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धौला कुआं से Gurgaon तक ट्रैफिक जाम का अंत? जानें- पायलट प्रोजेक्ट की अनसुनी कहानी

दिल्ली में धौला कुआं से गुरुग्राम तक का मार्ग ट्रैफिक जाम के कारण यात्रियों के लिए काफी मुश्किल भरा और चुनौतीपूर्ण है, जहां से प्रतिदिन 5 लाख से अधिक वाहन गुजरते हैं, जिससे समय और ईंधन की बर्बादी होती है।

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Ajit Kumar Pandey
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GURUGRAM, DHAULAKUAN ROAD, DELHI, HINDI NEWS
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । दिल्ली और गुरुग्राम के बीच रोजाना सफर करने वाले लाखों लोगों के लिए धौला कुआं से गुरुग्राम तक का रास्ता किसी जंग से कम नहीं। घंटों ट्रैफिक जाम में फंसना, देरी से ऑफिस पहुंचना, और तनाव भरा सफर अब आम बात हो चुकी है। लेकिन, अब इस समस्या का समाधान नजर आ रहा है।

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हाल ही में शुरू किए गए धौला कुआं-गुरुग्राम डीकंजेशन पायलट प्रोजेक्ट ने लोगों में नई उम्मीद जगाई है। यह प्रोजेक्ट दो चरणों में लागू किया जा रहा है, और इसके परिणाम ट्रैफिक की समस्या को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकते हैं। आइए, इस प्रोजेक्ट की पूरी कहानी, इसके आंकड़ों और भविष्य की संभावनाओं को विस्तार से समझते हैं।

धौला कुआं-गुरुग्राम रोड: ट्रैफिक का सबसे बड़ा दर्द

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धौला कुआं से गुरुग्राम तक का 20 किलोमीटर का यह रास्ता दिल्ली-एनसीआर के सबसे व्यस्त मार्गों में से एक है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के आंकड़ों के अनुसार, इस मार्ग पर रोजाना 2.5 लाख से ज्यादा वाहन गुजरते हैं, जिनमें 60% निजी कारें, 25% कमर्शियल वाहन, और 15% दोपहिया वाहन शामिल हैं। पीक आवर्स (सुबह 8-11 बजे और शाम 5-8 बजे) के दौरान औसत ट्रैफिक स्पीड 20 किमी/घंटा से भी कम हो जाती है। इसकी वजह से हर दिन लगभग 1.5 लाख लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने में 30 मिनट से 1 घंटे की देरी का सामना करते हैं।

इसके अलावा, ट्रैफिक जाम की वजह से ईंधन की बर्बादी और वायु प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है। एक अनुमान के मुताबिक, इस मार्ग पर रोजाना 50,000 लीटर से ज्यादा पेट्रोल और डीजल जाम में फंसने की वजह से बर्बाद होता है, जिससे लगभग 120 टन कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में उत्सर्जित होती है। यह आंकड़े न केवल पर्यावरण के लिए चिंताजनक हैं, बल्कि लोगों के समय और स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ रहे हैं।

डीकंजेशन प्रोजेक्ट: एक नई शुरुआत

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इन समस्याओं को देखते हुए, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस, NHAI, और गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (GMDA) ने मिलकर धौला कुआं-गुरुग्राम मार्ग के लिए एक पायलट डीकंजेशन प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट को दो चरणों में लागू किया जा रहा है, और इसके पहले चरण की शुरुआत अक्टूबर 2025 में हो चुकी है।

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पहला चरण: इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार

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पहले चरण में फोकस रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने पर है। इसके तहत..

धौला कुआं जंक्शन पर दो नए फ्लाईओवर बनाए जा रहे हैं, जिनकी कुल लंबाई 2.5 किलोमीटर होगी। इन फ्लाईओवर का उद्देश्य क्रॉस-ट्रैफिक को कम करना और मुख्य हाईवे पर वाहनों की आवाजाही को सुचारू करना है।

6 प्रमुख चौराहों (जैसे महिपालपुर, शंकर विहार, और साइबर सिटी जंक्शन) पर स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल सिस्टम लगाए गए हैं। ये सिग्नल AI-बेस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़े हैं, जो रियल-टाइम ट्रैफिक डेटा के आधार पर सिग्नल टाइमिंग को ऑप्टिमाइज करते हैं।

1.8 किलोमीटर लंबा सर्विस रोड बनाया जा रहा है, जो कमर्शियल वाहनों और लोकल ट्रैफिक को मुख्य हाईवे से अलग करेगा।

50 CCTV कैमरे और 20 ट्रैफिक सेंसर लगाए गए हैं, जो ट्रैफिक की निगरानी और डेटा संग्रह में मदद करेंगे।

पहले चरण के लागू होने के बाद, शुरुआती डेटा के अनुसार, धौला कुआं जंक्शन पर ट्रैफिक जाम में 25% की कमी देखी गई है। औसत ट्रैफिक स्पीड 20 किमी/घंटा से बढ़कर 28 किमी/घंटा हो गई है, और पीक आवर्स में देरी 15-20 मिनट कम हुई है।

दूसरा चरण: लॉन्ग-टर्म सॉल्यूशंस

दूसरा चरण जनवरी 2026 से शुरू होगा और इसमें अधिक व्यापक बदलाव शामिल होंगे। इसके प्रमुख बिंदु हैं...

मल्टीलेवल रोड कॉरिडोर: धौला कुआं से गुरुग्राम तक 10 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाएगा। यह कॉरिडोर 4-लेन का होगा और केवल लंबी दूरी के वाहनों के लिए होगा।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा: 100 नई इलेक्ट्रिक बसें इस रूट पर चलाई जाएंगी, जिनमें 50% सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी। इसके अलावा, 5 नए बस टर्मिनल बनाए जाएंगे।

साइकिल और पैदल यात्री लेन: 8 किलोमीटर लंबी डेडिकेटेड साइकिल लेन और फुटपाथ बनाए जाएंगे, ताकि लोकल कम्यूटर्स को सुरक्षित और सुविधाजनक विकल्प मिले।

ग्रीन इनीशिएटिव: रोड के किनारे 10,000 पेड़ लगाए जाएंगे, और सोलर-पावर्ड स्ट्रीट लाइट्स इंस्टॉल की जाएंगी।

NHAI का अनुमान है कि दूसरे चरण के पूरा होने के बाद, इस मार्ग पर ट्रैफिक जाम 50% तक कम हो सकता है, और औसत ट्रैफिक स्पीड 40 किमी/घंटा तक पहुंच सकती है। साथ ही, ईंधन की खपत में 30% की कमी और कार्बन उत्सर्जन में 40 टन/दिन की कमी होने की उम्मीद है।

लोगों की प्रतिक्रिया: उम्मीद के साथ चुनौतियां

इस प्रोजेक्ट को लेकर लोगों में उत्साह है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। गुरुग्राम के एक IT प्रोफेशनल, राहुल शर्मा, कहते हैं, “पहले चरण के बाद जाम में कुछ कमी आई है, लेकिन अभी भी पीक आवर्स में 30-40 मिनट की देरी हो रही है। दूसरा चरण जल्दी शुरू हो, तभी पूरी राहत मिलेगी।” वहीं, एक ऑटो ड्राइवर, मोहन लाल, का कहना है, “सर्विस रोड बनने से लोकल ट्रैफिक को फायदा होगा, लेकिन निर्माण कार्य की वजह से अभी रास्ता और संकरा हो गया है।”

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने लोगों से धैर्य रखने की अपील की है। उनके अनुसार, “निर्माण कार्य के दौरान कुछ असुविधा होगी, लेकिन लॉन्ग-टर्म में यह प्रोजेक्ट दिल्ली-गुरुग्राम के ट्रैफिक को पूरी तरह बदल देगा।”

भविष्य की संभावनाएं

यह प्रोजेक्ट न केवल धौला कुआं-गुरुग्राम मार्ग को बेहतर बनाएगा, बल्कि दिल्ली-एनसीआर के अन्य व्यस्त मार्गों के लिए भी एक मॉडल बन सकता है। NHAI ने घोषणा की है कि इस प्रोजेक्ट के सफल होने पर इसे दिल्ली-नोएडा और दिल्ली-फरीदाबाद रूट पर भी लागू किया जाएगा। साथ ही, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत गुरुग्राम में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा।

धौला कुआं से गुरुग्राम तक का यह डीकंजेशन प्रोजेक्ट न केवल ट्रैफिक की समस्या को हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह पर्यावरण, समय, और लोगों के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने का वादा करता है। पहले चरण के शुरुआती नतीजे उत्साहजनक हैं, और दूसरा चरण इस बदलाव को और मजबूत करेगा। अगर आप भी इस रूट पर सफर करते हैं, तो इस प्रोजेक्ट पर नजर रखें, क्योंकि यह आपके रोजाना के सफर को पूरी तरह बदल सकता है!

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