देश की इकोनॉमी के लिए बड़ा रिस्क बन सकता है।
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