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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । पाकिस्तानी आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए भारत ने बड़ा कदम उठाया है। अमेरिका भारतीय नेवी को अत्याधुनिक निगरानी तकनीक और रक्षा उपकरण देने की बात कही है। यह सौदा दोनों देशों के बीच हो गया है। इस सौदे से चीन और पाकिस्तान परेशान हो गए हैं।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़े कूटनीतिक और सैन्य कदम उठाए।
इस तनावपूर्ण माहौल में अमेरिका ने भारत के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता किया है, जिसके तहत भारत को 131 मिलियन डॉलर की समुद्री निगरानी तकनीक और उपकरण प्रदान किए जाएंगे। यह सौदा दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को प्रभावित करने वाला माना जा रहा है।
पहलगाम हमला, जिसमें आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, भारत के लिए एक बड़ा झटका था। भारत ने इस हमले का ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ा और इसे सीमा पार आतंकवाद का हिस्सा बताया।
इसके जवाब में भारत ने कई कड़े कदम उठाए, जैसे पाकिस्तान के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद करना, सिंधु जल संधि को निलंबित करना और भारतीय उच्चायोग में पाकिस्तानी कर्मचारियों की संख्या सीमित करना।
इन कदमों ने दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। पाकिस्तानी सेना ने भी सीमा पर लगातार संघर्षविराम का उल्लंघन किया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
अमेरिका का रक्षा सौदा: सामरिक महत्व
ऐसे समय में जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है, अमेरिका ने भारत की नौसैनिक क्षमता को मजबूत करने के लिए 131 मिलियन डॉलर का सौदा मंजूर किया है। इस समझौते के तहत भारत को उन्नत समुद्री निगरानी सॉफ्टवेयर, उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। यह तकनीक भारतीय नौसेना को समुद्री सीमाओं की निगरानी और खतरों का तुरंत जवाब देने में सक्षम बनाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा भारत को अरब सागर में पाकिस्तान की नौसैनिक गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करेगा, जहां पाकिस्तान हाल ही में नौसैनिक अभ्यास कर रहा है।
यह सौदा भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को और गहरा करता है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बातचीत में आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूत सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई थी। इस सौदे को अमेरिका की ओर से भारत को सामरिक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब भारत पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की संभावना पर विचार कर रहा है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय प्रभाव
पाकिस्तान ने इस सौदे पर कड़ी आपत्ति जताई है। पाकिस्तानी नेताओं का कहना है कि यह सौदा दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ को बढ़ावा देगा। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री इशाक डार ने भारत को चेतावनी दी है कि वह किसी भी तरह की आक्रामकता का जवाब देने के लिए तैयार है। पाकिस्तान ने अपनी सैन्य तैयारियों को भी तेज कर दिया है, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक शक्तियां तनाव कम करने की कोशिश कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों के नेताओं से बातचीत की और शांति बनाए रखने की अपील की। हालांकि, भारत ने साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक वह कोई रियायत नहीं देगा।
भारत की रणनीति और भविष्य की संभावनाएं
भारत ने इस तनाव का जवाब न केवल कूटनीतिक स्तर पर, बल्कि सैन्य स्तर पर भी दिया है। भारतीय नौसेना ने गुजरात तट के पास मिसाइल परीक्षण किए, जो पाकिस्तान के नौसैनिक अभ्यास के जवाब में देखे जा रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना ने ‘एक्सरसाइज आक्रमण’ के तहत सैन्य अभ्यास शुरू किया है। ये कदम भारत की ‘कोल्ड स्टार्ट’ रणनीति का हिस्सा माने जा रहे हैं, जिसका मकसद तेज और सीमित सैन्य कार्रवाई के जरिए पाकिस्तान को सबक सिखाना है, बिना परमाणु युद्ध की स्थिति तक पहुंचे।
अमेरिका से मिलने वाली समुद्री निगरानी तकनीक भारत की इस रणनीति को और मजबूत करेगी। यह तकनीक न केवल पाकिस्तान की नौसैनिक गतिविधियों पर नजर रखेगी, बल्कि भारत को हिंद महासागर में अपनी स्थिति को और सुदृढ़ करने में मदद करेगी। यह सौदा भारत के लिए एक सामरिक जीत है, जो इसे क्षेत्रीय शक्ति के रूप में और मजबूत करता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव और अमेरिका का यह रक्षा सौदा दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकता है। भारत की मजबूत कूटनीति और सैन्य तैयारियों ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया है, जबकि अमेरिका का समर्थन भारत की स्थिति को और मजबूत कर रहा है। हालांकि, इस तनाव का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति पर गहरा असर पड़ सकता है। आने वाले दिन यह तय करेंगे कि क्या यह तनाव युद्ध में तब्दील होगा या कूटनीति के जरिए शांति स्थापित होगी।
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