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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः सरकारी आवास से जले हुए नोट मिलने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा फिलहाल हाट टापिक हैं। उनके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी चल रही है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस कमेटी ने उनको दोषी माना है। हालांकि कमेटी यशवंत वर्मा के घर से कैश बरामद तो नहीं कर सकी लेकिन मौके पर मौजूद लोगों की गवाही के आधार पर उसका ये आकलन है कि सरकारी आवास के स्टोर रूम में नोटों का जखीरा था। जस्टिस यशवंत वर्मा और उनके परिवार की मर्जी के बगैर परिंदा भी वहां पर नहीं मार सकता था। स्टोर रूम हमेशा लाक रहा करता था। उसकी चाभी परिवार के पास ही होती थी।
14 मार्च की रात तकरीबन 11 बजकर 35 मिनट पर लगी थी आग
ध्यान रहे कि जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च की रात तकरीबन 11 बजकर 35 मिनट पर आग लगी थी। वो और उनकी पत्नी उस समय भोपाल में थे। उनके सेक्रेट्री राजिंदर सिंह ने उन्हें इस बात की खबर दी तो जस्टिस ने दमकल को बुलाने के लिए कहा। उसके बाद फायर ब्रिगेड आई तो देखा कि स्टोर रूम में नोट जल रहे थे। काफी सारे 500 के नोट स्टोर रूम के फर्श पर बिखरे पड़े थे। आग तो बुझ गई पर स्टोर रूम में नोटों का जखीरा होने की बात घर से बाहर चली गई।
सुप्रीम कोर्ट को पता चला तो चीफ जस्टिस आफ इंडिया संजीव खन्ना ने इन हाउस कमेटी बना दी। कमेटी में हरियाणा पंजाब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू के साथ हिमाचल के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरमन शामिल थीं। कमेटी ने अपनी 64 पेज की रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी करार दिया। कमेटी ने 10 दिनों के दौरान 55 लोगों की गवाही ली। स्पाट विजिट की और जस्टिस वर्मा से बात की।
जानिए कमेटी ने क्यों माना यशवंत वर्मा को दोषी
- - जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में जब आग लगी तब उसमें ताला लगा हुआ था। घटना के बाद पीए राजिंदर सिंह ने उनको फोन किया फिर उसका ताला खुलवाया गया।
- हालांकि स्टोर रूम रिहायशी इलाके से दूर था लेकिन गवाहों ने कमेटी को बताया कि इस पर जस्टिस वर्मा और उनके परिवार की तीखी निगाह रहती थी। उनकी मर्जी के बगैर वहां कोई भी नहीं फटक सकता था।
- आग लगने के बाद जस्टिस वर्मा दिल्ली लौटकर आए तो वो स्टोर रूम की तरफ झांकने भी नहीं गए। उन्होंने स्टोर रूम से ऐसे पल्ला झाड़ लिया जैसे वो उनके घर में हो ही नहीं।
- दमकल कर्मी जब स्टोर रूम में घुसे तो वहां नोट जलते दिखे। बहुत सारे नोट फर्श पर पड़े थे। दमकल कर्मी हैरत में थे इतने नोटों को देखकर। इसी दौरान वहां पीए राजिंदर सिंह और उनकी बेटी दिया वहां आए और दमकल कर्मियों से कहा कि नोटों के बारे में वो किसी को न बताएं।
- दमकल कर्मियों के जाने के बाद राजिंदर सिंह और दिया ने दो विश्वस्त नौकरों राहिल और हनुमान प्रसाद के साथ मिलकर स्टोर रूम से सारे नोट (जले और बगैर जले) हटा दिए।
- जस्टिस वर्मा के घर पर सिक्योरिटी के लिए सीआरपीएफ के दो जवान रहते थे। जांच कमेटी के सामने दोनों जवानों ने बताया कि स्टोर रूम के पास फटकने की भी उन्हें इजाजत नहीं थी।
- सुप्रीम कोर्ट ने घटना का जो वीडियो अपनी वेबसाइट पर डाला था उसमें एक शख्स कहता दिख रहा है कि महात्मा गांधी में आग लग रही है। जांच कमेटी ने उस आवाज की तलाश की तो पता चला कि वो आवाज मनोज महलावत की थी। वो फायर सर्विस के स्टेशन आफिसर है। इस गवाह नंबर 6 ने जांच कमेटी के सामने माना कि आवाज उसकी ही थी।
- घटना के बाद जस्टिस वर्मा ने घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज नहीं संभाली। न ही उन्होंने किसी भी अथारिटी को घटना के बारे में आफिसियली बताया।
जस्टिस वर्मा ने जांच कमेटी को क्या बताया
तीन जजों की जांच कमेटी के सामने जस्टिस वर्मा ने कहा कि ये उनके खिलाफ साजिश है। हालांकि उनसे जो सवाल पूछे गए वो किसी का भी संतोष जनक जवाब नहीं दे सके।
- जस्टिस वर्मा निर्दोष थे तो उन्होंने पुलिस या दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या फिर सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में आधिकारिक तौर पर क्यों नहीं बताया। वो चुप क्यों रहे।
जस्टिस का कहना है कि ये उनके खिलाफ साजिश है। कमेटी कहती है कि जस्टिस के घर में 1+4 गार्ड 24 घंटे मौजूद रहते थे। घर के सामने पीएसओ हमेशा मौजूद रहता था। घर में छह भरोसे के नौकर थे। ऐसे में करेंसी को जबरिया घर में नहीं रखवाया जा सकता।
- बेशक स्टोर रूम मुख्य परिसर से दूर था लेकिन इतना भी दूर नहीं कि जस्टिस की निगरानी से बाहर हो। फिर जब वर्मा भोपाल से लौटे तो उन्होंने स्टोर रूम की विजिट क्यों नहीं की।
-जस्टिस वर्मा ने जांच कमेटी को जो जवाब दिया वो कहने को तो 101 पेज का है। लेकिन वो ऐसा कोई तर्क नहीं दे सके जो उनको निर्दोष साबित करता हो।
कालेजियम ने किया था वर्मा का तबादला, वो नहीं कर पा रहे सरकारी काम
फिलहाल जस्टिस वर्मा से कामकाज छीन लिया गया है। कालेजियम ने उनको दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट तब्दील कर दिया था। ये उनका पैरेंट कोर्ट है। सीजेआई संजीव खन्ना जांच कमेटी की रिपोर्ट सरकार को भेज चुके हैं। उन्होंने पहले जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने को कहा था पर वो नहीं माने। संजीव खन्ना ने वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है। अब देखना है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ सरकार संसद में कब तक महाभियोग लेकर आती है। हालांकि कानून मंत्री ने कुछ इशारा किया था कि वो महाभियोग लाने पर विचार कर रहे हैं। लेकिन तभी एक और सवाल खड़ा हो गया। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ सरकार इतनी सख्त दिल क्यों है। उसे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव पर एक्शन लेना चाहिए जो सरेआाम मुस्लिमों के खिलाफ हेट स्पीच दे चुके हैं। सिब्बल का कहना था कि शेखर यादव को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश हो रही है। : justice yashwant varma cash case | justice yashwant varma bungalow fire n
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